चंडीगढ़ में अस्पताल खोलने को इच्छुक नहीं कंपनियां

चंडीगढ़ – स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ में कोई भी कंपनी निजी अस्पताल खोलने की इच्छुक नहीं है। नगर निगम ने मनीमाजरा में अस्पताल के लिए जमीन बेचने के लिए नीलामी का नोटिस निकाला गया था। इसके लिए बिड देने वाली कंपनियों को 20 अगस्त तक अपना नाम नगर निगम में रजिस्टर्ड करवाना था, लेकिन कोई भी कंपनी इसके लिए सामने नहीं आई। 23 अगस्त से अस्पताल की साइट के लिए ई-ऑक्शन शुरू होनी थी, लेकिन अब तक बोली नहीं लगेगी। जबकि इस साइट को बेचने के लिए नगर निगम ने विज्ञापन में भी खर्चा किया है। यहां तक कि देश के चला रहे बड़े अस्पतालों को भी ई-नीलामी की जानकारी भी पत्र और मेल करके दी गई थी। इसके बावजूद कोई कंपनी सामने नहीं आई है। अतिरिक्त कमिश्नर तिलक राज का कहना है कि फिर से टेंडर निकाला जाएगा। इस बात को देखा जा रहा है कि पहली बार में कोई कंपनी बिड देने के लिए सामने क्यों नहीं आई है। नगर निगम ने जो पिछले माह टेंडर निकाला था उसमे ई-बोली 23 अगस्त से शुरू होकर 26 अगस्त को 12 बजे तक समय तय किया गया था। नगर निगम ने मनीमाजरा में बनने वाले इस सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के लिए जमीन का रिजर्व प्राइस 81.07 करोड़ रुपए तय किया है। जबकि एमसी को इससे एक अरब से ज्यादा की कमाई होने की उम्मीद थी, लेकिन कोई भी बिडर न आने के कारण नगर निगम का सपना भी टूट गया है। क्योंकि इस समय नगर निगम के पास फंड की भारी कमी थी, नगर निगम को उम्मीद थी कि अस्पताल बेचकर जो राशि आएगी, उससे शहर के विकास के कामों पर खर्चा किया जा सकेगा। सीएचबी के पास आइटी पार्क स्थित अपनी जमीन पर 8.23 एकड़ की अस्पताल साइट है। इसका रिजर्व प्राइस 308 करोड़ रुपए रखा गया है। दो साल पहले नीलामी की कोशिश भी की थी, लेकिन कोई बिड न आने के कारण नीलामी फेल रही।

बनना है 300 बेड का हास्पिटल

नगर निगम ने जिस साइट के लिए नीलामी निकाली है, उसमें 300 बेड से ज्यादा का अस्पताल बनेगा। अगर यहां पर अस्पताल बनता है तो यह शहर का पहला सबसे बड़ा निजी अस्पताल होगा। यह जमीन 99 साल की लीज में दी जाएगी। मनीमाजरा के पॉकेट नंबर-1 में अस्पताल की साइट प्लाट नंबर-5 है।

साल 2003 में भी हुआ था प्रयास

नगर निगम को उम्मीद थी कि चंडीगढ़ में अस्पताल बनाने के लिए मेदांता, मैक्स और फोर्टिस जैसी कंपनियां भी जमीन के लिए बोली देने आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साल 2003 में भी नगर निगम ने शहर में अस्पताल की साइट बेचने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय जो रिजर्व प्राइस तय किया गया था, वह काफी ज्यादा होने के कारण कंपनियों ने हाथ पीछे खींच लिया था। कलेक्टर रेट बढ़ने के कारण जमीन की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। इसलिए रिजर्व प्राइस अधिक है।