गीता रहस्य

By: Aug 10th, 2019 12:15 am

स्वामी रामस्वरूप

भाव यह है कि ईश्वर पिताओं का भी पिता है जिसने हमारे पिता, दादा, परदादा आदि सबको जन्म दिया है। ओंकारः पद का अर्थ ॐ है। जो कि जानने योग्य है अर्थात ईश्वर का पवित्र नाम ॐ है और ॐ के जाप, चिंतन,मनन से ईश्वर जाना जाता है…

गतांक से आगे…

मंत्र का भाव है कि हे जीव औषधीयों एवं सभी वनस्पतियों के लिए यज्ञ की क्रिया कर, जिससे कि सब पदार्थ शुद्ध होकर आरोग्य एवं दीर्घायु प्रदान करें। प्रत्येक वनस्पति का उत्पदाक एवं वनस्पति में समाया स्वयं परमात्मा ही है। जैसा कि यजुर्वेद मंत्र 31/7 में कहा ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद एवं यजुर्वेद चारों वेद ईश्वर से निकले हैं। अतः ईश्वर ही मंत्र है और मंत्रों द्वारा मनन करने योग्य है। ईश्वर को ही यहां ‘आज्यम’अर्थात घृत अग्नि और ‘हुतम’ अर्थात हवन में डालने वाली आहुति कहा है। इस विषय में वेदों में कहा कि जब यजमान वेदमंत्रों से यज्ञ करता है तब आसन घृत, स्मुचा, अग्नि हवन कुंड यह सब ब्रह्म ही कहे गए हैं अर्थात ब्रह्म के समान ही कहे गए हैं। क्योंकि स्वयं श्रीकृष्ण महाराज ने गीता में कहा है ‘यज्ञे ब्रह्म प्रतिष्ठिता’ यज्ञ में ब्रह्म प्रतिष्ठित होता है। यह सब वेदों के भाव ही श्रीकृष्ण महाराज ने यहां प्रकट किए हैं। गीता के श्लोक 9/10 में भी यह समझना आवश्यक है कि श्रीकृष्ण महाराज ब्रह्मलीन एवं ब्रह्म के आनंद में डूबे उस निराकार सर्वव्यापक ब्रह्म के गुणगान करते हुए स्वयं को ब्रह्म कह रहे हैं। इस विषय में गीता के कई श्लोकों में समझाया गया है। अतः यहां भी ‘अहम’ पद का अर्थ निराकार सर्वव्यापक, जन्म-मरण से रहित परमेश्वर है, जिसका गुणगान यहां योगेश्वर श्रीकृष्ण महाराज कर रहे हैं। अथर्ववेद मंत्र 7/21 में परमेश्वर को ‘पितरं’ कहा है। पितरं का अर्थ ही सबका रक्षण करने वाला पिता, पितामह आदि है। भाव यह है कि ईश्वर पिताओं का भी पिता है जिसने हमारे पिता, दादा, परदादा आदि सबको जन्म दिया है। ओंकारः पद का अर्थ ॐ है। जो कि जानने योग्य है अर्थात ईश्वर का पवित्र नाम ॐ है और ॐ के जाप, चिंतन, मनन से ईश्वर जाना जाता है। अब शेष रह गए चारों वेद। तो उसके विषय में सभी वेदों में  जैसे कि यजुर्वेद मंत्र 31/7 में कहा कि ऋक्, साम, यजु एवं अथर्ववेद सदा पृथ्वी के आरंभ में ईश्वर से उत्पन्न होकर चार ऋषियों के हृदय में प्रकट होते हैं। श्रीकृष्ण महाराज यहां कह रहे हैं कि परमेश्वर ही इस जगत का माता-पिता, पितामह, धाता और जानने योग्य पवित्र ओंकार अर्थात ॐ है।            


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App