रामपुर में ये कैसा अतिक्रमण हटाया

चाय और समोसे तक सिमट कर रह गया अतिक्रमण हटाने का फरमान, तीन दिन के बाद भी बाजार में सजे रहे रेहड़ी फड़ी वाले, पीली लाइन भी नहीं लगा पाई नगर परिषद

रामपुर बुशहर -बैठकें होती है और उसमें चाय और समोसे परोसे जाते है और ऐसे निर्णय लिए जाते है कि मानो कल से रामपुर नए रूप में दिखेगा। लेकिन दरवाजे से बाहर आते ही वह निर्णय छु मंतर हो जाते है। शनिवार को नगर परिषद् की बैठक में आधा दर्जन से अधिक ऐसे निर्णय लिए गए जो साफ तौर से अतिक्रमण हटाने की द्वष्टि से काफी जरूरी थे। लेकिन चार दिन हो गए अतिक्रमण हटाने का एक भी निर्णय लागू नहीं हो पाया। हर दिन बाजार के रास्तों में मंजे सज रहे है। जिससे राहगीरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नगर परिषद ने बाकायदा इस अतिक्रमण को हटाने के लिए व्यापार मंडल के सदस्यों को बैठक में बुलाया था। बैठक में हर सदस्यों ने अतिक्रमण हटाने का कड़ा विरोध किया था। वहीं बैठक में ये निर्णय लिया गया था कि रविवार को ही पूरे बाजार में येलो लाइन लगेगी। जिसके बाद किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होगा। लेकिन बाजार में अभी तक ऐसा कुछ भी लागू होता नजर नही आ रहा है। ऐसे में साफ है कि नगर परिषद केवल बैठकों तक ही सीमित है। वहीं बैठकों में कई कड़े नियम लिए जाते है लेकिन उसे लागू करते हुए नगर परिषद की सांसे फुल जाती है। ऐसे में बाजार सहित रामपुर की गलियां पूरी तरह से अतिक्रमण का शिकार होती जा रही है। स्थिति ये है कि गलियों व रास्तों से आम लोगों का गुजरना मुश्किल हो गया है। कहीं अतिक्रमणकारी मंजा लगाकर बैठे हुए है तो कहीं सब्जियां बेची जा रही है। नगर परिषद् प्रबंधन की कार्यप्रणाली को देखे तो अतिक्रमण को बढ़ावा देने में कहीं न कहीं प्रबंधन का ही हाथ है। चौधरी अड्डा मानो बाहरी राज्यों से आए लोगों का व्यपारिक स्थल बन गया है। वोट बैंक के लिए इन बाहरी राज्यों के लोगों को शेय मिल रही है और ये तमाम नियमों को दर किनार करते हुए अतिक्रमण कर रहे है। जिस पर नगर परिषद पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। इतना जरूर है कि बैठकों में जो फाईल तैयार होती है उसमें इन तमाम अतिक्रमणकारियों पर कड़ी कारवाई करने के लिए फरमान तो जारी हो जाते है। लेकिन वह लागू नहीं हो पाते। ऐसे में रामपुर बाजार की हालत दिन व दिन दयनीय होती जा रही है।

व्यापारियों की पनाह में फल फूल रहा अतिक्रमण

रामपुर बाजार में दुकानों के आगे मंजे सजे है। ऐसे में साफ है कि व्यपारी ही इस अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे है। व्यपार मंडल भी खुद बेबस सा है। अगर व्यपारी चाहे तो रामपुर बाजार में किसी भी दुकान के आगे कोई मंजा न सजे। लेकिन कुछ व्यपारी इस मंजे वालो से तय किराया वसूल रहे है। जिससे इन अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद है।