मेहनत और योग्यता के बल पर बने पुलिस अधिकारी

By: Aug 21st, 2019 12:19 am

प्रोफाइल

नाम- सागर चंद्र

जन्म तिथि – 8 अप्रैल, 1971

जन्म स्थल – बदोपल, देहरा (कांगड़ा)

शिक्षा – बीटेक

व्यवसाय – एचपीपीएस -(2007)

पद – एएसपी विजिलेंस (ऊना)

अब तक किन-किन पदों पर रहे – डीएसपी ठियोग, डीएसपी अंब, डीएसपी शिमला (वायरलैस), डीएसपी (सीआईडी) ऊना, डीएसपी डलहौजी में सेवारत रहा। पिछले डेढ़ साल से एएसपी विजिलेंस ऊना के रूप में कार्यरत हुं। पुलिस सेवा में आने से पहले बीएसएनएल में भी 12 साल तक सेवाएं दीं।

पौंग बांध निर्माण के लिए विस्थापन का दंश झेल पले-बड़े परिवार के होनहार बेटे सागर चंद्र ने कड़ी मेहनत व योग्यता के बल पर समाज में अपने लिए एक विशेष मुकाम हासिल किया है। मूलतः पौंग बांध में जलमग्न हो चुके जिला कांगड़ा की देहरा तहसील के बदोपल गांव से संबंधित सागर चंद्र बचपन से ही होनहार व दृढ़ निश्चय वाले व्यक्तित्व रहे हैं। वर्ष 1974-1975 में हजारों परिवार पौंग बांध में जलमग्न होने के बाद जवाली तहसील के गांव मैरा में बस गए। विस्थापन के उपरांत जब पूरे परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा, ऐसे समय में भी सागर चंद्र ने परिवार की स्पोर्ट से अपनी शिक्षा को जारी रखा। इसके लिए रोजाना करीब छह किलोमीटर तक का पैदल सफर तय करना पड़ता था। प्राइमरी स्कूल मैरा से प्रारंभिक शिक्षा, डीएवी पट्टा जातियां से छठी से 10वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद 12वीं तक की शिक्षा डीएवी कालेज कांगड़ा से करने के बाद रीजनल इंजीनियरिंग कालेज वारंगल से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक की। साधारण परिवार से संबंधित एएसपी विजिलेंस ऊना सागर चंद्र आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। भ्रष्टाचारियों व अपराधियों के लिए खौफ का पर्याय बन चुके एएसपी विजिलेंस सागर चंद्र ने दर्जनों रिश्वतखोर अधिकारियों, कर्मचारियों को सलाखों के पीछे पहंुचाया है। ईमानदारी व कर्त्तव्यनिष्ठता से कभी भी समझौता न करने के लिए चलते अनेक दफा प्रताड़ना व परेशानी भी झेल चुके सागर चंद्र ने हमेशा ही अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता दी है। करीब 12 साल बीएसएनएल में सेवाएं देने के उपरांत सागर चंद्र ने 2007 में एचपीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा में पदार्पण के उपरांत सागर चंद्र ने अपराधियों के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया। वहीं, नशा माफिया के विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई। सीआईडी व विजिलेंस विभाग में पोस्टिंग के दौरान पटवारी से लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों तक को भी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच चुके हैं।

इन रिश्वतखोरों को पहुंचाया सलाखों के पीछे         

 वर्ष 2018 में पटवार सर्कल बसदेहड़ा (मैतपुर) का पटवारी,पटवार सर्कल बाथड़ी के पटवारी व एक कानूनगो,पटवार सर्कल लठियानी का पटवारी, ऊना हॉस्पिटल के एक सीनियर असिस्टेंट को भी 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। पुलिस चौकी पंडोगा के हैड कांस्टेबल भी एक लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। धर्मशाला में थाना मकलोडगंज के एक हैड कांस्टेबल को 15000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा। पांगी जिला चंबा के बीडीओ ऑफिस के एक जेई को एक लाख 30 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। वर्ष 2019 में फौज में भर्ती करवाने के नाम पर ठगी करते हुए रोहतक के एक ठग को एक लाख लेते हुए पकड़ा। आरटीओ नालागढ़ जिसके पास आरटीओ ऊना  का चार्ज था उस पर अपने दफ्तर ऊना में लोगों से काम के बदले पैसे लेते हुए केस दर्ज किया।  इसी आरटीओ नालागढ़ पर इसके बाद विजिलेंस विभाग को केस को रफा-दफा करने के लिए दस लाख रुपए की रिश्वत देने के मामले में रिवर्स ट्रेप लगाकर रंगे हाथों पकड़ा। ऊना जिला के दौलतपुर पुलिस चौकी के प्रभारी को 10000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। जिला कांगड़ा मे जाल बिछा कर फतेहपुर में शिक्षा विभाग के एक  सुपरिंटेंडेंट, बैजनाथ की एक महिला प्रधान को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों  विजिलेंस धर्मशाला से पकड़वाया। अभी हाल में मंडी के सुंदरनगर में चरस के तस्करों के खिलाफ जाल बिछाकर मंडी विजिलेंस टीम के साथ उन्हें चार किलो चरस के साथ पकड़ा।

अब तक किन-किन पदों पर- कहां-कहां सेवाएं दीं

2007 बैच के एचपीपीएस के रूप में पुलिस विभााग में अपना करियर शुरू करने के उपरांत प्रदेश भर में अपनी सेवाएं दीं। डीएसपी ठियोग, डीएसपी अंब, डीएसपी शिमला (वायरलैस), डीएसपी (सीआईडी) ऊना, डीएसपी डलहौजी में सेवारत रहा। पिछले डेढ़ साल से एएसपी विजिलेंस ऊना के रूप में कार्यरत हूं। पुलिस सेवा में आने से पहले बीएसएनएल में भी 12 साल तक सेवाएं दीं।

मुलाकात

अगर आप अपने काम में आनंद लेते हैं तो काम में तनाव नहीं होगा …

आपके अनुसार एचपीपीएस होने का मतलब क्या है?

पुलिस आफिसर के रूप में सार्वजनिक सेवा में रहते हुए देश व समाज के प्रति अपनी आकांक्षाओं व सोच को आप बेहतरीन ढंग से क्रियान्वित कर सकते हैं।

आपने स्कूली शिक्षा और कालेज व विश्वविद्यालय की पढ़ाई कहां से पूरी की?

प्राइमरी शिक्षा गांव मैरा तहसील जवाली जिला कांगड़ा, छठी े दसवीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल पट्टा जाट्टियां,12वीं डीएवी कालेज कांगड़ा और रीजनल इंजीनियरिंग कालेज,वारंगल से कम्प्प्यूटर साइंस में बीटेक की शिक्षा प्राप्त की।

 छात्र के रूप में हासिल उपलब्धियों में आप स्वयं को 10 में से कितने अंक देंगे?

 9 अंक

आप पुलिस सेवा में आए, इसके लिए कब सोचा?

वर्ष 2001-2002 में प्रशासनिक सेवा में आने का विचार मन में कौंधा।

आपने एचपीपीएस परीक्षा में कौन से विषय चुने और क्यों?

अब तो केवल एक ही ऐच्छिक विषय होता है। हमारे समय में दो थे। विषय वही चुनना चाहिए, जिसमें आप सहज हांे व पढ़ने में आनंद आए।

एचपीपीएस बनने के लिए आपको कितने प्रयास करने पड़े। इसके लिए प्रेरणा कहां से मिली?

एचपीपीएस बनने के लिए तीन प्रयास किए। वर्ष 2001 में परीक्षा दी, लेकिन इसके बाद परीक्षा नहीं दे पाया। फिर 2006 का दूसरा प्रयास भी विफल रहा। 2007 में परीक्षा को उत्तीर्ण करने में सफल रहा। पौंग डैम के विस्थापन के दंश को झेलते अनेकों परिवारों को हर परिस्थिति में मजबूती के साथ खड़े होते देख देश, समाज व परिवार के लिए कुछ  करने की प्रेरणा अपने परिजनों से ही मिली।

एचपीपीएस के लिए कितने समय तक तैयारी की और रोजाना कितने घंटे पढ़ाई करते थे?

सरकारी नौकरी में होने के चलते करीब चार से पांच घंटे तक का समय ही मिल पाता था, लेकिन ऐसी परीक्षा के लिए कम से कम एक वर्ष तक लगातार समर्पित तैयारी की आवश्यकता है। रोजाना पढ़ाई के घंटे अपनी-अपनी क्षमतानुसार पांच से 12 घंटे तक हो सकते हैं।

एचपीपीएस परीक्षा के लिए क्या पढ़ा जाए, इसका चयन कैसे करें?

ऐच्छिक विषय की तैयारी के अलावा करंट अफेयर्ज, जनरल नॉलेज पर विशेष फोकस होना चाहिए।

कंपीटीटिव एग्जाम के लिए आजकल कोचिंग का चलन बढ़ रहा है। क्या यह उपयोगी है?

अच्छे इंस्टीच्यूट से ली गई कोचिंग निश्चित तौर पर उपयोगी होती है, लेकिन इसके साथ ही नियमित पढ़ाई अधिक बेहतर नतीजे दे सकती है।

आपका काम सामान्य अफसरों से किस प्रकार अलग है?

मैं काम को दस से पांच  घंटे की नौकरी के तौर पर नहीं देखता। बल्कि लोक सेवा के एक मिशन के रूप में लेता हूं।

आम व्यक्ति के नजरिए से कहें, तो एएसपी की नौकरी में तनाव है, क्या सचमुच ऐसा है?

आम जन को पुलिस से बहुत आकांक्षाएं रहती हैं, जिसके चलते फील्ड में तैनात अधिकारियों पर कार्य का काफी दबाव रहता है, लेकिन इस दबाव के लिए हम प्रशिक्षित हैं। पुलिस में रोज लोग 12 घंटे भी काम करते हैं। यदि हम अपने काम में आनंद ले रहे हैं तो कोई तनाव नहीं रहता है।

अधिकारी बनने का सपना संजोए युवाओं को किस सोच के साथ सेवा में आना चाहिए?

बदलते भारत में युवा अधिकारियों को बहुत परिश्रम करने की आवश्यकता है। हमें दशकों से जंग खा चुके सिस्टम में बदलाव लाकर परिणामोन्मुख अधिकारी बनने की आवश्यकता है।

एचपीपीएस बनने की सोच रहे नौजवानों को आप तैयारी के लिए क्या टिप्स देना चाहेंगे?

सभी पेपरों की समान तैयारी पर ध्यान रखें। कुछ विषयों पर आपकी अच्छी पकड़ हो सकती है, लेकिन सफलता के लिए आपको हर पेपर की पूरी तैयारी करनी होगी। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा ‘विंग्स ऑफ फायर’ जरूर पढ़ें। जीवन में स्वयं व राष्ट्र की सफलता के सारे टिप्स आपको इस किताब में मिल जाएंगे।     

    -अनिल पटियाल, ऊना


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