जेन कहानियां : अंतिम चपत

By: Aug 31st, 2019 12:05 am

जेन साधक तांगेन जेन गुरु सेंगई के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। जब वे बीस वर्ष के हो गए, तो आगे की शिक्षा के लिए अन्यत्र जाना चाहा। सेंगई उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे। वे जब भी पूछने जाते, सेंगई उनके सिर पर हल्की सी चपत दे मारते।

अंततः तांगेन ने एक वरिष्ठ शिष्य से उनसे अपने लिए अनुमति प्राप्त करने की प्रार्थना की। वरिष्ठ शिष्य ने सेंगई से मिल कर तांगेन को कहा, अनुमति मिल चुकी है।

तुम जब चाहो यात्रा पर निकल सकते हो। तांगेन शुक्रिया अदा करने सेंगई के पास गया। गुरु ने तांगेन के सिर पर फिर एक चपत जड़ दी। तांगेन ने वरिष्ठ शिष्य को आकर बताया, तो उसने कहा, समझ में नहीं आता, मामला क्या है ?

उसके पास बार-बार निर्णय बदलने के सिवाय कोई काम नहीं रह गया क्या? फिर भी, मैं उनसे बात करूंगा।

मैंने अपनी अनुमति रद्द नहीं की, सेंगई ने वरिष्ठ शिष्य से कहा, मैं तो केवल उसके सिर पर एक अंतिम चपत जड़ना चाहता था, क्योंकि वह लौट कर आएगा तब तक तो सिद्ध पुरुष हो जाएगा। तब मैं उसके सिर पर चपत थोड़े ही मार पाऊंगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App