मोदी और किसानों की दोस्ती में दरार

By: Aug 18th, 2019 12:08 am

कइयों को 4 हजार, तो कइयों को अंडा

लोकसभा चुनावों से पहले पिछली मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना लागू की थी। इस योजना के तहत एक बिस्वा से लेकर सैकड़ों बिस्वा के मालिक किसान को साल में 6 हजार रुपए दिए जाने हैं। चुनावों से पहले मोदी सरकार ने दिन-रात एक करके ज्यादातर किसानों को कम से कम एक किस्त डाल दी थी, लेकिन उसके बाद ये योजना थोड़ी धीमी पड़ गई और अब आलम यह है कि जहां कई किसानों को पूरे चार हजार रुपए मिल गए हैं, तो कई ऐसे हैं जिन्हें अभी तक एक भी किस्त नहीं मिली है। सैकड़ों किसानों की मांग पर अपनी माटी की टीम ने शिमला में राजस्व विभाग से योजना का गणित जानने की कोशिश की। निदेशालय से दावा किया गया कि प्रदेश में 22 जुलाई, तक 9 लाख उन्यासी हजार आठ सौ 25 आवेदन पहुंचे थे। इनमे से 9 लाख 9 हजार 690 किसानों को कुछ न कुछ मिल चुका है। इसमें  छह लाख 56 हजार पांच सौ बावन किसानों को पहली किस्त मिल चुकी है। जबकि पांच लाख चार हजार 535 किसानों को दूसरी किस्त भी मिल चुकी है। कन्फ्यूजन यही है कि कई किसानों को एक भी रुपया नहीं मिला है, लेकिन उसके बाद फार्म भरने वालों को तीनों किस्तें। यही कारण है कि उन्हें सरकार की मंशा पर शक हो रहा है। एक बिस्वा वाले को भी 6 हजार और सौ बिस्वा वाले को भी जानकार बताते हैं कि इस योजना में और भी कई तरह की खामियां हैं। मसलन एक बिस्वा वाले को भी 6 हजार और हजार बिस्वा वाले को भी इतने ही। यह कहां का न्याय है। अगर किसी के पास सिर्फ एक मकान है, तो उसे भी छह हजार मिलते हैं। हद तो यह है कि अगर किसी की पेंशन 10 हजार से ज्यादा है, तो उसे लाभ नहीं मिलता है, लेकिन अगर किसी किसी कर्मी की सैलरी तीस हजार भी है, तो वह योजना के दायरे में है। हद तो यह भी है कि अगर पति-पत्नी के अलावा अगर बच्चे 18 साल से ज्यादा उम्र के हैं, तो उन्हें भी योजना में लाने का प्रावधान है।

 जूते घिसने लगे

बहरहाल बेचारे किसानों के पटवार घरों के चक्कर काट काटकर जूते घिस गए हैं,लेकिन उन्हें पता नहीं कि पैसा कब आएगा। उन्हें हर हाल में सरकार पर भरोसा रखना है। आखिर भरोसे पर ही तो दुनिया कायम है।

 दूसरी ओर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि योजना को बेहतर तरीके से चलाया जा रहा है। प्रक्रिया आनलाइन है, जो थोड़ी बहुत दिक्कत है, वह आगामी समय में ठीक कर दी  जाएगी।

हिमाचल पहुंचा बीटी बैंगन का हल्ला, विरोध तेज

देश भर में एचटीबीटी बीजों पर मचा बवाल अब हिमाचल पहुंच गया है। केंद्र की मोदी और प्रदेश की जयराम सरकारों की नाक तले ये बीज धड़ल्ले से किसानों के पास पहुंच रहे हैं। जानकार बताते हैं कि ये बीज खेती के लिए खतरनाक हैं, वहीं इनसे पैदावार भी कम होती है। सवाल यह है कि आखिर ये बीज किसानों तक कौन पहुंचा रहा है। भारतीय किसान संघ ने इस मसले पर के्रं द्र और प्रदेश सरकारों को घेरते हुए कड़ी फटकार लगाई है। संघ का आरोप है कि बड़ी कंपनियां और सरकारें इस घालमेल में शामिल हैं। यही वजह है कि भोलेभाले किसानों तक ये बीज पहुंच रहे हैं। संघ का कहना है कि एचटीवीटी कपास, बीटी बैंगन व जीएम सरसों के लिए देश भर में हंगामा हो रहा है, लेकिन इस पर कोई एक शन नहीं हो रहा। पहले ही बीटी कपास  फेल हो चुका है, बाकी किसी भी ऐसे बीज को  अभी तक अनुमति नहीं  मिली है। फिर भी मुनाफाखोर कंपनियों पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा। फिलहाल कुल्लू ने संघ ने जमकर प्रदर्शन किया तथा सीएम और पीएम को ज्ञापन भेजा है। संघ ने इन कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई मांगी है।

-मोहर सिंह पुजारी कुल्लू

माटी के लाल

 इस रिटायर्ड आफिसर जैसा कोई नहीं

 अशोक सोमल

खुद सब्जी उगाकर रोज सब्जी मंडी जाने वाले अशोक सोमल ने हिमाचल में सेट किया नया मॉडल कुछेक लोग जहां सरकारी नौकरी मिलते ही खेती को अलविदा कह देते हैं, लेकिन कई होनहार ऐसे भी हैं, जो सिर्फ अपनी नहीं सोचते, बल्कि पूरे समाज को अपनी मेहनत के दम पर पॉजिटिव संदेश देते हैं। इन्हीं में से एक हैं अशोक कुमार सोमल।जिला कांगड़ा में फतेहपुर गांव के अशोक कुमार सोमल वन विभाग से बतौर वन मंडल अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं, लेकिन वे रिटायरमेंट के बाद भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। खेती इनका जुनून है। इनके खेतों में सब्जियां देखकर फुल टाइम किसान भी दंग रह जाते हैं।  सोमल इससे पहले भारतीय सेना में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं और अब खेतों में मिट्टी से मिट्टी बनकर हिमाचली युवाओं के लिए आदर्श पेश कर रहे हैं।  सोमल ने बताया कि सेना में रहते हुए ही इक्नोमिक्स में बीए के अलावा गंगानगर में वकालत की पढ़ाई पूरी की। फोरेस्ट विभाग का टेस्ट पास करके पहले एसीएफडीएफओ की नौकरी पाई और बाद में पीएचडी फ ारेस्ट्री करके शोहरत हासिल की। सोमल ने घर में पौधों की नर्सरी भी उगा रखी है। यकीन करना कठिन है, लेकिन यह सच है कि वह खुद रोजाना सब्जी मंडी जाते हैं। मौजूदा समय में वह खीरा,करेला बेच रहे हैं। मंडी जाने का उनका मकसद युवाओं को खेती के प्रति प्रेरित करने के अलावा किसानों की ग्राउंड रूट से जुड़ी समस्याएं समझना है। वह सब्जी में रसायन न छिड़कने के प्रति लोगों को जागरूक भी करते हैं।

– सुखदेव सिंह, नूरपुर

जमीन बह रही है, तो आइए देहरा भू संरक्षण विंग के पास

एक मुलाकात

डा. ज्योति रंजन कालिया

बरसात में प्रदेश भर से जमीनों के बहने के समाचार मिल रहे हैं। किसानों और बागबानों को नुकसान हो रहा है। दिव्य हिमाचल अपनी माटी टीम ने इस बार किसानों की मदद करने का प्रयास किया है। हमने कृषि विभाग के भूसंरक्षण विंग को खंगाला। कांगड़ा जिला के देहरा से हमारे संवाददाता अनिल डोगरा ने उपमंडलीय भूसंरक्षण अधिकारी ज्योति रंजन कालिया से बात की। कालिया ने बताया कि किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें सूक्ष्म सिंचाई योजना पर 80 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना के दायरे में चार से लेकर एक सौ चार कनाल तक जमीन दायरे में आती है। दूसरी योजना बजट इश्योरेंस है। इसके तहत वाटर टैंक पर 50 फीसदी अनुदान दिया जाता है। इसी तरह राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन में पंपिंग मशीनरी पर छूट है। वहीं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत चैकडैम,जल संरक्षण ढांचे तैयार किए जाते हैं। सामूहिक तौर पर इस काम को करने में 100 फीसदी सबसिडी है। ज्योति रंजन कालिया ने कहा कि ड्रॉप मोर क्रॉप के तहत फव्वारे पर 80 फीसदी अनुदान दिया जाता है। पंपिंग मशीनों पर 50 फीसदी अनुदान है। दूसरी ओर फ्लो इरिगेशन पर 100 फीसदी तक सबसिडी है। …तो अगर आप किसान हैं और आपकी कोई समस्या है,तो आप तुरंत भू संरक्षण आफिस देहरा में संपर्क कर सकते हैं।

– रिपोर्ट अनिल डोगरा

शिमला में 4 हजार  बूटों की आतमा

शिमला जिला में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर है। आतमा प्रोजेक्ट के तहत अब कृषि विभाग फार्मर्स को 4 हजार विभिन्न प्रजाजियों के पौधे डेमास्ट्रेशन पर फ्री में उपलब्ध करवा रहा है। कृषि विभाग ने चार हजार पौधे खरीद भी लिए हैं। वहीं, जीरो बजट ख्ेती को अपनाने वाले किसानों को आवेदन करने पर ये पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। खास बात यह है कि किसानों को समूह में भी ये पौधे विभाग मुहैया करवाएगा, बेशर्ते की उनके पास एक एकड़ जमीन होनी चाहिए। कृषि विभाग आतमा के तहत जिन किसानों को ये पौधे देगा, उन पर नजर भी रखी जाएगी।

– प्रतिमा चौहान-शिमला

सेब सीजन पर बरसात की मार, 2000 का बाक्स अब 1200 में

सेब सीजन को बरसात को बरसात ने सबसे बड़ा झटका दे दिया है। शिमला से लेकर किन्नौर जिला तक दर्जनों सड़कें ठप पड़ गई हैं, वहीं कुछेक पर ट्रैफिक चल तो रही है, लेकिन कीचड़ इतना है कि स्थानीय मंडियों से फ्रू ट को दिल्ली, चंडीगढ़ तक ले जाना बेहद कठिन हो गया है।  हालत इतनी खराब है कि पिछले 1 सप्ताह में सेब के दाम 500 से एक हजार तक गिरे हैं, जो सेब  पिछले सप्ताह 2000 तक बिक रहा था, वह अब 12 तक मुश्किल से बिक रहा है। इससे बागबानों को लाखों रुपए का घाटा हो रहा है।  इसी तरह टमाटर की पेटी के दाम भी एक हजार से गिरकर 300 रुपए रह गए हैं। टाइम पर हालत न सुधरी, तो बागबानों की पूरे साल की कमाई मिटटी में मिल जाएगी। किन्नौर जिला में बादल फटने की कई घटनाएं हो चुकी हैं, वहीं शिमला में ठियोग से लेकर रोहड़ू क्षेत्रों तक बारिश ने सेब का सारा खेल बिगाड़ दिया है। फिलहाल बागबानों ने जयराम सरकार से गुहार लगाई है कि व्यवस्था में सुधार के लिए शीघ्र कड़े कदम उठाए जाएं।

-नेरवा से सुरेश सूद की रिपोर्ट

नौणी यूनिवर्सिटी के दो केंद्रों को इनाम

डा. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के अंतर्गत आने वाले दो कृषि विज्ञान केंद्रों ने जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर में इस हफ्ते आयोजित कृषि विज्ञान केंद्रों(जोन 1) की वार्षिक जोनल कार्यशाला में पुरस्कार जीतकर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। रोहड़ू स्थित जिला शिमला के केवीके ने हिमाचल प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केंद्र का पुरस्कार जीता, जबकि ताबो में स्थित केवीके लाहौल और स्पीति 2 ने सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति पुरस्कार अपने नाम किया। यह दोनों कृषि विज्ञान केंद्र नौणी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित हैं। विश्वविद्यालय की टीम का नेतृत्व संयुक्त निदेशक (संचार) डा. राजकुमार ठाकुर ने किया। डा. एनएस कैथ, प्रभारी केवीके शिमला और डा. सुधीर वर्मा, प्रभारी केवीके ताबो ने अपने-अपने केवीके की रिपोर्ट प्रस्तुत की। केवीके शिमला राज्य का एकमात्र केवीके है जिसने इनपुट डीलरों के लिए डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन को सफलतापूर्वक शुरू किया है।               – मोहिनी सूद-नौणी

किसान बागबानों के सवाल

  1. बरसात में कीचड़ से कैसे बचाएं पशुओं को?

-श्याम, शिमला

  1. बरसात में पशुओं के पैरों में होने वाले घावों से कैसे बचाएं?

– सुरेश, कांगड़ा      

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आप हमें व्हाट्सऐप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं।  आपके पास नर्सरी या बागीचा है, तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं।

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