हमीरपुर जिला में गरीबी के चलते दो बेटियों ने छोड़ दी पढ़ाई

घर चलाने के लिए एक लाड़ली दुकान में कर रही काम, बिटिया फाउंडेशन के शिविर में खुलासा

हमीरपुर – सरकारें वर्षों से कह रही है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ। साथ ही बात की जाती है महिला सशक्तिकरण की, लेकिन धरातल पर कुछ ऐसी तस्वीरें नजर आती हैं, जिनको देखकर लगता है कि सब बातें मात्र ढकोसलों से ज्यादा कुछ नहीं। कई बार बेटियां बचा तो ली जाती हैं, लेकिन गरीबी उनकी पढ़ाई में अड़चने पैदा कर देती है, वहीं कुछ वाकयों को देखकर ऐसा लगता है कि महिलाओं का सशक्तिकरण तभी तक है, जब तक उनका पति उनके साथ है। हमीरपुर के वार्ड नंबर पांच में सामने आए दो वाकयों को देखकर तो कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। गुरुवार को बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने दो बेटियों की लाचारी और एक महिला की व्यथा ने सबको हिला दिया। बिटिया फाउंडेशन के शिविर में जब बेटियों को गुड टच और बैड टच की परिभाषा बताई जा रही थी, तभी दो बेटियों ने उठकर अपनी लाचारी बताते हुए कहा कि उन दोनों ने जमा दो की परीक्षा पास कर ली है।  इनमें एक आगे कालेज में पढ़ना चाहती है और एक आईटीआई करना चाहती है, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ गया। अब वे घर पर ही रहती हैं। एक बेटी घर चलाने के लिए शहर की एक दुकान में काम करती है। शिविर में दोनों बेटियों की मां भी पहुंची थी। उसने बताया कि इन्हें आगे पढ़ा पाना मुश्किल हो गया है। उसी दौरान जब महिलाओं को उनके अधिकारों और सशक्तिकरण के बारे में जागरूक किया जाने लगा, तब वहां भीड़ में एक महिला की सिसकियों ने सबको चौंका दिया। यह भी वार्ड नंबर पांच की महिला है। दो छोटे बेटे हैं। पति की मौत के बाद ससुराल वालों ने जो किया, उसके बारे में आज के वक्त में कोई सोच नहीं सकता। बताते हैं कि महिला से यह कहकर उसका कमरा ले लिया गया कि कमरे में पेंट करवाएंगे, तब तक तुम छत वाले कमरे में रहो। पहले से दुख की मारी बहू छत पर रहने तो चली गई, लेकिन दोबारा अपने कमरे में वापस नहीं लौट सकी। क्योंकि वहां किराएदार बसा दिए गए। बरसात के इस मौसम में महिला जिस छत के कमरे में रहती है, उसकी छत थोड़ी सी बारिश में टपकने लग पड़ती है। शिविर में सामने आए इन मामलों ने सबको चौंका दिया।

अब बिटिया फाउंडेशन करेगी मदद

बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा सांख्यान का कहना है कि वह यहां बेटियों और महिलाओं को जागरूक करने आईं थीं, लेकिन जो मामले सामने आए, उनसे हैरान हूं। फाउंडेशन ने निर्णय लिया है कि दोनों बेटियों को आगे पढ़ाया जाएगा। साथ ही जिस महिला को ससुराल वालों से मिलकर समस्या का समाधान करवाया जाएगा।