ब्रेकल कंपनी पर 11 साल बाद 420 का केस

By: Aug 14th, 2019 12:01 am

सरकार से धोखाधड़ी से हासिल किया था जंगी-थोपन हाइडल प्रोजेक्ट, सौंपे गए थे फर्जी दस्तावेज

शिमला – अदानी ग्रुप के कारण चर्चा में आई ब्रेकल कंपनी ने धोखाधड़ी कर हिमाचल सरकार से हाइडल प्रोजेक्ट हासिल किया था। स्टेट विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन ब्यूरो की जांच में खुलासा हुआ है कि ब्रेकल कंपनी ने 960 मेगावाट क्षमता वाली जंगी-थोपन विद्युत परियोजना के लिए फर्जी दस्तावेज सरकार को सौंपे थे। इसके अलावा परियोजना में इंटरनेशनल कंपनी की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी के दस्तावेज भी फ्रॉड निकले हैं। इसके चलते स्टेट विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने ब्रेकल कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत जालसाजी का मामला दर्ज कर लिया है। अहम है कि इस कंपनी का 280 करोड़ की अपफ्रंट प्रीमियम राशि अदानी ग्रुप मांग रहा है। इसके चलते अब जांच के दायरे में देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना भी आ सकता है। दो पन्नों की एफआईआर रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि ब्रेकल कंपनी ने विद्युत परियोजना को हथियाने के लिए झूठ पर झूठ बोलते हुए एक के बाद एक फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए। हालांकि मामले की जांच के लिए राज्य गृह विभाग ने 27 मार्च, 2008 में विजिलेंस को यह मामला सौंपा गया था। जंगी-थोपन बिजली परियोजना को लेकर हमेशा से ही विवादों में रही ब्रेकल कंपनी के खिलाफ विजिलेंस ने तीन अगस्त को पहली एफआईआर दर्ज की। स्टेट विजिलेंस ने धारा-420 के तहत मामला दर्ज किया गया। ब्रेकल कंपनी पर गलत दस्तावेज देकर बिजली परियोजना निर्माण करने का निर्णय लिया था। सूत्रों के अनुसार मामले में ब्रेकल कॉरपोरेशन के तत्कालीन प्रबंधन को नामजद किया गया है। साथ ही ब्यूरो ने इसकी जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट को दे दी है। ऐसे में अब जल्द ही पूछताछ का दौर शुरू होगा।

2009 में वापस ले लिया था प्रोजेक्ट

जिला किन्नौर में 960 मेगावाट का जंगी-थोपन बिजली प्रोजेक्ट दिसंबर, 2006 में ब्रेकल कॉरपोरेशन को आबंटित हुआ था। 2009 में ब्रेकल से प्रोजेक्ट वापस ले लिया गया। ब्रेकल से प्रोजेक्ट वापस लेने के बाद सरकार से मंजूरी लिए बिना अदानी कंपनी ने बकाया प्रीमियम जमा कर दिया, जिसे सरकार ने मंजूर नहीं किया। बाद में ब्रेकल ने पैसा अदानी को लौटाने की सरकार से आग्रह किया था। इसी बीच रिलायंस ने भी पेशकश की थी कि यह प्रोजेक्ट उसे दिया जाए, तो अपफ्रंट प्रीमियम वह जमा कर देगा, लेकिन बाद में वह भी पीछे हट गया। इसके बाद जयराम सरकार ने कैबिनेट बैठक में प्रोजेक्ट एसजेवीएनएल को देने का फैसला ले लिया। पिछले महीने ब्रेकल को करीब 280 करोड़ का अपफ्रंट प्रीमियम न लौटाने के फैसले पर जयराम मंत्रिमंडल ने अपनी बैठक में अंतिम मुहर भी लगा दी थी।


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