शिलान्यास तक सिमटा भवन

सुन्नी –शिमला ग्रामीण की नगर पंचायत सुन्नी के भवन निर्माण की प्रक्रिया शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ पाई है। शिलान्यास के बाद भी लगभग तीन साल का समय होने वाला है बावजूद उसके राजस्व विभाग की जमीन नगर पंचायत सुन्नी के नाम नहीं हो पाई है, जिस कारण नगर पँचायत सुन्नी का अपना भवन कब बनेगा इस पर संशय बरकरार है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 के दिसंबर माह में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राजस्व विभाग की खाली पड़ी जमीन पर नगर पंचायत सुन्नी कार्यालय हेतु भवन निर्माण के लिए शिलान्यास किया एजिसकी अगले माह यानि जनवरी 2017 में अधिसूचना के साथ बजट का भी प्रावधान किया गया।यही नहीं वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं विधायक शिमला ग्रामीण वीरभद्र सिंह ने क्षेत्र के दौरे के दौरान नप कार्यलय के लिए बीस लाख की धनराशि भी प्रदान की थी। वह राशि भी विभाग के पास मौजूद हैं। इसके बाद राजस्व विभाग की जमीन को नगर पंचायत के नाम किया जाना थाए जिसके लिए लगभग तीन साल का समय होने जा रहा है। जानकारी के अनुसार शहरी विकास विभाग की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी करके जिला प्रशासन को सौंप दी है। राजस्व विभाग की उक्त जमीन को जिला प्रशासन की कारवाई के बाद ही नगर पंचायत के नाम किया जा सकता है। बता दें कि सुन्नी में संचालित नगर पंचायत कार्यलय वर्षों से तहसील के भवन में चल रहा है जिस कारण जगह की भी कर्मचारियों को तंगी झेलनी पड़ती है। गौर है कि वर्ष 2016 में कांग्रेस सत्ता में थी कि जो कि उसके बाद लगभग एक वर्ष तक सत्ता में रही। वहीं वर्तमान सरकार का कार्यकाल भी दो वर्ष का होने जा रहा है। क्षेत्रवासियोँ में मायूसी है कि बजट होने के बाद भी विकास कार्य सिरे नहीं चढ़ रहे है जिसके लिए लचर प्रशासनिक व्यवस्था भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। नगर पंचायत सुन्नी की अध्यक्ष श्यामा देवी एवं उपाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता का कहना  है कि नगर पंचायत की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद भी प्रशासनिक अमला गैरजिम्मेदाराना रवैया अपना रहा है। उन्होंने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।