जेन संवाद
जेन कहानियां
दो जेन आश्रम आसपास थे। दोनों में एक-एक बालक रहता था। आश्रम के लिए सब्जी खरीदने बाजार जाते समय एक बालक दूसरे से मिला।
कहां जा रहे हो ? पहले ने पूछा।
जहां मुझे मेरे पांव ले कर जाएं। दूसरे ने जवाब दिया।
इस जवाब से भ्रमित पहले बालक ने अपने गुरु की शरण ली। ठीक है, कल मिलने पर उससे यही सवाल दोबारा पूछना।
वह फिर भी वही जवाब देगा। तब पूछना मान लो, तुम्हारे पांव है ही नहीं, तब तुम कहां
जा रहे हो। देखना उसकी अक्ल टिकाने आ जाएगी। अगली सुबह दोनो फिर मिले। कहां जा रहे हो, पहले ने पूछा।
जहां मुझे हवा उड़ा ले जाए। दूसरे ने जवाब दिया। पहला इस जवाब से फिर भ्रमित हुआ और गुरु के पास चला गया।
कल उससे पूछना, अगर हवा न हो तो वह कहां जा रहा है। गुरु ने सलाह दी। अगले दिन दोनों तीसरी बार मिले।
कहां जा रहे हो? पहले ने पूछा।
मैं सब्जी खरीदने के लिए बाजार जा रहा हूं। दूसरे ने जवाब दिया।
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