सीएम के बयान पर बवाल

By: Aug 26th, 2019 12:26 am

नई पेंशन नीति पर फिर मुखर हुए कर्मचारी, मुख्यमंत्री के बयान से नाराज कर्मचारियों ने फिर खोला मोर्चा; कहा जल्द लागू हो नई पेंशन नीति व दिए जाएं केंद्र के लाभ

रामपुर बुशहर -नई पेंशन नीति के विरोध में कर्मचारी फिर मुखर हो उठे है। रामपुर में एक प्रेसवार्ता में एनपीएस कर्मचारी महासंघ की रामपुर इकाई ने साफ शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने वादे से मुकर गए है। संघ के राज्य मुख्य प्रवक्ता कुशाल शर्मा ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि गत वर्ष धर्मशाला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उनकी रैली को संबोधित करते हुए साफ शब्दों में कहा था कि वह प्रदेश के कर्मचारियों को पूरानी पैंशन का लाभ देंगे। वहीं केंद्र के लाभ को भी देने की सिफारिश की जाएगी। लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री द्वारा ये कहना कि वह पूरानी पैंशन देने के हक में नहीं है। इस बयान से हजारों कर्मचारियों को खासी हताशा हुई है। शर्मा ने कहा कि जिस तरह से प्रदेश सरकार इस बात का रोना रो रही है कि उनकी माली हालत ठीक नहीं है। तो प्रदेश के 80 हजार से अधिक कर्मचारियों से जो जीपीएफ कट रहा है उससे प्रदेश सरकार को हर माह करोड़ों रूपए मिल  रहे है। ये पैसा सरकार कर्मचारियों पर खर्च न कर निजी क्षेत्र में लगा रही है। जिससे कर्मचारियों के हितों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पंजाब के पैटर्न को फॉलो करने की बात करती है। लेकिन पंजाब में कांग्रेस सरकार है। ऐसे में प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार यानि नरेंद्र मोदी सरकार को फॉलो करना चाहिए। केंद्र सरकार के लाभ प्रदेश को मिलने चाहिए। लेकिन ऐसा न कर प्रदेश के कर्मचारियों को राजनीति में बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 80 हजार से अधिक कर्मचारियों पर इस बयान का विपरित असर पड़ रहा है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो निश्चित तौर से कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ता जाएगा और वह फिर से सड़कों पर उतर आएगें। इस प्रेसवार्ता में रामपुर इकाई के अध्यक्ष कमल शर्मा, महासचिव अशोक मैहता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक ठाकुर, प्रैस सचिव सोहनलाल सोनी, संगठन सचिव प्रताप सिंह चौहान, उपाध्यक्ष प्रेम चौहान, गुलाब सिंह, स्वर्णलता, श्यामा ध्रैक, जमना ठाकुर मौजूद रहे।

नहीं तो एमएलए और एमपी की बंद हो पेंशन

एनपीए संघ के सदस्यों ने कहा कि अगर प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को उनका हक नहीं देना है तो एमएलए और एमपी की पेंशन भी बंद होनी चाहिए। संघ सदस्यों ने कहा कि जब कर्मचारियों के हितों की बात आती है तो प्रदेश सरकार वितीय माली हालत का रोना शुरू कर देती है और जब अपने हितों की बात आती है तो विधानसभा में बैठ कर सभी एकमत से अपने फायदें पर मुहर लगा देते है। संघ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष इस बात को अवश्य पहुंचाया जाएगा कि अगर प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को उनके लाभ नहीं देने है तो एमएलए और एमपी की पैंशन भी बंद करने के आदेश जारी होने चाहिए।


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