स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बाधा दूर करेगी कैबिनेट सब कमेटी

शिमला—स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बाधा को दूर करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। हालंाकि शिमला के कोर एरिया और ग्रीन एरिया में भवनों के निर्माण पर एनजीटी ने रोक लगाई है, जिससे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम इस क्षेत्र में नहीं हो सकते। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार की कैबिनेट सब कमेटी सभी कानूनी पहलुओं को देखते हुए पूरी रिपोर्ट तैयार कर देगी। प्लानिंग एरिया नगर निगम शिमला के दायरे में ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट तैयार होना है, जिस पर एनजीटी का आदेश पूरी तरह भारी पड़ रहा है। केंद्र की मोदी सरकार ने दो वर्ष पूर्व शिमला को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया, लेकिन यहां बहुमंजिला भवन निर्माण सहित कई आधुनिक तकनीक से होने वाले विकास कार्यों पर एनजीटी की तलवार लटक गई है। ऐसे में जब तक एनजीटी के आदेश रद्द नहीं होते, तब तक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकेगा। एनजीटी के उन आदेशों को प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें अढ़ाई मंजिला से अधिक भवन निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। बताया गया कि जब तक एनजीटी के आदेश लागूू हैं, तब तक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम होना संभव नहीं है। इसे देखते हुए जयराम सरकार की कैबिनेट सब कमेटी ने मामले को सुलझाने की कवायद शुरू कर दी है। प्रदेश सरकार ने हाल ही में एनजीटी के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर सुनवाई अक्तूबर महीने में होनी है। ऐसे में अब आगामी तीन महीने बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की तस्वीर साफ हो जाएगी। एनजीटी ने शिमला के कोर और ग्रीन  एरिया में कंस्ट्रकशन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और कोर एरिया के बाहर भी सिर्फ अढ़ाई मंजिला भवन निर्माण हो सकते हैं। दिल्ली में 16 जुलाई 2018 को हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी ने प्रदेश सरकार की रिव्यू पटिशन को खारिज कर अपना फैसला सुनाया था। इसके साथ-साथ कोर और ग्रीन एरिया में अब तक जितने भी अवैध भवन निर्माण हुए हैं उसे तोड़ने के भी आदेश दिए थे। एनजीटी ने प्रदेश के प्लानिंग एरिया में अवैध भवनों को रेगुलर नहीं करने का भी फैसला किया है।

कोर एरिया में लटक सकता है प्रोजेक्ट

एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को शिमला में भवन निर्माण मामले पर जो फैसला सुनाया था उसी को ही अंतिम फैसला करार दिया। ऐसे में अब शिमला के कोर एरिया में भवन निर्माण नहीं हो सकेंगे और कोर एरिया के बाहर क्षेत्रों में सिर्फ अढ़ाई मंजिला भवनों का ही निर्माण हो सकेगा। इसके साथ-साथ शिमला कोर एरिया में अवैध तरीके से जो भवन निर्माण हो चुके हैं उन पर जेसीबी चलेगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने एनजीटी के 16-11-2017 के फैसले को चुनौती देते हुए फरवरी माह 2018 में रिव्यू पटिशन दायर की थी, जिसके  बाद दो बार 15 मई और 17 जून को एनजीटी के समक्ष भवन मालिकों को राहत देने के लिए अपना पक्ष भी रखा, जिसे 16 जुलाई 2018 को एनजीटी ने उस रिव्यू पटिशन को खारिज कर बड़ा फैसला सुनाया। 

13 नवंबर 2017 से पहले के भवन होंगे रेगुलर

पिछले साल एनजीटी ने प्रदेश के अन्य भागों में हर तरह के अवैध निर्माणों को नियमित करने पर प्रतिबंध लगाते हुए साफ किया था कि यदि किसी ने शिमला के कोर, ग्रीन व फोरेस्ट एरिया से बाहर अवैध निर्माण को नियमित करने का आवेदन 13 नवंबर 2017 से पहले कर रखा है तो ही वह नियमित हो सकेगा। इसके लिए नियमितकरण शुल्क के साथ पांच हजार प्रति वर्ग फुट और व्यवसायिक भवन के अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए 10 हजार प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पर्यावरण मुआवजा देना होगा। यह शुल्क अन्य प्रकार के शुल्क से अलग होगा। प्रदेश में 13 नवंबर 2017 के पश्चात किए किसी भी अनाधिकृत निर्माण को नियमित नहीं किया जाएगा।