बेनूर आंखों को सहेजने में हिमाचल ‘फेल’

By: Aug 27th, 2019 12:30 am

प्रदेश के सभी जिलों में नहीं खुल पाए आई-डोनेशन सेंटर, सभी जिलों को दिए गए थे पैसे

शिमला  –प्रदेश  में हर वर्ष आठ से दस आंखें महज इसलिए बेकार हो जाती हैं, क्योंकि उसे सहेजने के लिए आई डोनेशन सेंटर ही नहीं खुल पाए हैं। बेनूर आंखों को सहेजने में यदि ये सेंटर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में खोले जाते हैं, प्रदेश में यह ग्राफ और बेहतर हो सकता है। गौर हो कि इस सेंटर के खुलने से आंखों को चार से पांच घ्ांटे की समय अवधि के लिए सहेजा जा सकता है, जिसके बाद इसे आई ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी और टांडा के लिए भेजा जा सकता है। प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश के सभी सीएमओ को आई डोनेशन सेंटर खोलने के लिए बजट जारी किया गया था, जिसमें लगभग एक-एक लाख रुपए जारी किए गए थे, लेकिन दो जिला अस्पतालों के अलावा कोई भी अस्पताल यह सेंटर नहीं खोल पाया है। शिमला की भौगोलिकी तस्वीर को देखते हुए यह सेंटर शिमला में खुलना भी जरूरी था। लगभग दो वर्ष पहले यह राशि संबंधित जिला सीएमओ को दी गई थी, लेकिन जिला अस्पताल यह स्टोरेज सेंटर खोलने में असमर्थ साबित हुआ। आई डोनेशन सेंटर में तब तक आंखों को सुरक्षित रखा जा सकता है, जब तक आई बैंक में अांखों को न पहुंचाया न जा सके। अांखें दान करने वाले दानियों की आंखें समय पर आईजीएमसी न पहुंच पाए, तो उसकी रोशनी समाप्त हो जाती है, जिससे हर वर्ष लगभग दस आंखें खराब भी हो रही हैं।  गौर हो कि 25 अगस्त से नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है। वहीं नाहन और धर्मशाला में ये सेंटर खुले हैं। अभी आईजीएमसी और टांडा में ही आई ट्रांसप्लांट हो रहा है।

यह है ट्रांसप्लांट की तस्वीर

आईजीएमसी में 255 आई ट्रांसप्लांट हो गए हैं। वहीं टांडा मेडिकल कालेज में अभी आंकड़ा पांच तक नहीं पहुंचा है। इसके लिए अभी यह भी बेहद जरूरी है कि ये सेंटर सभी जिलों में खोले जा सकें । वर्ष 2017-18 की आई डोनेशन रिपोर्ट पर गौर करें, तो नेत्रदान संकल्प करने वालों की संख्या भी अच्छी थी। 280 लोगों ने नेत्रदान करने की इच्छा जाहिर की गई है। उधर, प्रदेश में अभी भी आईजीएमसी की लिस्ट में सौ लोग ऐसे हैं, जो आई ट्रांसप्लांट की वेटिंग लिस्ट में हैं।


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