हरदेव को 1917 में दिए गए थे राज्य के पूर्ण अधिकार

By: Aug 14th, 2019 12:02 am

हरदेव की बाल्य अवस्था में प्रशासन का काम एक काउंसिल चलाती रही। उसे राज्य के पूर्ण अधिकार 1917 ई. में दिए गए। 1920 में कुछ लोगों ने ठाकुर की ओर से हो रही ज्यादतियों पर आवाज उठाई। ठाकुर ने उन्हें दंडित करके कैद कर लिया। 1928 में जब उन्हें छोड़ दिया तो उन्होंने फिर से शिमला से अपनी गतिविधियां आरंभ कर दीं। 1939 में उन लोगों ने शिमला में कुनिहार प्रजामंडल की स्थापना की। बाद में इस प्रजामंडल ने कुनिहार में अपना कार्य आरंभ किया…

गतांक से आगे …

पूर्ण देव (1816-1837), किशन देव (1837-1855), तेग सिंह (1866-1905) हरदेव सिंह (1905) : हरदेव की बाल्य अवस्था में प्रशासन का काम एक काउंसिल चलाती रही। उसे राज्य के पूर्ण अधिकार 1917 ई. में दिए गए। 1920 में कुछ लोगों ने ठाकुर की ओर से हो रही ज्यादतियों पर आवाज उठाई। ठाकुर ने उन्हें दंडित करके कैद कर लिया। 1928 में जब उन्हें छोड़ दिया तो उन्होंने फिर से शिमला से अपनी गतिविधियां आरंभ कर दीं। 1939 में उन लोगों ने शिमला में कुनिहार प्रजामंडल की स्थापना की। बाद में इस प्रजामंडल ने कुनिहार में अपना कार्य आरंभ किया। ठाकुर हरदेव सिंह ने इसे 13 जून, 1939 को अवैध करार दिया, परंतु जुलाई, 1939 को प्रजामंडल का एक प्रतिनिधिमंडल ठाकुर से मिला और उसके सामने अपनी मांगें रखीं। ठाकुर ने उनकी मांगों को मानने के लिए अपनी सहमति दिखाई और नौ जुलाई को प्रजामंडल के सम्मेलन में अध्यक्ष के रूप में भाग लिया। इस सम्मेलन में धामी, भज्जी, नालागढ़, महलोग और बाघल के लोगों ने भाग लिया। ठाकुर ने मांगें मानने की घोषणा की और एक प्रशासनिक सुधार समिति बनाई। 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश के बनने पर कुनिहार को अर्की तहसील में मिला दिया गया।

कुठाड़ ठकुराई

कुठाड़ ठकुराई  सपाटू कि निकट कुठाड़ नदी घाटी में स्थित थी। इस ठकुराई को किश्तवाड़ रिजौरी से आए सूरत चंद ने कोई बाहरवीं शताब्दी के अंत में या तेरहवीं शताब्दी के आरंभ में स्थापित  किया। 12 वीं शताब्दी के अंत में पश्चिम की ओर से जब मुसलमानों  के आक्रमण आरंभ हुए तो सूरत चंद ने वहां से आकर बारह  ठकुराई क्षेत्र में  शरण लीं। जब वह यहां आया था तो उस समय कुठाड़ के क्षेत्र पर छोटे-छोटे मावी एवं सामंतों का अधिकार था। मुसलमानों  के आक्रमण के भय से मैदानी भागों से और लोग भी यहां आकर बस गए थे। जनश्रुति कहती है कि बाहर से आए इन लोगों को एक दिन एक व्यक्ति वृक्ष के नीचे बैठा मिला। उस व्यक्ति ने इन लोगों को बताया कि वह राजपूत है और  उसे अपने देश से भगाया गया है। एक मावी उससे जबरन अपनी नौकरी करवाता थ्ज्ञा। वह स्वयं भी इस मावी से दुखी था तथा वहां के लोगों को इनसे छुटकारा दिलाना चाहता था। अतः लोगों नेमावियों को परास्त करने में उसकी  सहायता की। इस प्रकार सूरत चंद ने कुठाड़ क्षेत्र के पांच परगने रीहणी, घार, शील, धरूथ और फेटा को अपने अधीन कर लिया।         

                                – क्रमशः   


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App