फ्लोरीकल्चर में करियर

By: Aug 7th, 2019 12:25 am

किसी भी पार्टी, कान्फ्रेंस या फिर मीटिंग में जाएं, वहां आज कैटरिंग के बाद सबसे ज्यादा ध्यान फूलों की डेकोरेशन पर ही दिया जाता है। इन्हीं सब कारणों से फूलों से उत्पादन में खासा इजाफा देखने को मिल रहा है। फूल उगाने की प्रक्रिया को फ्लोरीकल्चर के नाम से जाना जाता है। यदि आपको भी फूलों से प्यार है और आप भी इस क्षेत्र में अपना भविष्य संवारना चाहते हैं, तो फिर इस दिशा में उपलब्ध कोर्स आपको सफलता के शिखर तक पहुंचा सकते हैं….

जीवन

में खुशी के रंग भरना हो या फिर देवी-देवताओं को प्रसन्न करना हो या फिर किसी को श्रद्धांजलि अर्पित करना हो, इन सबमें इजहार का माध्यम बनता है फूल। वैसे भी आजकल फूलों को लेकर की गई सजावट का कोई जवाब नहीं है। ये बेजान पड़ी चीजों में एक नई जान डाल देते हैं। आप किसी भी पार्टी, कान्फ्रेंस या फिर मीटिंग में जाएं, वहां आज केटरिंग के बाद सबसे ज्यादा ध्यान फूलों  की डेकोरेशन पर ही दिया जाता है। इन्हीं सब कारणों से फूलों  के उत्पादन में खासा इजाफा देखने को मिल रहा है। फूल उगाने की इस प्रक्रिया को फ्लोरीकल्चर के नाम से जाना जाता है। यदि आपको भी फूलों से प्यार है और आप भी इस क्षेत्र में अपना भविष्य संवारना चाहते हैं, तो फिर इस दिशा में उपलब्ध कोर्स आपको सफलता के शिखर तक पंहुचा सकते हैं।

क्या है लोरीकल्चर

लोरीकल्चर हार्टिकल्चर की एक शाखा है, जिसमें फूलों की पैदावार, मार्केटिंग, कॉस्मेटिक और परफ्यूम इंडस्ट्री के अलावा फार्मास्यूटिकल आदि शामिल हैं। युवा इस व्यवसाय को शुरू करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

लोरीकल्चर में काम

इस क्षेत्र में अनुभवी होने के लिए आपको कृषि विज्ञान में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट होना जरूरी है। तभी आप फ्लोरीकल्चर में महारत हासिल कर पाएंगे। फ्लोरीकल्चर पाठ्यक्रम के अंर्तगत फूलों  को झड़ने से कैसे बचाया जाए, फूलों  को लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखा जाए, उसकी अच्छी क्वालिटी को कैसे अधिक से अधिक बढ़ाया जाए, बड़े आकार के फूल व अधिक से अधिक संख्या में फूलों का उत्पादन कैसे किया जाए, फूलों की कटिंग कैसे की जाए ताकि दूसरे फूल को हानि न पहुंच, कौन से फूल का उत्पादन बीज के जरिए किया जाए और कौन से फूल का बल्ब के जरिए यानी डंठल के जरिए, बेमौसमी फूलों ंका उत्पादन कैसे किया जाए, एक्सपोर्ट के दौरान फूलों का संरक्षण कैसे किया जाए जैसी फूलों से जुड़ी तमाम बातों की जानकारी इस पाठ्यक्रम के जरिए दी जाती है।

कोर्स एवं अवधि

ग्रेजुएट स्तर पर पढ़ाई के लिए चार साल व पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर पढ़ाई के लिए दो साल की समय सीमा निर्धारित है। ऐसे स्टूडेंट्स जो नॉन एग्रीकल्चर क्षेत्र से आते हैं, उनके लिए पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर पढ़ाई के लिए तीन साल की समय सीमा निर्धारित है। इसके अलावा कुछ विश्वविद्यालयों में इंटर, डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स का भी प्रावधान है। इन सभी की समय सीमा क्रमशः एक साल, दो साल से लेकर छह व तीन माह तक निर्धारित है। हालांकि अलग-अलग विश्वविद्यालयों के इस संबंध में अलग- अलग मापदंड निर्धारित हो सकते हैं।

असीमित आमदनी

किसान यदि एक हेक्टेयर में गेंदे का फूल लगाते हैं तो वे वार्षिक आमदनी 1 से 2 लाख तक बढ़ा सकते हैं। इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती करते हैं तो दोगुनी तथा गुलदाउदी की फसल से 7 लाख रुपए सालाना आसानी से कमा सकते हैं। इसमें आमदनी मेहनत पर निर्भर करती है।

विविधता लिए क्षेत्र

फूलों में रैनन क्लाउज, स्वीट, विलियम, डेहलिया, लुपिन, वेरबना, कासमास आदि के फूल लगा सकते हैं। इसके अलावा गुलाब की प्रजातियों में चाइनामैन, मेट्रोकोनिया फर्स्ट प्राइज, आइसबर्ग और ओक्लाहोमा जैसी नई विविधताएं हैं, जो शर्तिया कमाई देती हैं। इसके साथ-साथ मोगरा, रात की रानी, मोतिया, जूही आदि झाडि़यों के अलावा साइप्रस चाइना जैसे छोटे-छोटे पौधे लगा कर अच्छी कमाई की जा सकती है।

कहां बेचें फूल

दिल्ली में फूलों की सबसे बड़ी मंडी है। इस मंडी में देश-विदेश के फूल व्यापारी खरीद-फरोख्त करते हैं। लगभग सौ कंपनियां फूल उत्पादन व उनके व्यापार में 2500 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश कर चुकी हैं। इन कंपनियों के एजेंट हर जगह उपलब्ध हैं। आप अपने खेतों में उत्पन्न फूलों को बेचने के लिए इनसे संपर्क कर सकते हैं।

फूलों के विभिन्न प्रयोग

फूल सजावट के काम आते हैं। इससे माला, गजरा, सुगंधित तेल, गुलाब जल, गुलदस्ता और परफ्यूम आदि बनाए जाते हैं।

जगह कितनी हो

इस काम के लिए सवा बीघा जमीन काफी है, लेकिन जमीन पांच बीघा हो तो ज्यादा बेहतर है। इसे एक नर्सरी के तौर पर खोला जाए, जहां कम से कम दो नलकूप जरूर होने चाहिए।

पैदावार कब

फूलों की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त समय सितंबर से मार्च तक है, लेकिन अक्तूबर से फरवरी का समय इस व्यवसाय के लिए वरदान है। वैसे तो फूलों का कारोबार और पैदावार साल भर चलती है, पर जाड़ों में यह बढ़ जाती है।

सरकार से ऋण व्यवस्था

इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी बैंक 5 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध करवाते हैं। फूलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने वाली कई संस्थाएं भी प्लानिंग तथा ट्रेनिंग उपलब्ध कराती हैं।

बीमारी से बचाव

कीट भक्षी पक्षी और छोट-छोटे कीड-मकोड़े फूलों के दुश्मन होते हैं। इनसे बचाव के पूरे इंतजाम होने चाहिए। समय-समय पर दवाओं का छिड़काव भी जरूरी है। सर्दियों में फूलों को बचाने के लिए क्यारियों पर हरे रंग की जाली लगानी चाहिए।

रोजगार के अवसर

यह ऐसा क्षेत्र है,जहां आप सरकारी व निजी क्षेत्र के अलावा स्वयं का व्यवसाय कर अच्छा-खासा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। क्योंकि अन्य फसल व सब्जी की अपेक्षा इसमें अधिक मुनाफा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश में प्रतिवर्ष 20 प्रतिशत के हिसाब से फूलों  की खपत बढ़ रही है। एक सर्वे के अनुसार फूलों के कारोबार से लगभग पूरे देश में पांच लाख लोग आजीविका चला रहे हैं। पूरे देश में फूलों ंकी मांग के हिसाब से आपूर्ति महज केवल 60 प्रतिशत ही हो पाती है। इस हिसाब से देखा जाए, तो एक्सपोर्ट के कारोबार में फूलों का एक अच्छा स्कोप है। नौकरी व व्यवसाय के अलावा रिसर्च एवं टीचिंग के क्षेत्र को भी अपनाया जा सकता है। नर्सरी खोल कर स्वरोजगार करें तो अच्छी कमाई हो सकती है। इसके अलावा फ्लोरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लोरीकल्चर थैरेपिस्ट, ग्राउंडकीपर्स, प्लांटेशन एक्सपर्ट के अलावा पीएचडी करके देश की किसी भी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर नियुक्त हो सकते हैं।

शैक्षणिक योग्यता

सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री जैसे कोर्स के लिए दस जमा दो में बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ पास होना जरूरी है। लेकिन मास्टर्स डिग्री के लिए एग्रीकल्चर में बैचलर डिग्री जरूरी है। मास्टर्स डिग्री के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ  एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा ऑल इंडिया एंट्रेंस टेस्ट परीक्षा ली जाती है। गौरतलब है कि किसी भी यूनिवर्सिटी में फ्लोरीकल्चर ऑनर्स की पढ़ाई नहीं करवाई जाती बल्कि बीएससी एग्रीकल्चर में एक विषय के तौर पर फ्लोरीकल्चर पढ़ाया जाता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App