धर्मपुर के पास नेशनल हाई-वे धंसा

By: Aug 14th, 2019 12:15 am

एक तरफ मार्ग बंद, फोरलेन में तबदील हुए मार्ग पर छह माह के भीतर पड़ी दरारें, कंपनी के कामकाज पर उठे सवाल

धर्मपुर -कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पांच पर धर्मपुर के समीप सड़क धंस गई है। इस कारण एक तरफा सड़क को बंद कर दिया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि इस सड़क को फोरलेन में तबदील किए लगभग छह महीने का समय ही हुआ था लेकिन यहां पर अभी से ही खतरा पैदा हो गया है। बताया जा रहा है कि यहां पर पहले दरारें पड़नी शुरू हो गई थी जिसके बाद सड़क धंसी गई है। छह महीने में सड़क के धंस जाने से कंपनी की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। बता दें कि कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पांच पर बरसात के दिनों में हर बार सड़क धंस जाने के मामले सामने आते है।  इस बरसात में अभी तक धर्मपुर व सोलन सब्जी मंडी के समीप सड़क धंसने के मामले सामने आए है। धर्मपुर के दोसड़का के समीप बीते दिनों सड़क धंस गई। हालांकि खतरे को देखते हुए इस सड़क को बंद कर दिया गया है और इस पैच को ठीक करने के लिए फोरलेन निर्माता कंपनी ने अपनी टीम को कार्य पर लगा दिया है। गौरतलब हो कि कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पांच पर परवाणू से सोलन(चंबाघाट) तक फोरलेन निर्माण कार्य तेजी से चला हुआ है। हालांकि कंपनी द्वारा पहाड़ों पर भू-स्खलन को रोकने के लिए कई विदेशी तकनीकों का प्रयोग किया है लेकिन यह सभी तकनीकें सफल नहीं हुई है। सबसे पहले पहाड़ों से भू-स्खलन होने से आरएस वाल से बने डंगे लगाए गए थे, लेकिन यह आरएस वाल से बने डंगे धंस गए थे। वहीं दूसरी ओर पहाड़ के ऊपर बनाई जा रही विदेशी तर्ज पर तैयार की सड़कें भी धंसनी शुरू हो गई है। जहां एक ओर कंपनी जल्द कार्य को पूरा करने के लिए नेशनल हाई-वे पर दिन-रात कार्य कर रही है। वहीं दूसरी पहली तकनीक से असफल होने के बाद परवाणू से सोलन (चंबाघाट) तक फोरलेन निर्माण पर पहाड़ों पर मलबा रोकने के लिए क्रेट वायर तकनीक से बने डंगे लगाए गए थे परंतु यह डंगे पिछली बरसात में न टिक पाने के कारण कंपनी द्वारा आरसीसी वाल के डंगे लगाने शुरू कर किए थे लेकिन यह डंगे भी बारिश के साथ बह गए जिसके बाद कंपनी द्वारा बाहरी देशों में अपनाई जाने वाली प्लम कंक्रीट तकनीक के माध्यम से कई जगहों पर डंगों का निर्माण किया गया था पर अब यह तकनीक भी असफल हो गई। इसके पश्चात पहाड़ों से भू-स्खलन न हो इसके लिए बीज डाले गए थे। यह बीज कंपनी द्वारा जियोलॉजी सलाह के बाद डालने शुरू किए थे। कंपनी द्वारा इन बीजों की खासियत बताई थी कि यह बीज से निकलने वाले पौधे की जड़े इतनी मजबूत होती है कि वह मिट्टी को जल्द खिसकने नहीं देती लेकिन इसके विपरीत हुआ।

 


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