निराशा छोड़ अवसर देखें

By: Aug 20th, 2019 12:07 am

मंदी की रिपोर्टों के बीच आरबीआई गवर्नर की लोगों को सलाह

मुंबई – भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को माना कि इस समय घरेलू अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही है और इसके सामने आंतरिक तथा बाह्य दोनों स्तर पर कई चुनौतियां हैं, पर उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि लोगों को निराशा के राग में सुर से सुर मिलाने की जगह आगे के अवसरों को देखना चाहिए। शक्तिकांत दास का यह वक्तव्य ऐसे समय आया है जबकि देश के कारोबार जगत के बड़े लोग हाल में बजट में उठाए गए कुछ कदमों को लेकर सरकार से नाखुश हैं। इनमें धनिकों और विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों (एफपीआई) पर आयकर अधिभार की दर में बढ़ोतरी भी शामिल है। आयकर अधिभार बढ़ाए जाने के बाद से एफपीआई ने शेयर/बांड बाजार में बिकवाली बढ़ा रखी है। इससे पांच जुलाई के बाद प्रमुख शेयर सूचकांक 13 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर दास ने यहां उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बैंकिंग सम्मेलन में कहा कि अखबार पढ़ कर या बिजनेस टीवी चैनल को देख कर मुझे लगता है कि (लोगों के) मन में पर्याप्त उत्साह और उमंग नहीं है।’ लोगों को समझना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में चुनौतियां जरूर है। कुछ क्षेत्र विशेष से जुड़े मसले हैं और अनेक वैश्विक और बाहरी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा, ‘आज कुछ लोगों का मूड अस्तित्व की चिंता से भरा है तो कुछ सकारात्मक मूड में हैं। मेरा मानना है कि सोच की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कृपया आगे के अवसरों की ओर देखिए। हम मानते हैं कि इस समय चुनौतियां और कठिनाइयां हैं। ये बाहर से भी है और अंदर से भी, लेकिन व्यक्ति को अवसरों को देखना चाहिए और उसका फायदा उठाना चाहिए।

दास का नया शब्द…पैनगलॉस बनें

नई दिल्ली – देश में मंदी की चर्चाओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक नया शब्द पैनगलॉस दिया है। इसका अर्थ शायद बहुत कम लोगों को ही मालूम था और लोग इसे गूगल पर सर्च कर अर्थ जानने की कोशिशों में जुटे रहे। फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि निराशा और सब कुछ खत्म हो गया है, जैसी सोच से किसी को भी मदद नहीं मिलने वाली। मैं यह नहीं कहता हूं कि हमें पैनगलॉस दृष्टिकोण रखना चाहिए और हर चीज पर हंसना चाहिए, लेकिन बहुत निराशा से भी किसी को मदद नहीं मिलेगी। शक्तिकांत दास की ओर से यह शब्द दिए जाने के बाद से ही लोग इसे सर्च करने लगे। इसका अर्थ होता है, हर चीज बेहतर के लिए ही होती है। इसे बहुत ज्यादा आशावादी होना भी कह सकते हैं। यह शब्द असल में एक हास्य उपन्यास रचना वोल्टायर के किरदार डा. पैनगलॉस से आया है। उपन्यास में डा. पैनगलॉस बेहद आशावादी होता है। यहां तक कि बेहद मुश्किलों और क्रूरता का सामना करने के बाद भी वह आशावादी रहता है।

मंदी पर चुप्पी के लिए प्रियंका ने घेरी सरकार

नई दिल्ली – कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वढेरा ने देश में जारी मौजूदा आर्थिक मंदी के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखने के लिए सवाल कई खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया पर लिखी पोस्ट में कहा कि सरकार की इस मुद्दे पर चुप्पी खतरनाक है। कंपनियां बंद हो रही हैं। कंपनियां कर्मचारियों की छटनी कर रही हैं और भाजपा सरकार इस मुद्दे पर लगातार चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने सवाल किया कि आर्थिक मंदी के लिए कौन जिम्मेदार है? कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार पर देश में वर्तमान में आर्थिक मंदी को लेकर लगातार हमलावर बनी हुई है। पार्टी का आरोप है कि सरकार इस स्थिति से उबरने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।


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