लकड़ी के लालच में सीर खड्ड में फंसे चार लोग

By: Aug 19th, 2019 12:18 am

बाढ़ के साथ बह कर आए सफेदे को निकालने को उतरे थे, एक घंटे तक आफत में फंसी रही जान

लदरौर -जाहू में चार लोगों को लकड़ी का लालच ने आफत में डाल दिया। हुआ यूं कि  सीर खड्ड में बाढ़ में बहकर आए सफेदे के पेड़ को निकालने के लिए एक ट्रैक्टर पर बैठकर चार लोग खड्ड में उतर गए। एकाएक तभी ट्रैक्टर खड्ड के बीचोंबीच फंस गया और चारों लोग एक घंटे तक बाढ़ में ही फंसे रहे। पानी का जलस्तर कम होने पर वे बाहर निकले। बताते चलें कि लगातार हो रही बारिश से उपमंडल की सीर, सुनैहल, चैंथ, लींडीं व कुनाह खड्ड खतरे के निशान पर बह रही है। सुनैहल खड्ड में आई बाढ़ की वजह से मनोह पुल की एक तरफ की नींव खोखली हो गई है तथा पुल पर दोबार गड्ढा बन गया है। लोक निर्माण विभाग द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था के लिए लगाए गए कोलतार के ड्रम भी पानी के तेज बहाव में बह गए हंै। इससे चार घंटे वाहनों की आवाजाही बंद हो गई है। मनोह उरला के पास भी सड़क पर ल्हासा गिरा हुआ है। इसी तरह मनोह से टिक्कर भराइयां वाया धिरवीं सड़क पर पैहंजवीं गांव के पास ल्हासा गिरने से बांस सड़क पर आ गए। इससे सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई है तथा घरों को खतरा पैदा हो गया। सड़कों के बंद होने लोगों को आने-जाने के लिए परेशानी झेलनी पड़ी। दशमल से गदडू वाया भौंखर सड़क पर डंगा गिरने से सड़क वाहनों के लिए पूरी तरह से बंद हो गई है। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बंद होने से लोगों को आने-जाने के लिए तीन से चार किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ा है। सुनैहल खड्ड में बेहड़वीं, मनोह बुल्ला, उपरला, समकरी, चाहब, मुंडखर, सुलगवान, तलाई, कोट, जाहू व देहरा तक भूमि का भूमि कटाव हुआ है।

दियोटसिद्ध-शाहतलाई सड़क पर गिरे ल्हासे

दियोटसिद्ध। उत्तरी भारत के प्रसिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध से लेकर शाहतलाई सड़क तक जगह-जगह लहासे पड़े हुए हैं। स्थानीय टैक्सी चालकों द्वारा गाडि़यों को चलाने के लिए ल्हासों को हटाया गया। जगह-जगह पर ल्हासे गिरने से वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा, जिससे यातायात व्यवस्था भी थोड़ी देर के लिए बंद रही।

दियोटसिद्ध में बारिश के चलते कम पहुंचे श्रद्धालु

दियोटसिद्ध। उत्तरी भारत के प्रसिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध में जेष्ठ रविवार को पिछले रविवार के मुकाबले बहुत कम श्रद्धालु पहुंचे। इसका कारण भारी बारिश बताई जा रही है। हर रविवार को यहां पर 20 से 25 हजार के करीब श्रद्धालु नतमस्तक होने के लिए पहुंचते थे, परंतु भारी बारिश के कारण बहुत कम श्रद्धालु यहां पर शीश नवाने के लिए पहुंचे।


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