…अब वे नहीं बेचेंगी जिस्म

By: Sep 18th, 2019 12:30 am

हिमाचल की सेक्स वर्कर्स को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए दी जा रही ट्रेनिंग, फिर सरकार को सौंपा जाएगा रिकार्ड

शिमला  – दो जून की रोटी का प्रबंध करने के लिए अपने जिस्म को बेच रही प्रदेश में फीमेल सेक्स वर्कर अब अपना पुराना काम छोड़ने लगी हैं। हिमाचल में महिला उत्थान को लेकर यह काफी बड़ी उपलब्धि साबित हुई है, जिसकी रिपोर्ट को प्रदेश सरकार को सौंपा जाने वाला है। जानकारी के मुताबिक विशेष महिला उत्थान योजना के तहत प्रदेश में वर्ष 2015 से अभी तक लगभग 900 फीमेल सेक्स वर्कर्स को सामाजिक परिवेश में जोड़ने के लिए स्वरोजगार के लिए ट्रेनिंग से जोड़ दिया गया है, वहीं हिमाचल के लिए सुखद समाचार यह है कि राज्य में अभी लगभग सौ फीमेल सेक्स वर्कर्स ने अपने स्तर पर अपना काम शुरू किया है, जिसमें बुटीक का काम सबसे ज्यादा शामिल किया गया है है। हालांकि इसकी ट्रैकिंग अभी अंतिम तौर पर की जानी है, जिसमें यह चैक किया जाना है कि इन महिलाओं ने अपना पुराना काम पूरी तरह छोड़ा है या नहीं। उधर विशेष महिला उत्थान योजना के तहत फीमेल सेक्स वर्कर्स को नया जीवनदान देने की कोशिश की जा रही है। गौर हो कि प्रदेश में यह योजना एड्स कंट्रोल सोसायटी और महिला एवं बाल कल्याण विभाग के तहत चलाया जा रहा है, जो अति विशेष क्षेत्रों में एक गुप्त सर्वेक्षण के तहत इन्हें जोड़ रहा है और इन्हें उनकी शैक्षणिक योग्यता के तहत उन्हें तय समय अवधि के तहत ट्रेनिंग करवाई जा रही है।

गुप्त रखा जाता है नाम-पता

एड्स कंट्रोल सासोयटी फीमेल सेक्स वर्कर्स को एचआईवी से बचाव को लेकर भी जागरूक कर रही है, लेकिन इसमें संबंधित महिलाओं को पुराना काम छुड़वाकर एक बेहतर स्वरोजगार से जोड़ने पर काम किया जा रहा है। इस योजना में खासतौर पर औद्योगिक नगर के साथ ही शिमला, मंडी, कांगड़ा, सिरमौर, कुल्लू, बिलासपुर से सबसे ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। इनके नाम और इनके पते गुप्त रखे जाते हैं, लेकिन विशेष महिला उत्थान की योजना की खास बात तो यह निकलकर सामने आई है कि इसमें महिला सेक्स वर्कर्स समाज में एक बेहतर तरीके से नए काम शुरू कर सकती है।

परिवार की स्थिति सही नहीं

प्रदेश में इन महिलाओं की पारिवारिक स्थिति बेहतर नहीं है, जिसमें कुछेक महिलाएं तो ऐसी भी हैं, जिनके पति भी हैं और वे फीमेल सेक्स वर्कर्स के काम करके अपने परिवार का पेट पाल रही हैं। इन महिलाओं को संवेदनशील ज़ोन में रखा जाता है, जिसके बाद गुप्त तौर पर उनके पहले काम को छिपाकर इन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है।


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