एक और आर्थिक पैकेज

By: Sep 15th, 2019 12:10 am

निर्यात के लिए 50 हजार करोड़ की छूट, आवासीय क्षेत्र को 20 हजार करोड़

नई दिल्ली – भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे अंतरराष्ट्रीय बाजार की मंदी के प्रभाव से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने शनिवार को निर्यात और आवास खरीदने वाले मध्यवर्ग को बड़ी राहत देते हुए निर्यातकों को 50 हजार करोड़ रुपए तक छूट देने तथा आवासीय क्षेत्र के लिए लगभग 20 हजार करोड रुपए का कोष बनाने की घोषणा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं और इन्हें लागू करने का काम शुरू हो चुका है। निर्यात बढ़ाने के लिए विदेश व्यापार नीति 2015-20 में घोषित की गई ‘बाजार आधारित निर्यात छूट योजना’ (एमईआईएस) को वापस लेने का फैसला किया गया है और इसके स्थान पर नई योजना ‘रिमिशन ऑफ ड्यूटीज-टेक्सेस ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट’ (रोडटेप)) लागू होगी। उन्होंने कहा कि एमईआईएस तथा अन्य योजनाओं का लाभ निर्यातकों को इस वर्ष 31 दिसंबर तक मिलता रहेगा। अगले वर्ष पहली जनवरी से नई योजना लागू हो जाएगी। नई योजना में दो प्रतिशत तक की छूट कपड़ा और हस्तशिल्प के अलावा अन्य निर्यातित वस्तुओं पर भी मिलेगी। इससे सरकार पर 50 हजार करोड़ रुपए का भार पड़ने का अनुमान है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किफायती और मध्यम आय वर्ग के मकानों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इस क्षेत्र के लिए एक विशेष व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार का ध्यान अधूरी निर्माण परियोजनाओं को पूरा करने पर है। इसके लिए सरकार 10 हजार करोड़ रुपए के एक कोष का निर्माण करेगी, जिसमें इतनी ही राशि निजी क्षेत्र से जुटाई जाएगी। इस तरह से इस कोष में 20 हजार करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध होगी। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि निर्यात प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए रिफंड प्रणाली को पूरी तरह से डिजिटल किया जा रहा है और इसे इसी महीने के अंत में लागू कर दिया जाएगा। निर्यातकों को बैंक निर्यातकों को अधिक कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराएंगे, जिसका सरकार बीमा करेगी। इससे सरकार पर प्रतिवर्ष 1700 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। प्राथमिक क्षेत्र के लिए निर्यात ऋण के दिशा निर्देशों की समीक्षा की गई है। इससे इस क्षेत्र में 36 हजार करोड़ रुपए से लेकर 68 हजार करोड़ रुपए तक अतिरिक्त रूप से उपलब्ध होंगे। निर्यात के लिए पूंजी की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए अंतर मंत्रालय समूह का गठन होगा। उन्होंने कहा कि बंदरगाह और हवाई अड्डों पर निर्यात के अनुकूल प्रौद्योगिकी लगाई जाएगी, जिससे समय और धन की बचत होगी। वैश्विक की स्तर मानक तय करने के लिए प्रौद्योगिकी पर जोर होगा। यह काम दिसंबर 2019 तक पूरा हो जाएगा। इसकी निगरानी करने के लिए अंतर मंत्रालय समूह बनेगा। विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ लेने के लिए एक एफटीए उपयोगी मिशन की स्थापना होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि बाजार को बढ़ावा देने के लिए दुबई की तर्ज पर चमड़ा, कपड़ा, योग, पर्यटन तथा प्रौद्योगिकी पर मार्च 2020 में चार स्थानों पर मेगा शॉपिंग महोत्सव आयोजित किए जाएंगे। इससे कारोबारियों को आपसी संपर्क का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार शिल्पकारों को ई.कॉमर्स से जोड़ने का विशेष अभियान चलाएगी। इसके लिए शिल्पकारों का पंजीकरण किया जाएगा। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रियलटी बाजार पर भी ध्यान दिया है। सरकार ने मध्यम आय वर्ग और किफायती मकानों के लिए पहले से ही कई कदम उठाए हैं। नये कदम के तहत विदेशी वाणिज्यिक उधारी के नियमों में ढील दी गयी है। सरकारी कर्मचारियों के लिए ‘ हाउस बिल्डिंग एडवांस्ड’ की ब्याज दरें अब सरकार के 10 वर्षीय प्रतिभूति पर मिलने वाले रिटर्न पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि इससे रियलटी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि किफायती और मध्यम आय वर्ग के मकानों की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का कोष बनाया जाएगी। इसमें इतनी ही राशि निजी क्षेत्र से जुटाई जाएगी। इस तरह से कोष 20 हजार करोड़ रुपए का होगा। इस कोष से उन परियोजनाओं को पूरा किया जाएगा, जो गैर एनपीए और गैर एनसीएलटी की श्रेणी में हैं। इस कोष को बनाने में भारतीय जीवन निगम, बैंक, सोवरेन फंड आदि का योगदान होगा।

अपने घर का इंतजार कर रहे लाखों निवेशकों को फायदा

सरकार के ऐलान से दिल्ली-एनसीआर में अपने घर का इतंजार कर रहे लाखों निवेशकों को लाभ मिलने की उम्मीद है। दरअसल, सरकार के फंड देने की वजह से लटके हुए प्रोजेक्ट्स पूरे होंगे और घर खरीदारों को जल्द पजेशन मिल सकेगा। इसके साथ ही घर खरीदने के लिए जरूरी फंड को स्पेशल विंडो बनाई जाएगी। इस विंडो के जरिए घर लेने में आसानी होगी और आसानी से लोन लिया जा सकेगा।


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