त्रिलोकीनाथ मंदिर

By: Aug 31st, 2019 12:07 am

लाहौल और स्पीति जिले में चंद्रभागा नदी के किनारे बसा हुआ छोटा सा कस्बा उदयपुर कई चीजों के लिए अलग और मशहूर है। साल में लगभग 6 महीने बर्फ  से ढके रहने वाली इस जगह पर माइनस 25 डिग्री सेल्सियस तक टेंपरेचर चला जाता है। समुद्र तल से 2,742 मीटर की ऊंचाई पर बसे उदयपुर में सिर्फ गर्मियों के सीजन में ही बाहर के लोग पहुंच सकते हैं। छोटी सी आबादी वाला यह इलाका त्रिलोकीनाथ मंदिर के लिए भी मशहूर है। यह मंदिर भी बेहद खास है। इस मंदिर में हिंदू भी पूजा करते हैं और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी। दुनिया में शायद यह इकलौता मंदिर है, जहां एक ही मूर्ति की पूजा दोनों धर्मों के लोग एक साथ करते हैं…

भगवान शिव का है रूप

हिमाचल टूरिज्म के मुताबिक, हिंदुओं में त्रिलोकनाथ देवता को भगवान शिव का रूप माना जाता है, जबकि बौद्ध इनकी पूजा आर्य अवलोकीतश्वर के रूप में करते हैं। हिंदू मानते हैं कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था। बौद्धों के विश्वास के अनुसार पद्मसंभव 8वीं शताब्दी में यहां पर आए थे और उन्होंने इसी जगह पर पूजा की थी।

इन रहस्यों से नहीं उठा पर्दा

स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य बरकरार हैं, जिनसे कभी पर्दा नहीं उठ सका। ऐसा ही एक मशहूर किस्सा कुल्लू के राजा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि वह भगवान की इस मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे, हालांकि मूर्ति इतनी भारी हो गई कि इसे उठाया ही नहीं जा सका। संगमरमर की इस मूर्ति की दायीं टांग पर एक निशान भी है। माना जाता है कि यह निशान उसी दौरान कुल्लू के एक सैनिक की तलवार से बना था। मंदिर को कैलाश और मानसरोवर के बाद सबसे पवित्र तीर्थ माना जाता है।

यहां पर दो धर्म के लोग करते हैं साथ पूजा

त्रिलोकीनाथ मंदिर में 2 धर्मों के लोग एक साथ पूजा करते हैं, लेकिन इस इलाके के लिए यह हैरानी की बात नहीं है। लाहौल स्पीति और इसके साथ बसे किन्नौर जिले में दोनों धर्मों के लोग एक साथ बसते हैं। इतना ही नहीं, ज्यादातर जगहों पर लोग दोनों धर्मों को मानते हैं। ऐसा ही कुछ किन्नौर के मशहूर गांव छितकुल में देखने को मिलता है। हिंदुस्तान-चीन बॉर्डर पर बसा यह आखिरी गांव भी कहा जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि लोग दोनों धर्मों को मानते हैं। बाकी हिमाचल की तरह उनके गांव में भी कुलदेवी है। वे उनकी पूजा करते हैं। मंदिर के साथ ही एक गोंपा है, जो बौद्ध मंदिर होता है। वे हिंदू रिवाजों को मानते हैं, लेकिन उनके यहां पुजारी की जगह बोद्ध लामा की होती है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App