13 साल में डेढ़ लाख बंदरों की नसबंदी

By: Aug 14th, 2019 12:01 am

हर साल 20 हजार का था टारगेट, अब अगले महीने फिर शुरू होगा अभियान

शिमला – प्रदेश में 13 साल के अंतराल में एक लाख 48 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। हालांकि वन विभाग के वाइल्ड लाइफ विंग ने हर साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है, जिसे पूरा करने में कहीं न कहीं नाकाम साबित हो रहा है। पुराने आंकड़ों पर गौर करें, तो एक साल में मात्र 11 हजार के करीब बंदरों की नसबंदी ही हो पा रही है। प्रदेश में बंदरों की संख्या पर काबू पाने के लिए एक बार फिर नसबंदी अभियान शुरू होने जा रहा है। वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग ने अगले महीने यानी सितंबर से प्रदेश के हर मंडल स्तर पर बंदरों की नसबंदी करने का निर्णय लिया है। पहली प्राथमिकता राजधानी शिमला को दी जाएगी। वाइल्ड लाइफ विंग ने इस साल के लिए भी 20 हजार बंदरों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है। जो पूरा हो पाना मुमकिन नहीं है। कारण यह है कि पिछले साल भी 20 हजार बदरों की नसबंदी करवाने का टारगेट रखा था, जिसमें से मात्र 7671 बंदरों की ही नसबंदी हो पाई।  जानकारी के मुताबिक वर्ष 2006 से जून 2019 तक एक लाख 48 हजार बदंरों की नसबंदी हो पाई। यदि नसबंदी का काम शुरू न होता, तो यह ग्रोथ रेट 21 प्रतिशत बढ़ना था। प्रदेश के कई क्षेत्रों में बंदरों की नसबंदी अभियान शुरू होगा। हालांकि नसबंदी की प्रक्रिया वर्ष 2006 से शुरू हुई थी, बावजूद इसके बंदरों की संख्या में कमी नहीं आई। जानकारी के मुताबिक पिछले साल शिमला में 1365 बंदरों की नसबंदी हुई। इसके साथ-साथ नगर निगम के दायरे में बंदरों को मारने की अनुमति भी दी गई थी, लेकिन एक भी बंदर मारा नहीं गया। बता दें कि फरवरी में प्रदेश की 93 तहसीलों में बंदर मारने की मंजूरी मिल चुकी है। उसके बाद नगर निगम शिमला के दायरे में भी पिछले महीने से एक साल के लिए बंदरों को मारने की मंजूरी मिल गई। इसके साथ-साथ पूरे प्रदेश सहित शिमला में बंदरों की नसबंदी करने का निर्णय लिया है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App