चंबा सीमेंट प्लांट की कोई उम्मीद नहीं

शिमला  – चंबा के बड़ोहसिद्ध में सीमेंट प्लांट का सपना अब सपना ही बनकर रह जाएगा, क्योंकि कोई भी सीमेंट कंपनी इसे लेने के लिए तैयार नहीं है। खुद प्रदेश सरकार ने माना कि सीमेंट कंपनियां इसे लेने के लिए आगे नहीं आ रही हैं, लिहाजा अभी तक मामला खटाई में है। सदन में चंबा सीमेट प्लांट को लेकर विधायक आशा कुमारी ने सवाल उठाया, जिनका कहना है कि यदि कोई कंपनी बिडिंग के लिए नहीं आ रही है, जो उसे एमओयू के जरिए दिया जाए जैसे डालमिया के साथ एमओयू किया गया है। इस पर उद्योग मंत्री ने कहा कि  वर्ष 2015 से पहले एमओयू के जरिए सीमेंट प्लांट दिया जा सकता था, लेकिन केंद्र सरकार ने व्यवस्था को बदल दिया है। अब कोई भी सीमेंट प्लांट बिडिंग के माध्यम से ही दिया जा सकता है। सरकार बड़ोहसिद्ध प्लांट के लिए सड़क बनाने को भी तैयार है, जिसने शर्तों में भी कमी की थी। कंपनियों के साथ बातचीत भी की गई है, लेकिन सकारात्मक रूझान नहीं मिल पाया है। विधायक के सवाल पर उद्योग मंत्री ने बताया कि डालमिया सीमेंट के साथ चंडीगढ़ में एमओयू किया गया है, क्योंकि उनके साथ दूसरी औपचारिकताएं वर्ष 2012-13 में  पूरी हो चुकी हैं। एशियन सीमेंट से भी ऐसे ही किया गया था। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करें, जिसमें अधिकारी इन कंपनियों से बातचीत कर रास्ता निकाले। एक समय था कि पूर्व सांसद शांता कुमार ने इसकी आधारशिला रखने तक की बात कह दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि डालमिया ने 12 साल तक काम नहीं किया, फिर भी उसके साथ एमओयू किया गया है, जबकि प्लांट के लिए बिडिंग होनी चाहिए थी। विक्रम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो काम किए, वे चोर दरवाजे से नहीं किए हैं। अभी भी सरकार संभावनाओं पर काम कर रही है। मोदी सरकार ने प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए बिडिंग को अपनाने के लिए रास्ता निकाला है।

दो साल से ख्वाब

विधायक आशा कुमारी का कहना था कि दो साल से सरकार चंबा के लोगों को सीमेंट प्लांट का सपना दिखा रही है। यहां पर सड़क निर्माण के लिए पहले जमीन का अधिग्रहण करना होगा जो कुछ नहीं किया गया। इस पर उद्योग मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है, उसे पूरा किया जाएगा।