सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

By: Aug 3rd, 2019 12:06 am

भगवान शिव का प्रिय श्रावण माह चल रहा है और इस माह में सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लोगों की भगवान शिव में अटूट आस्था  और श्रद्धा है। इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों के क्रम में पहला है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग। ये मंदिर गुजरात के वेरावल बंदरगाह से कुछ ही दूरी पर प्रभास पाटन में स्थित है। शिव महापुराण में सभी ज्योतिर्लिंगों के बारे बताया गया है। इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में मान्यता है कि सोमनाथ के शिवलिंग की स्थापना खुद चंद्रमा ने की थी। चंद्र के द्वारा स्थापना की जाने की वजह से इस शिवलिंग का नाम सोमनाथ पड़ा है। जानिए इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें…

चंद्र को मिली थी श्राप से मुक्ति

प्राचीन समय में दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रदेव के साथ किया था। दक्ष की सभी कन्याओं में से रोहिणी सबसे सुंदर थी। चंद्र को सभी पत्नियों में से सबसे अधिक प्रेम रोहिणी से ही था। इस बात से दक्ष की शेष 26 पुत्रियों को रोहिणी से जलन होने लगी। जब ये बात प्रजापति दक्ष को पता चली, तो उसने क्रोधित होकर चंद्रमा को धीरे-धीरे खत्म होने का श्राप दे दिया। दक्ष के श्राप से चंद्रदेव धीरे-धीरे खत्म होने लगे। इस श्राप से मुक्ति के लिए ब्रह्माजी ने चंद्र को प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में शिवजी की प्रसन्नता के लिए तपस्या करने को कहा। चंद्र ने सोमनाथ में शिवलिंग की स्थापना करके उसकी तपस्या शुरू कर दी। चंद्रमा के कठोर तप से प्रसन्न होकर शिवजी वहां प्रकट हुए और चंद्र को श्राप से मुक्त करके अमरत्व प्रदान किया। इस वजह से चंद्रमा की कृष्ण पक्ष में एक-एक कला क्षीण (खत्म) होती है, लेकिन शुक्ल पक्ष को एक-एक कला बढ़ती है और पूर्णिमा को पूर्ण रूप प्राप्त होता है। श्राप से मुक्ति मिलने के बाद चंद्रदेव ने भगवान शिव को माता पार्वती के साथ यहीं रहने की प्रार्थना की। तब से भगवान शिव प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करते हैं। सोमनाथ मंदिर की दीवारों पर बनी मूर्तियां मंदिर की भव्यता को दर्शाती हैं। स्कंद पुराण के प्रभासखंड में उल्लेख किया गया है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम हर नई सृष्टि के साथ बदल जाता है। इस क्रम में जब वर्तमान सृष्टि का अंत हो जाएगा और ब्रह्मा जी नई सृष्टि करेंगे तब सोमनाथ का नाम प्राणनाथ होगा। प्रलय के बाद जब नई सृष्टि आरंभ होगी तब सोमनाथ प्राणनाथ कहलाएंगे।

ऐसा है मंदिर का स्वरूप

सोमनाथ मंदिर की ऊंचाई लगभग 155 फुट है। मंदिर के चारों ओर विशाल आंगन है। मंदिर का प्रवेश द्वार कलात्मक है। मंदिर तीन भागों में विभाजित है नाट्यमंडप, जगमोहन और गर्भगृह। मंदिर के बाहर वल्लभभाई पटेल, रानी अहिल्याबाई आदि की मूर्तियां भी लगी हैं। समुद्र किनारे स्थित ये मंदिर बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।

कैसे पहुंचेंः सोमनाथ से 63 किमी. की दूरी पर दीव एयरपोर्ट है। हवाई मार्ग रेल या बस की मदद से सोमनाथ  आसानी से पहुंचा जा सकता है।


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