धंसने लगा नगरोटा, घरों में आई दरारें

द्रंग नमक खान की जमीन बैठने से खतरे की जद में आया गांव, कइयों ने छोड़े घर

पद्धर –12 अगस्त, 2019 को  कोटरूपी त्रासदी को दूसरा वर्ष हुआ नहीं कि अब वर्षों से अनदेखी का शिकार जिला मंडी का ऐतिहासिक नगरोटा गांव द्रंग नमक खान की जमीन धंसने से पूरी तरह खतरे की जद में आ गया है। नगरोटा और आसपास के लगभग एक दर्जन गांव में ग्रामीणों के रिहायशी मकानों को दरारें आ गई हैं। नगरोटा गांव का लक्ष्मी-नारायण मंदिर तक टेढ़ा हो गया है। बरसात के मौसम में यहां जमीन धंसने का खतरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में ग्रामीण दहशत के साए में रातें गुजार रहे हैं। सरकार और प्रशासन नगरोटा गांव में धंस रही जमीन को हलके से ले रहे हैं। समय रहते यहां स्थिति का जायजा लेकर कोई समाधान नहीं ढूंढा जाता है तो एक बड़ी त्रासदी को न्योता मिल सकता है। जमीन धंसने का सिलसिला वर्षों से निरंतर जारी है। खौफ  के चलते अधिकतर ग्रामीणों ने यहां से अपना पलायन कर लिया है जो दूसरी जगहों में किराए के मकानों में रह रहे हैं। नगरोटा गांव के लोगों ने नए आवास बनाने बंद कर दिए हैं, जो मकान बने हुए हैं वह जरा भी सुरक्षित नहीं हैं। समीप के गांव भराड़ा में 15 बीघा भूमि में दरारें आई हैं। यहां भू-स्खलन की प्रक्रिया निरंतर जारी है। 10 वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने मामला पुरातत्व विभाग और भाषा एवं संस्कृति विभाग के ध्यानार्थ लाया। लक्ष्मी नारायण मंदिर के जीर्णोद्धार का मामला ग्रामीणों ने टीम से उठाया। उस वक्त गांव में जायजा लेने पहुंची टीम ने मंदिर मुद्दे पर प्राचीन धरोहर के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ न करने के फरमान जारी कर दिए और वर्तमान में मंदिर गिरने की कगार पर है। जमीन धंसने का मामला ग्रामीणों ने प्रदेश की सरकारों से कई मर्तबा उठाया। गत वर्ष द्रंग नमक खान का उद्घाटन करने पहुंचे सांसद राम स्वरूप शर्मा से भी ग्रामीणों ने सरकार के माध्यम से उनका पलायन सुरक्षित स्थान को करने और मुआवजे की मांग उठाई है। इस मुदे पर गुस्साए ग्रामीणों ने सांसद को मंच पर भी घेरा था।

नालियां बंद, दरारों में घुस रहा बारिश का पानी

ग्रामीणों का कहना है कि द्रंग से लेकर हुल्लु तक सड़क  के पानी की निकासी को बनी नालियां बंद पड़ी हैं। वर्षा का पानी जमीन में पड़ी दरारों में घुस रहा है, जिससे यहां भू-स्खलन का खतरा बढ़ गया है।

न्याय न मिला तो नहीं लगने देंगे उद्योग

द्रंग नमक खान से नगरोटा के साथ-साथ भराड़ा, कुलांदर, हुल्लु, मसेरन, भटोग, धार, सेगलढूहग सहित एक दर्जन गांव के ग्रामीण प्रभावित हुए हैं। ग्रामीणों चेत राम, अनंत राम, महेंद्र सिंह, संतोष कुमार, खूब सिंह, सुरेंद्र ठाकुर, राजेश शर्मा, सत्या देवी, सचिन ठाकुर, रितेश शर्मा, हेम सिंह, रविकांत ठाकुर, अजय ठाकुर, खेम सिंह, कुशल चंद, रोशन लाल, दुर्गा दत्त ठाकुर, कुलदीप शर्मा, किशोरी लाल, ओम प्रकाश का कहना है कि द्रंग नमक खान से वर्षों से जमीन धंसने का सिलसिला जारी है। कुछ ग्रामीणों ने खतरे को देखते हुए दूसरी जगहों को पलायन कर लिया है, जो किराए के मकानों में रह रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने 300 करोड़ का उद्योग लगाने को मंजूरी दे दी है। जब तक प्रभावितों को न्याय नहीं मिलता ग्रामीण उद्योग को यहां स्थापित नहीं होने देंगे। सरकारें प्रभावितों को जमीनें और मुआवजा देने के नाम पर छलती आ रही हैं।      

प्रभावितों से मिले समाजसेवी संजय शर्मा

समाजसेवी संजय शर्मा ने सोमवार को द्रंग के नगरोटा गांव का दौरा कर द्रंग नमक खान प्रभावितों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने जमीन धंसने से गांव को बने खतरे का भी जायजा लिया। द्रंग नमक खान के प्रभावितों की लंबे समय से अनदेखी करने पर संजय शर्मा ने सरकार के रवैये को लेकर तीखी प्रतिक्रिया की। उन्होंने कहा कि अनदेखी से तो यही बात स्पष्ट होती है कि सरकार यहां कोटरोपि त्रासदी जैसी बड़ी त्रासदी का इंतजार तो नहीं कर रही है।