आरबीआई के पास कितना हो रिजर्व फंड? बोर्ड बैठक में आज हो सकता है विचार

By: Aug 26th, 2019 12:41 pm

RBI की अहम बैठक आजभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति ने केंद्रीय बैंक को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट पर सोमवार यानी आज आरबीआई के बोर्ड की बैठक में विचार हो सकता है. दरअसल, जालान समिति का गठन यह सुझाने के लिए किया गया था कि आरबीआई के पास कितना रिजर्व फंड होना चाहिए और उसे केंद्र सरकार को कितना लाभांश देना चाहिए.

सूत्रों के मुताबिक जालान समिति ने आरबीआई रिजर्व के किस्तों में स्थानांतरण का समर्थन किया है. समिति की ओर से फंड के लाभांश का ट्रांसफर सरकार को पूर्वनिर्धारित फॉर्मूले के आधार पर 3 से 5 साल में चरणबद्ध तरीके से किए जाने की सिफारिश की गई है. इसे बाद में आरबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा सकता है. वहीं आरबीआई जालान समिति की रिपोर्ट के आधार पर इस साल लाभांश की पहली किस्त का ट्रांसफर शुरू कर सकता है.  

बता दें कि आरबीआई जुलाई-जून वित्तीय वर्ष का अनुसरण करता है और सालाना खाते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद लाभांश का वितरण अक्सर अगस्त में किया जाता है. वित्तवर्ष 2020 के लिए सरकार ने आरबीआई से 9,000 करोड़ रुपये लाभांश का अनुमान लगाया है.

सरकार से टकराव की थी स्थिति

जालान समिति की रिपोर्ट से इस बात की उम्‍मीद की जा रही है कि आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति खत्‍म हो सकती है. दरअसल, पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के कार्यकाल के आखिर में फंड ट्रांसफर के मुद्दे को लेकर आरबीआई और सरकार के बीच टकराव बढ़ने की खबर आई थी.

इस विवाद के बाद RBI की ओर से बिमल जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर 2018 को समिति गठित की गई थी. छह सदस्यीय इस समिति में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन समिति के उपाध्यक्ष और समिति में आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य भारत दोषी, सुधीर मांकड़ और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एन. एस. विश्वनाथन सदस्य हैं. इसके अलावा आर्थिक मामलों के जानकारी सुभाष गर्ग भी समिति में शामिल थे, और वह अकेले ऐसे सदस्य थे, जिन्होंने समिति के फैसले का विरोध करते हुए उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था. हालांकि बाद में उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया था.


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