रुपया 6 महीने के निचले स्तर पर, शेयर बाजार में भी हाहाकार

By: Aug 23rd, 2019 11:06 am

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट जारी है. गुरुवार को सेंसेक्स 587.44 अंक टूट गए. जबकि निफ्टी भी 182 अंक गिरकर 10,736.40 पर बंद हुआ. बाजार में गिरावट की वजह से छोटे-मझोले शेयरों की जोरदार पिटाई हुई. बीएसई का मिड कैप इंडेक्स 1.3 फीसदी और स्मॉल कैप इंडेक्स 2.2 फीसदी टूटकर बंद हुआ.

दरअसल गुरुवार को सेंसेक्स 587.44 अंक गिरकर 36,472.93 पर बंद हुआ. हालांकि सुबह बढ़त के साथ बाजार की ओपनिंग हुई थी. दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 37,087.58 के ऊपरी स्तर और 36,391.35 के निचले स्तर को छुआ. बाजार में लगातार गिरावट से निवेशक घबराए हुए हैं.

अंतरराष्ट्रीय बाजार ने भी बिगाड़ा खेल

देश में मंदी की आहट से निवेशक बाजार में पैसे लगाने से बच रहे हैं. सबसे बुरा हाल ऑटोमोबाइल्स, बैंकिंग और रियल एस्टेट सेक्टर का है. जानकारों का कहना है कि बाजार दबाव में है और इसके कई कारण हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोरी के संकेत गिरावट की एक बड़ी वजह है. जबकि डॉलर लगातार रुपए पर हावी होता जा रहा है.

बजट से पहले बाजार में थी मजबूती  

भारतीय शेयर बाजार में 5 जुलाई को बजट के बाद से अस्थिरता का माहौल है और इसकी वजह से सेसेंक्स और निफ्टी का ग्राफ लाल निशान की तरफ बढ़ रहा है. 5 जुलाई से पहले बाजार में मजबूती दिखाई दी थी. सेंसेक्स ने 40 हजार के आंकड़े को भी छुआ था. बजट के दिन 5 जुलाई को भी सेंसेक्स सुबह 9.47 बजे 95.83 अंकों की मजबूती के साथ 40,003.89 पर पहुंच गया था. जबकि निफ्टी भी लगभग इसी समय 25.40 अंकों की बढ़त के साथ 11,972.15 पर कारोबार करते देखे गए.

रुपया 6 महीने के निचले स्तर पर

वहीं घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली और विदेशी पूंजी के देश से बाहर निकलने के असर से रुपया गुरुवार को 25 पैसे और कमजोर हो गया. भारतीय रुपया डॉलर के खिलाफ 71.81 रुपये पर बंद हुआ, जो साल का सबसे निचला स्तर है. यही नहीं, रुपया धीरे-धीरे 72 रुपये प्रति डॉलर के करीब पहुंच रहा है, जिसमें कई वैश्विक और स्थानीय कारकों की भूमिका है.

निवेशकों में हाहाकार

जानकार बताते हैं कि वाहन, उपभोग और रियल्टी क्षेत्रों का परिदृश्य अभी भी धुंधला है, जिसके कारण निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालकर सुरक्षित जगहों पर लगा रहे हैं. निर्यात गिरने और विदेशी पूंजी के देश छोड़ कर निकलने के कारण रुपया 6 महीने के निचले स्तर पर गिर गया है.

व्यापक आर्थिक स्थिति कमजोर और विदेशी पूंजी के निकलने का गुरुवार को रुपये में हुई तेज गिरावट पर उतना असर नहीं पड़ा, जितना फेड रिजर्व की नीतियों के हाल में जारी मिनट्स के बाद पड़ा है. फेड के मिनट्स से पता चलता है कि सभी सदस्य दरों में कटौती को लेकर सहमत नहीं थे, जोकि भविष्य में तेज कटौती का संकेत है.


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