बहनें तैयार, आज भाइयाें का इंतजार

By: Aug 16th, 2019 12:12 am

रक्षाबंधन को लेकर जिला में रंग-बिरंगी राखियों से सजे बाजार,जमकर खरीददारी

सोलन -भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत प्रेम पूर्ण आधार देता है रक्षाबंधन का त्योहार। श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय महत्त्व भी है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है तथा उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती है। बहन के इस स्नेह से बंधकर भाई उसकी रक्षा के लिए कृत संकल्प होता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देता है। यह त्यौहार भाई और बहन के रिश्ते को और भी ज्यादा मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है। राखी कई तरह की हो सकती है जैसे कच्चे सूत की या रंगीन कलावे, रेशमी धागे या फिर सोने या चांदी की ब्रेसलेट आदि। इस साल रक्षा बंधन पर भद्रकाल नहीं पड़ रहा है इसलिए इसे किसी भी शुभ मुहूर्त में मनाया जा सकता है।  भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार रक्षा बंधन वीरवार को सोलन जिला में धूमधाम से मनाया जा रहे है। इस त्योहार को लेकर बाजार गुलजार हो गए हैं। दुकानों पर बहनें अलग-अलग डिजाइन की रंग-बिरंगी राखियां खरीद रही हैं। इसी तरह भाईयों द्वारा बहनों के लिए उपहार की खरीदारी की जा रही है। भाइयों द्वारा भी बहनों के लिए उपहार खरीदे जा रहे हैं। कोई चॉकलेट का सैट खरीद रहा है तो कोई सूट और साड़ी की खरीदारी कर रहा है। इसके अलावा सोने-चांदी के जेवरात भी खरीदे जा रहे हैं। व्यापारी अंकुर ने  बताया कि रक्षा बंधन पर्व को लेकर कॉटन साड़ी और सूटों की बिक्री ज्यादा हुई है। वहीं रखी के त्यौहार को लेकर बच्चों में छोटा भीम और म्यूजिकल राखी का क्रेज है ।

 ऐसे हुई रक्षाबंधन की शुरुआत

ऐसी मान्यता है कि श्रावणी पूर्णिमा या संक्रांति तिथि को राखी बांधने से बुरे ग्रह कटते हैं। श्रावण की अधिष्ठात्री देवी द्वारा ग्रह दृष्टि-निवारण के लिए महर्षि दुर्वासा ने रक्षाबंधन का विधान किया।

इंद्राणी ने इंद्र को बांधा था रक्षा सूत्र

एक और पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवों एवं दैत्यों में बारह वर्ष तक युद्ध रोक देने का निश्चय किया, किंतु इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने पति की रक्षा एवं विजय के लिए उनके हाथ में वैदिक मंत्रों से अभिमंत्रित रक्षा सूत्र बांधा। इसके बाद इंद्र के साथ सभी देवता विजयी हुए। तभी से इस पर्व को रक्षा के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।

 


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