डेढ़ साल में पहली बार ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की मीटिंग

By: Aug 6th, 2019 12:25 am

शिमला – प्रदेश की जयराम सरकार को करीब डेढ़ साल बाद ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की याद आई। वर्तमान सरकार के इस कार्यकाल में परिषद की पहली बैठक सात अगस्त को होने जा रही है, जिसमें प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। पूर्व की वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में अंतिम बैठक 2017 में हुई थी। उसके बाद प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए और भाजपा सत्ता में आई, लेकिन डेढ़ साल में एक भी बैठक नहीं हो पाई, जिस कारण जनजातीय क्षेत्रों के मुद्दे एवं मांगों पर मंथन नहीं हो सका। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1977 में पहली बार हिमाचल में जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन करने का फैसला हुआ था। उस समय से लेकर प्रदेश की सभी सरकारें परिषद की बैठकें आयोजित करती आ रही हैं। हालांकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के पहले साल यानी 2018 में ही बैठक होनी थी, लेकिन परिषद के सदस्यों की नियुक्ति समय पर न होने के कारण मीटिंग नहीं हो पाई। ऐसे में अब सात अगस्त यानी बुधवार को प्रदेश सचिवालय में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में पहली बैठक होगी। मुख्यमंत्री स्व्यं इस परिषद के चेयरमैन हैं, जबकि जनजातीय विकास मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय, भरमौर के विधायक जिया लाल, किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी परिषद के सदस्य होंगे। कुल 20 सदस्यों की इस परिषद में सरकार ने किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी, प्रदेश भाजपा एसटी मोर्चा के अध्यक्ष एवं वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी सहित अन्य भाजपा नेताअें को सदस्य नियुक्त किया गया है। इस परिषद में जिला किन्नौर के भाजपा अध्यक्ष विनय नेगी भी सदस्य होंगे। सरकार ने जिला किन्नौर से सात, लाहुल-स्पीति और पांगी-भरमौर क्षेत्र से भी पांच सदस्य नियुक्त किए हैं। जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय जनजातीय आयोग के अध्यक्ष परिषद के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। इसी तरह प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव बीके अग्रवाल और सचिव जनजातीय विकास विभाग पदेन सदस्य हैं। जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में सभी सदस्य अपने क्षेत्रों से संबंधित एजेंडे सरकार के समक्ष रखेंगे, जिसका समाधान प्रदेश सरकार करेगी। सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर देंगे।

हर साल मीटिंग जरूरी

किन्नौर के विधायक एवं विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी ने कहा कि टीएसी की बैठक हर साल होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के लोगों के साथ अन्याय किया और डेढ़ साल में एक भी मीटिंग आयोजित नहीं की। उन्होंने कहा कि हर साल बैठक आयोजित करवाने के लिए उन्होंने कई बार सरकार के समक्ष मामला भी उठाया। जगत सिंह नेगी का आरोप है कि जनजातीय सलाहकार परिषद को सरकार ने पूरी तरह से राजनीतिकरण कर दिया। उन्होंने कहा कि टीएसी एक संवैधानिक परिषद है, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों के मद्दों पर चर्चा होती है और सरकार उसका समाधान भी करती है। जगत सिंह नेगी ने कहा कि इस बार होने वाली बैठक में कई मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगेंगे।

 


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