संसद ने 58 पुराने कानून किए निरस्त

By: Aug 2nd, 2019 4:30 pm

नई दिल्ली –  राज्यसभा ने अप्रासंगिक हो चुके 58 कानूनों को निरस्त करने संबंधी निरसन और संशोधन विधेयक 2019 को आज सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इनमें से अनेक कानून ब्रिटिशकाल के थे जबकि कुछ कानून पिछले पांच वर्षों में ही बनाये गये थे। लोकसभा इस विधेयक को गत 29 जुलाई को पारित कर चुकी है जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने पुराने और अप्रासंगिक कानून का पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया था जिसने 1824 ऐसे कानूनों की पहचान की है जिन्हें निरस्त किया जाना है। इनमें से 1428 कानूनों को पहले ही निरस्त किया जा चुका है और 58 कानूनों को इस विधेयक के माध्यम से निरस्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ कानून 1860 और 1870 के दशक से चले आ रहे हैं। ये अब अप्रासांगिक हो गये थे और बेवजह जनता के लिए परेशानी का सबब बने हुए थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि एक से अधिक कानून यदि एक ही तरह का काम कर रहे हैं तो उन्हें मिलाकर एक व्यापक कानून बनाये जाने पर काम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का विश्वास कम से कम कानून और अधिकतम शासन में है। इसलिए वह मानती है कि कानूनों की समीक्षा के लिए एक पुख्ता तंत्र समय की जरूरत है जिससे बेवजह के कानूनों को निरस्त किया जा सके। भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि कानून बनाते समय उसे निरस्त करने के संबंध में भी एक उपबंध उसमें शामिल किया जाना चाहिए जिससे अप्रासंगिक होने के बाद वह अपने आप निरस्त हो जाये। अनेक सदस्यों ने उनके सुझाव का समर्थन किया। समाजवादी पार्टी की जया बच्चन ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से 25 ऐसे कानूनों को निरस्त किया जा रहा है जो पिछले पांच वर्षों में बनाये गये हैं। इसलिए कानून बनाते समय भविष्य की जरूरतों का ध्यान रखा जाना चाहिए । बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने सिनेमेटोग्राफी एक्ट की समीक्षा की बात कही जिस पर श्री प्रसाद ने कहा कि इस एक्ट को लेकर सिनेमा जगत में एक राय नहीं है। श्री प्रसाद ने भारतीय दंड संहिता से संबंधित कानूनों के बारे में कहा कि ये कानून 100 से भी अधिक वर्षों से आपराधिक न्याय प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग रहे हैं और सरकार ने जरूरत पड़ने पर इनमें भी संशोधन किया है। आन्ध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि कानूनों को निरस्त करते समय आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना के हितों को ध्यान में रखा गया है। 


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