जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12ः09 बजे से

मतियाना – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को पूरे भारत वर्ष में हर्षोल्लास व विधि विधान के साथ मनाया जाता है और यह हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं। इस साल देशभर में जन्माष्टमी 23 अगस्त को मनाई जाएगी या 24 अगस्त को इसको लेकर उलझन की स्थिति है। वशिष्ठ ज्योतिष सदन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित शशि पाल डोगरा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था जो कि इस बार 23 अगस्त को पड़ रही है। इस वजह से जन्माष्टमी का पर्व 23 अगस्त को ही मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 12ः09 से 12ः47 बजे तक है पूजा शुभ मुहूर्त की अवधि 38 मिनट की होगी। जन्माष्टमी के दिन वैसे तो भगवान को कई चीजों का भोग लगाया जाता है, लेकिन आप जन्माष्टमी पर अगर भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई, साबुदाने अथवा चावल की खीर यथाशक्ति मेवे डालकर बनाकर उसका भोग लगाएं उसमें चीनी की जगह मिश्री डाले एवं तुलसी के पत्ते भी अवश्य डाले इससे भगवान श्री कृष्ण की कृपा से ऐश्वर्य प्राप्ति के योग बनते है।

सभी जान लें पूजा की विधि

यह व्रत अष्टमी तिथि से शुरू हो जाता है। सुबह स्नान के बाद मंदिर घर को साफ  करके बाल कृष्ण लड्डू गोपाल जी की मूर्ति मंदिर में रखे कर विधि विधान से पूजा करें। इसके बाद रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म कराएं। भगवान के गीत गाएं। गंगाजल से पहले कृष्ण को स्नान कराके नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं। भगवान के भजन गाएं। रात 12 बजे जन्म कराके गीत संगीत के बाद प्रसाद का वितरण करें।