मंदी की रिपोर्टों के बीच आरबीआई गवर्नर की लोगों को सलाह
मुंबई – भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को माना कि इस समय घरेलू अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही है और इसके सामने आंतरिक तथा बाह्य दोनों स्तर पर कई चुनौतियां हैं, पर उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि लोगों को निराशा के राग में सुर से सुर मिलाने की जगह आगे के अवसरों को देखना चाहिए। शक्तिकांत दास का यह वक्तव्य ऐसे समय आया है जबकि देश के कारोबार जगत के बड़े लोग हाल में बजट में उठाए गए कुछ कदमों को लेकर सरकार से नाखुश हैं। इनमें धनिकों और विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों (एफपीआई) पर आयकर अधिभार की दर में बढ़ोतरी भी शामिल है। आयकर अधिभार बढ़ाए जाने के बाद से एफपीआई ने शेयर/बांड बाजार में बिकवाली बढ़ा रखी है। इससे पांच जुलाई के बाद प्रमुख शेयर सूचकांक 13 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर दास ने यहां उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बैंकिंग सम्मेलन में कहा कि अखबार पढ़ कर या बिजनेस टीवी चैनल को देख कर मुझे लगता है कि (लोगों के) मन में पर्याप्त उत्साह और उमंग नहीं है।’ लोगों को समझना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में चुनौतियां जरूर है। कुछ क्षेत्र विशेष से जुड़े मसले हैं और अनेक वैश्विक और बाहरी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा, ‘आज कुछ लोगों का मूड अस्तित्व की चिंता से भरा है तो कुछ सकारात्मक मूड में हैं। मेरा मानना है कि सोच की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कृपया आगे के अवसरों की ओर देखिए। हम मानते हैं कि इस समय चुनौतियां और कठिनाइयां हैं। ये बाहर से भी है और अंदर से भी, लेकिन व्यक्ति को अवसरों को देखना चाहिए और उसका फायदा उठाना चाहिए।
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