हफ्ता भर पहले पता था, कुछ गोलमाल होगा

पुलिस-सीआईडी के संयुक्त आपरेशन में फंसे परीक्षा देने वाले ‘मुन्नाभाई’

धर्मशाला  – पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान सामने आए मामले की भनक जिला पुलिस व सीआईडी को करीब एक सप्ताह पहले लग गई थी। डीआईजी संतोष पटियाल व एसपी कांगड़ा विमुक्त रंजन के नेतृत्त्व में सुरक्षा एजेंसियों ने योजनाबद्ध तरीके से अलग-अलग टीमों का गठन का जाल बिछाया। 11558 अभ्यर्थियों के बीच ऐसे लोगों की पहचान करना बड़ी चुनौती थी। बावजूद इसके टीमें इन लोगों को पकड़ने के लिए परीक्षा के दौरान चैकिंग के बहाने मैदान में कूद गई और शक के आधार पर पूछताछ का दौर चलता गया। एडमिट कार्ड देखकर उनसे संबंधित क्षेत्र के बारे में पूछताछ के दौरान जब आरोपियों की जुबान लड़खड़ाने लगी तो टीम ने संबंधित युवाओं को आइडेंटिफाई करना शुरू कर दिया।  जिला पुलिस की टीम में करीब सात से आठ लोग शामिल थे, जबकि सीआईडी की टीम में पांच से छह लोग थे। भारी भीड़ में घुस कर टीमों ने योजना के तहत कुछ लोगों के एडमिट कार्ड चैक कर उनकी तलाश शुरू कर दी। संदेह में आने वालों को उन्होंने एक-एक करके किनारे ले लिया। टीमों के सदस्यों ने परीक्षा देने पहुंचे युवाओं के एडकिट कार्ड और अन्य कागजात चैक किए। साथ ही उनके संबंधित गांव से लेकर पूछताछ शुरू कर दी। इस तरह ऐसे जालसाज पुलिस के हत्थे चढ़ गए। पुलिस के आला अधिकारी भी पूरी घटना पर नजर बनाए हुए थे। आरोपियों की धर-पकड़ के लिए जिला पुलिस ने अलग-अलग टीमों का गठन कर दिया है। इस तरह जिला पुलिस व सीआईडी को बड़ी कामयाबी मिली है। कांगड़ा में डीआईजी संतोष पटियाल का अनुभव और एसपी विमुक्त रंजन की प्रधानमंत्री की सुरक्षा में रहकर बारीकियों का अध्ययन करने व किसी भी घटना को समझने की क्षमता रंग लाई है।

अभी और होंगे खुलासे

पुलिस भर्ती ही नहीं, यह गिरोह अन्य परीक्षाओं में भी अभ्यर्थियों को उनकी जगह पर अन्य राज्यों के लोगों को बिठाकर परीक्षा दिलवाने का काम करता है। एक दर्जन से अधिक गिरफ्तारियां होने के बाद अब संबंधित लोगों से कई खुलासे होने की उम्मीद है।