शिमला-मटौर फोरलेन के लिए पहाड़ों से नहीं होगी ज्यादा छेड़छाड़

भू-स्खलन से बचने के लिए सर्वे में किया बदलाव, खड़ी पहाडि़यां काटने के बजाय बनाएंगे पैरलर टनल

हमीरपुर – चार हजार करोड़ से बनने वाली महत्त्वाकांक्षी परियोजना शिमला-मटौर फोरलेन के सर्वे में बदलाव किया गया है। यह बदलाव परवाणू-शिमला व कीरतपुर-नेरचौक के लिए बन रहे फोरलेन की बारिश के दिनों में हो रही हालत नुकसान हो देखते हुए किया गया है। क्योंकि देखा जा रहा है कि जहां-जहां पहाड़ों को अधिक काटा गया है, वहां बारिश के मौसम में लगातार भू-स्खलन हो रहे हैं। ऐसे में शिमला-मटौर फोरलेन के सर्वे में किए गए इस बदलाव में ऐसा प्रावधान किया गया है कि जहां-जहां फोरलेन के निर्माण में पहाड़ों को अधिक काटना पड़ेगा, वहां फोरलेन की बजाय आने-जाने के लिए एक रोड के पैरलर दूसरी सड़क बनाई जाएगी। इसके अलावा जहां पहाडि़यां बिलकुल सीधी हैं, वहां एक तरफ रोड बनाकर वन-वे रोड के लिए पहाड़ी के बीचोंबीच टनल बनाई जाएगी। पहाड़ों को अधिक न काटना पड़े और पर्यावरण को ज्यादा नुकसान न पहुंचे, इसे देखते हुए एनएचएआई ने यह फैसला लिया है। शिमला-मटौर फोरलेन का काम देख रहे एनएचएआई के अधिकारियों ने इस बारे में रिपोर्ट दिल्ली स्थित अपनी हाई अथॉरिटी को भी भेज दी है। बता दें कि फोरलेन के लिए 45 मीटर चौड़ी भूमि का अधिग्रहण करना होता है। हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में हर जगह ऐसा कर पाना संभव नहीं है। खासकर शिमला-मटौर फोरलेन के पहले दो पैकेज (शिमला-नोनीचौकी व नोनीचौकी से बिलासपुर) में जहां से फोरलेन का सर्वे हुआ है, वहां एक साथ 45 मीटर भूमि का अधिग्रहण करना संभव नहीं है, क्योंकि अगर ऐसा होता है, तो बड़े-बड़े पहाड़ एक साथ दरक जाएंगे। इसलिए ऐसा प्रावधान किया गया है कि जहां पहाड़ी को काटना संभव नहीं है, वहां दोनों तरफ से आने-जाने के लिए रोड बनाया जाएगा या फिर जहां जरूरत होगी, वहां वन-वे ट्रैफिक के लिए पहाड़ी के बीच में टनल बना दी जाएगी। एक्सपर्ट की मानें तो लगभग 179 किलोमीटर वाले शिमला-मटौर फोरलेन के पहले और दूसरे पैकेज की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए वाहनों की आवाजाही के लिए दो-दो रोड अलग से बनाने पड़ सकते हैं।

हर चरण पर खर्च होंगे 800 करोड़

लगभग चार हजार करोड़ की लागत वाले शिमला-मटौर फोरलेन का निर्माण पांच चरणों में किया जाना है। एक्सपर्ट की मानें तो हर पैकेज पर 700 से 800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। फोरलेन के पांचवें पैकेज यानी ज्वालामुखी से मटौर तक का थ्री-डी सर्वे भी हो चुका है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में यहां सर्वप्रथम काम शुरू हो जाएगा।

कई जगह हो रही लैंड स्लाइडिंग

प्रदेश में प्रस्तावित चार फोरलेन में से परवाणू-शिमला व कीरतपुर-नेरचौक का काम चला हुआ है। देखा गया है कि बरसात के मौसम यहां काफी ज्यादा लैंड स्लाइडिंग हो रही है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों में भी भय का माहौल पैदा हा रहा है। ऐसे में एनएचएआई ने इस समस्या को देखते हुए पहाड़ों को ज्यादा न काटने का प्लान तैयार किया है।