नेरवा में अभी भी नहीं सुधरे हालात

By: Aug 24th, 2019 12:18 am

बाढ़, बारिश से प्रभावित क्षेत्र में बिजली, पानी के लिए हाहाकार

नेरवा –बारिश और बाढ़ त्रासदी को एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद भी जन जीवन सामान्य नहीं हो पाया है। कई क्षेत्र जहां बाढ़ और बारिश ने लाइनें पूरी तरह जमीन पर बिछा दी हैं। बत्ती गुल होने से एक हफ्ते से अंधेरे में डूबे हुए हैं बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से बिजली की कई किलोमीटर लाइनें और खम्भे जमीन पर बिछ गए हैं। विभाग दिन रात एक कर बिजली बहाल करने में जुटा हुआ है। बिजली विभाग ने बारिश रूकने के 24 घंटे के भीतर ही नेरवा व कुछ अन्य क्षेत्रों की बिजली बहाल कर लोगों को जो राहत बख्शी है उसकी क्षेत्र के लोगों द्वारा भरपूर सराहना की जा रही है। विभाग शुक्रवार तक अधिकाँश क्षेत्रों की बिजली बहाल कर चुका है केवल थरोच क्षेत्र में बिजली लाइनों के पूरी तरह तहस नहस होने से यहां की बिजली अभी तक बहाल नहीं हो पाई है। विभिन्न जल स्त्रोतों के बह जाने और पाइप लाइनों के टूटने और बह जाने से पीने के पानी के लिए भी हाहाकार मचा हुआ है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को भी बारिश ने करोड़ों रुपये की चपत लगाईं है कई क्षत्रों में लोग नदी नालों के पानी से गुजारा कर रहे हैं। नेरवा की समीपवर्ती बस्ती शिहकयार में बीते शनिवार से छह दिनों तक नलों में एक बूंद पानी नहीं टपका जिस वजह से लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। हालांकि विभाग ने शिहकयार बस्ती में शुक्रवार को पेयजल आपूर्ति बहाल कर लोगों को बड़ी राहत बख्शी है। वहीं अधिकांश बंद सड़कों ने आम लोगों के साथ साथ बागवानों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। लोक निर्माण विभाग ने भले ही मुख्य मार्ग यातायात के लिए बहाल कर दिए हों, परन्तु आधे से ज्यादा संपर्क मार्ग एक सप्ताह बाद भी अवरुद्ध पड़े हैं जिस वजह से जगह-जगह तड़ान कर पेटियों में भरा सेब सड़ना भी शुरू हो गया है। उत्तराखंड की सीमा पर स्थित दूरदराज क्षेत्र किरण में बाइस हजार सेब की पेटियां भर कर तैयार हैं परन्तु सड़क के बंद होने से यहां पर सेब सड़ना शुरू हो गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार किरण में करीब छह हजार पेटी सेब सड़ चुका है व पेटियों में भरे एवं बागीचों लगे सेब के भी सड़ने की नौबत आ गई है। इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रों में भी हजारों पेटी सेब फंसा पड़ा है व सड़ने के कगार पर है कई क्षेत्रों में लोग पीठ पर ढुलान कर नदी, नालों को पार करते हुए सेब को मुख्य मार्गों तक पहुंचा रहे हैं। बागबानों को सेब ढुलान के लिए  लेबर भी नहीं मिल रही है जिस वजह से उनकी मुश्किलों में और अधिक बढ़ोतरी हो गई है। स्थानीय लोगों ने विभाग से गुहार लगाईं है कि बंद पड़े संपर्क मार्गों को शीघ्र बहाल किया जाए ताकि बागवानों का सेब सड़ने से बच सके।


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