मां की किरया पर बेटे ने बांटे चंदन के पौधे

By: Aug 22nd, 2019 12:03 am

बड़सर की परोजी देवी के पर्यावरण प्रेम को देखते हुए बेटे ने पेश की अनूठी मिसाल

हमीरपुर – वह पढ़ी-लिखी नहीं थीं, लेकिन इतना जानती थीं कि पेड़ नहीं होंगे, तो इनसान भी नहीं होगा। उनका नाम भले ही पर्यावरणविदों की लिस्ट में शामिल नहीं था, लेकिन अपने जीवनकाल में उन्होंने असंख्य पौधे रोपकर अपने पर्यावरण प्रेमी होने का प्रमाण दिया। यहां बात हो रही है बड़सर उपमंडल के हार गांव की 95 वर्षीय परोजी देवी की। 11 अगस्त को परोजी देवी भले ही इस दुनिया को छोड़ गईं, लेकिन उनके लगाए पौधे इनसानों समेत कई पशु-पक्षियों को जहां गर्मियों में छांव देंगे, वहीं उन पर लगने वाले फल कइयों की भूख मिटाएंगे। पर्यावरण के प्रति मां के प्यार को उनके बेटे ओंकार लखनपाल ने भी भांप लिया था। शायद यही वजह रही कि मां के स्वर्गवास के बाद किरया पर जब लोग उन्हें सांत्वना देने उनके घर पहुंच रहे थे, तो वे जाती बार हर व्यक्ति के हाथ में चंदन का एक पौधा थमा रहे थे, ताकि वे इसे अपनी बगिया में लगाएं और उनकी मां की यादें हर तरफ महकती रहें। ओंकार लखनपाल ने बुधवार को 150 के करीब चंदन के पौधे उनके घर आने वाले लोगों को बांटे। ग्रामीण परिवेश में इस तरह की यह पहली और अनोखी मुहिम को देखकर हर कोई हैरान था। परोजी देवी के पति रामचंद शर्मा का काफी पहले स्वर्गवास हो चुका है। वह शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। उनकी चार बेटियां और एक बेटा है। तीन बेटियां भी शिक्षक थीं, जो अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। बताते हैं कि परोजी देवी को पौधे लगाने का बहुत शौक था। जब भी बरसात आती, वह जरूर पौधे रोपा करती थीं। उनका मानना था कि पेड़ जहां गर्मियों में इनसानों और पशु-पक्षियों को गर्मी की तपिश से बचाते हैं, वहीं उन पर लगने वाले फल लोगों संग जीव-जंतुओं की भूख मिटाते हैं। उन्होंने आम के अलावा, आड़ू, पपीता, लीची, जामुन, प्लम यहां तक की सेब के पौधे भी लगाएं।

इस बरसात में नहीं लगा सकीं पौधे

परोजी देवी इस बरसात में पौधे नहीं रोप पाईं, क्योंकि उनकी तबीयत काफी खराब रहने लगी थी। हालांकि जब भी बारिश होती तो आसमान से टपकती बूंदों को देखकर उनका मन करता कि वह उठकर एक पौधा लगा दें, लेकिन इस बार यह संभव नहीं हो पाया। हालांकि उनके बेटे ने जो 150 चंदन के पौधे मां के किरया पर लोगों को बांटे हैं, वह इस बार उनकी मां की ओर से पौधारोपण होगा।


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