सभी जलधाराएं नागणी खड्ड का सजृन करती हैं

By: Aug 14th, 2019 12:07 am

सभी जलधाराएं ‘नागणी खड्ड’ का सृजन करती हैं, यह खड्ड भी तीसा खड्ड में मिल जाती है। तीसा के पूर्वोत्तर की देहरी नामक धारों के सभी जल-स्रोत गनेड खड्ड का निर्माण करते हैं तथा अर्कीदर और भिलूंडा की समस्त शिखर श्रेणियां ‘शिकारी खड्ड’ का सजृन करती हैं, जो अंतत, तीसा खड्ड में मिल जाती हैं। तीसा खड्ड के समीप ‘बैरा खड्ड’ में मिल जाती है…

गतांक से आगे …           

इस धार की सभी जलधाराएं ‘नागणी खड्ड’ का सृजन करती हैं, यह खड्ड भी तीसा खड्ड में मिल जाती है। तीसा के पूर्वोत्तर की देहरी नामक धारों के सभी जल-स्रोत गनेड खड्ड का निर्माण करते हैं तथा अर्कीदर और भिलूंडा की समस्त शिखर श्रेणियां ‘शिकारी खड्ड’ का सजृन करती हैं, जो अंतत, तीसा खड्ड में मिल जाती हैं। तीसा खड्ड के समीप ‘बैरा खड्ड’ में मिल जाती है। नागणी धारा की पूर्वी पहाडि़यों का जल एकत्रित होकर ‘सुरैला खड्ड’ का सृजन करता है, जो खखड़ी गांव के पास  ‘बैरा खड्ड’ में समाहित हो जाता है। अप्प्र चुराह का दक्षिणी क्षेत्र लोअर चुराह कहलाता है। लोअर चुराह के मुुख्यालय ‘सलुणी’ के पश्चिम में पधरी जो त के पर्वत शृंखला विद्यमान है। इसी पर्वत् शृंखला से स्यूल नदी की मूल जलधारा प्रस्फुटित होती है। इसी जलधारा में लोअर चुराह की सभी  पहाडि़यों का जल मिश्रित होता है। पधरी के उत्तरी शिखर लंगेरा खड्ड का सृजन करते हैं, यह खड्ड लंगेरा गांव के समीप स्यूल में मिल जाती है। पधरी जोत के उत्तरी-पूर्वी शिखर मुख्यतः तीन खड्डों का सृजन करते हैं, इन्हें संघणी खड्ड भद्रोह खड्ड तथा जुवांस खड्ड कहते हैं। ये तीनों खड्ड भी स्यूल नदी में विलीन हो जाती है। परगना भांदल को बारी खड्ड भी स्यूल नदी में मिल जाती है। परगना ड्यूर की गहम ग्वाहल श्रेणियों से निकलने वाली डयूर खड्ड भी स्यूल नदी में मिल जाती है। सलूणी की पूर्वोत्तरी पहाडि़यों से ‘ किलोड़ खड्ड’ का सृजन होता है। यह खड्ड ‘दुधेड़ी खड्ड’ के नाम से जानी जाती है। इस खड्ड का भी स्यूल नदी में विलय हो जाता है। इस प्रकार स्यूल नदी लोअर चुराह से विपरित दिशा में अप्पर चुराह की ओर बहती है। अप्पर चुराह के परगना  हिमगिरी के छेत्री गांव के समीप ‘बैरा खड्ड’ और स्यूल नदी का संगम होता है। स्यूल नदी स्वयं में बैरा खड्ड की तुलना में मात्र एक चौथाई के लगभग  परंतु ‘बैरा खड्ड’ को अपने में समाहित करके यह नदी विशाल स्यून नदी कहलाती है। 


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