ब्रेन डेड होने पर हिमाचली भी दान कर सकेंगे शरीर

By: Aug 28th, 2019 12:01 am

शिमला  – दिमाग मर जाने के बाद हिमाचली भी अपने शरीर के मुख्य अंगों को दान करके किसी और का जीवन बचा सकेंगे। इसके लिए प्रदेश में पहली बार ‘सोटो’ (स्टेट ऑर्गन टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन)  बना दिया गया है। सोटो नेशनल ऑर्गन टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन और रिजनल ऑर्गेनाइजेशन के तहत काम करेगा। हालांकि अभी इसे प्रदेश में प्रारंभिक स्तर पर शुरू किया गया है, जिसमें अभी प्रदेश की जनता को किडनी, आंखें और लीवर को दान करने के लिए जागरूक किया जाएगा। साथ ही उन केस को रजिस्टर्ड भी किया जाएगा, जो दिमाग की मौत के बाद संबंधित स्टेट में ट्रांसप्लांट होने वाले जरूरी अंगों को दान करना चाहते हैं। हालांकि सोटो शरीर के सभी अंगों को ट्रांसप्लांट करने के संबंध में काम करती है, लेकिन अभी प्रदेश यह फर्स्ट स्टेज में है। इसमें प्रदेश अभी किडनी और आंखों का ट्रांसप्लांट तो कर रहा है, लेकिन जल्द ही यहां लीवर के ट्रासप्लांट पर भी काम होगा। गौर हो कि बे्रन डैड के बाद होने वाले मुख्य प्रत्यारोपण में दिल, किडनी, आंखें, त्वचा, वॉल्वस को दान देकर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। प्रदेश में इस संगठन के अध्यक्ष आईजीएमसी के प्रिंसीपल हैं। वहीं सीएमओ, लॉ ऑफिसर और ट्रांसप्लांट को लेकर अन्य विशेषज्ञ भी इसमें शामिल किए गए हैं। फिलहाल अभी प्रदेश में पीजीआई और एम्स में तीन लोगों ने ब्रेन डैड होने के बाद अंग दान किए हैं। इसमें एक डाक्टर भी शामिल हैं।

निर्जीव हो जाते हैं अंग

दिमागमर जाने के बाद चार घंटे के भीतर दिल खत्म हो जाता है। उसके बाद छह घंटे भीतर लीवर खत्म हो जाता है। सात घंटे के अंदर किडनी खत्म हो जाती है। छह घंटे में आंखें खत्म हो जाती है, वहीं त्वचा आठ और छह घंटे हार्ट वॉल्स को खराब होने के लिए लगते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब मरीज़ का ब्रेन डेड हो जाए और उसे वेंटिलेटर पर रखा जाता है। दिमाग का काम वेंटिलेटर करता है, जब शरीर को वेंटिलेटर से हटाया जाता है, उसका दिल मर जाता है। जब हार्ट और ब्रेन डेड हो जाए तो उस शरीर को मौत की संज्ञा दी जाती है। ऐसे में सोटो संगठन चाहता है कि जो मरीज वेंटिलेटर पर हैं, मरने से पहले उसे कुछ ऑर्गन को ट्रांसप्लांट के  लिए निकाला लिया जाए। इसके लिए जनता को जागरूक करना जरूरी है।

आईजीएमसी में सेमिनार

आईजीएमसी ने इस बाबत एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन कर रहा है। आईजीएमसी एमएस डा. जनक का कहना है कि ‘बी अ डोनर, बी अ हीरो’ थीम को लेकर आईजीएमसी में बुधवार को एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।


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