सरकार के संकेतों  से बाजार में भूचाल

मुंबई – सुस्त होती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत को स्टिम्युलस (राहत) पैकेज देने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा कोई प्रतिबद्धता न जताए जाने के बाद गुरुवार को शेयर बाजार में 1.50 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई और इसने पांच महीने के निचले स्तर पर को छू दिया। रियल्टी, मेटल, ऑटो मोबाइल कंपनियों तथा सरकारी बैंकों के शेयरों में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई। बीएसई के 30 कंपनियों के शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 587.44 अंक लुढ़ककर 36472.93 पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 कंपनियों के शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 180.95 अंकों  की गिरावट के साथ 10737.75 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 37087.58 का ऊपरी स्तर और 36391.35 का निचला स्तर छुआ, जबकि निफ्टी ने 10,908.25 का उच्च स्तर और 10718.30 का निम्न स्तर छुआ। बीएसई पर महज चार कंपनियों के शेयर ही हरे निशान पर बंद हुए, जबकि बाकी 26 कंपनियों के शेयर लाल निशान पर बंद हुए। वहीं, एनएसई पर भी मात्र सात कंपनियों के शेयरों में लिवाली, जबकि 43 कंपनियों के शेयरों में बिकवाली दर्ज की गई। सरकार द्वारा सरचार्ज में बढ़ोतरी से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक पहले से ही नाराज हैं और पिछले कुछ दिनों में इसका असर शेयर बाजार पर उनके द्वारा भारी बिकवाली के रूप में देखा जा चुका है। इसके अलावा कई और कारक हैं, जिन्होंने गुरुवार को हुई भारी बिकवाली में अपनी अहम भूमिका निभाई है। सुस्त होती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से उद्योग जगत को स्टिम्युलस पैकेज देने को लेकर कोई पहल की खबर नहीं आने से बाजार में बिकवाली को बल मिला। दरअसल, निवेशक स्टिम्युलस पैकेज का बेहद बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यन ने अर्थव्यवस्था के लिए कोई स्टिम्युलस पैकेज देने की बात से साफ इनकार करते हुए कहा कि मुनाफा निजी और नुकसान सार्वजनिक की अवधारणा अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।एशियाई तथा यूरोपीय बाजारों में गिरावट का असर घरेलू शेयर बाजार भी पड़ा, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकट बढ़ने से निवेशक खासे चिंतित दिखाई दे रहे हैं।