15 घंटे की बारिश… और मंडी में जल प्रलय

By: Aug 19th, 2019 12:21 am

पंडोह डैम के गेट खुलते ही ब्यास नदी ने दिखाया रौद्र रूप, घरों में घुसा पानी

मंडी-लगातार 15 घंटे बारिश होने के बाद रविवार सुबह जब मंडी शहर नींद से जागा तो छोटी काशी में पानी का तांडव देखने को मिला। सितंबर, 1995 के बाद रविवार को मंडीवासियों ने ब्यास नदी का रौद्र रूप देखा। पंडोह डैम के खुलने के बाद ब्यास में बाढ़ आ गई। पड्डल में गुरुद्वारे के नीचे ब्यास किनारे पार्क की गई नगर परिषद की दो गाडि़यां व एक निजी कार भी बह गई। ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर भी 30 फीसदी तक पानी में समा गया। ब्यास और सुकेती खड्ड के संगम पर स्थित कालोनी की पार्किंग भी पानी में डूब गई। पार्किंग में दर्जनों गाडि़यां पानी में डूब गई। हालांकि, समय रहते कुछ गाडि़यों को बाहर निकाल लिया गया था, लेकिन कुछ गाडि़यां फिर भी पानी में समा गईं। ब्यास किनारे बसे लोगों के घरों तक नदी का पानी पहुंच गया। इस कारण कुछ लोगों को तो घर भी खाली करने पड़े। वार्ड नंबर 13 में श्मशानघाट के काम में लगी एक जेसीबी भी पूरी पानी में डूब गई। उपायुक्त मंडी ऋग्वेद मिलिंद ठाकुर सहित प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस जवान मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। सुकेती खड्ड के संगम के बाद ब्यास का जलस्तर इतना ज्यादा बढ़ गया कि विक्टोरिया पुल पर भी ट्रैफिक सुबह 11ः30 बजे रोकना पड़ा। इस पर वाहनों के साथ पैदल यात्रियों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई थी। ब्यास का जल स्तर देखने के लिए लोग विक्टोरिया पुल के साथ नए निर्माणाधीन पुल पर चढ़ गए। इसके बाद पुलिस को यह पुल भी खाली करवाना पड़ा। ब्यास नदी के किनारे घरों तक जलस्तर पहुंच चुका था। ऐसे में लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी घर से बाहर निकालते देखे गए। जानकारी के अनुसार सितंबर, 1995 में मनाली में बादल फटने के बाद छोटी काशी में इस तरह का नजारा देखने को मिला था। करीब 24 साल बाद फिर ब्यास ने रौद्र रूप दिखाया। हालांकि सुबह बारिश थमने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।

बावडि़यां, श्मशानघाट और मंदिर डूबे

सुकेती नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण शिवा बावड़ी, और पंचवक्त्र के साथ हनुमान का मंदिर भी जलमग्न हो गया। इस कारण शिवा बावड़ी से पड्डल की ओर जाने वाले पुल पर आवाजाही रोक दी गई। पुलिस के दोनों ओर पुलिस जवानों को तैनात करना पड़ा।

बरोट परियोजना के सभी गेट खोले

बरोट। क्षेत्र की दोनों नदियों मे भारी बाढ़ आने से बरोट के आठों गेट परियोजना कर्मचारियों ने खोल दिए हैं, जबकि इस बार दोनों नदियों मंे शनिवार रात्रि को  बरसात का सबसे ज्यादा  फ्लड 30452 क्यूशिक रहा। इस समय 21252 क्यूशिक पानी चल रहा है, जिसके चलते 110 मेगावाट की शानन परियोजना 30 घंटों से विद्युत उत्पादन बिलकुल ठप हो गया है। बरोट मंे गेटों के इंचार्ज मंगत राम ने पुष्टि करते कहा कि उत्पादन शनिवार शाम चार बजे से फ्लड के कारण बंद है। परियोजना के बरोट मंे आठ गेट खुले हैं । उन्होंने बताया कि सोमवार को मौसम ठीक रहता, तो विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।  इस समय 10 हजार पीपीएम सिल्ट आ रही है।


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