एचपीसीए-बीसीसीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस

जस्टिस लोढा कमेटी की सिफारिशों की अनदेखी पर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व महासचिव ने दायर की याचिका

मनाली -हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व महासचिव व लाहुल-स्पीति क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतम ठाकुर ने बीसीसीआई, बीसीसीआई के सीओए व एचपीसीए के खिलाफ  देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सभी को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एचपीसीए के पूर्व महासचिव गौतम ठाकुर ने 19 सितंबर को अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक याचिका दायर की है। गौतम ठाकुर ने आरोप लगाए हैं कि एचपीसीए लगातार जस्टिस लोढा कमेटी की सिफारिशों की अवहेलना कर रही है। कुछ सदस्य 20 से 30 वर्षों से एचपीसीए में पदाधिकारी बने हुए हैं। 2005 में जब से अनुराग ठाकुर ने एचपीसीए को कंपनी में परिवर्तित किया है सभी सदस्य 14 वर्षों से निदेशक मंडल में जमे हुए हैं। नए संविधान के तहत कोई भी व्यक्ति 12 वर्ष से ज्यादा समय तक पद पर नहीं रह सकता और न ही 70 साल से अधिक उम्र का व्यक्ति सदस्य बन सकता है। पदाधिकारी हो या निदेशक, तीन वर्ष के लिए आप को सभी तरह के पद छोड़ना होगा, जिसे कूलिंग ऑफ पीरियड कहते हैं। गौतम ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मंत्रियों तथा अधिकारियों को क्रिकेट से दूर रहने को कहा था, लेकिन आदेशों को दरकिनार करते हुए एचपीसीए में कुछ लोग ऐसे हैं, जो सरकारी विभागों में अच्छे पदों पर भी रहे हैं और एचपीसीए में 14 वर्षों से निदेशक बने हुए हैं। ऐसे में अभी भी सभी निदेशक मंडल के सदस्य एचपीसीए का संचालन कर रहे हैं। इसके अलावा एक गैर हिमाचली यानी हरियाणा से संबंध रखने वाला व्यक्ति भी वर्तमान समय में एचपीसीए में बना हुआ है और अरुण ठाकुर के साथ एचपीसीए के अंतरिम कमेटी के सदस्य के तौर पर दो साल से एचपीसीए का संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि  हाल ही में तीन अगस्त को एचपीसीए ने एक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी मीटिंग में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित संविधान को एचपीसीए में लागू करने को बुलाई थी, लेकिन एचपीसीए ने संशोधित संविधान को दरकिनार कर जिस तरह से डोनर सदस्यों के नाम पर 22 लोगों को शामिल किया है, उनमें ज्यादातर लोग दिल्ली तथा जालंधर के गैर हिमाचली कारोबारी हैं और सभी का क्रिकेट से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है।

चुनाव करवाना मजाक!

एक तरफ तो 27 सितंबर को एचपीसीए की एजीएम बुला चुनाव करवाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ  संशोधित संविधान में कंपनी का निदेशक मंडल चुनावों के बाद नई कार्यकारिणी भी गवर्निंग बॉडी के दिशा-निर्देश पर ही काम करेगा। ऐसे में चुनाव करवाना महज मजाक है। हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व रणजी खिलाडि़यों को न तो एचपीसीए के साथ जोड़ा गया है और न ही कभी बेरोजगार खिलाडि़यों को रोजगार देने की कोशिश की। पिछले 20 साल में एचपीसीए का कोचिंग निदेशक कोई हिमाचली नहीं बन सका है। गौतम ठाकुर सुप्रीम कोर्ट में ये सभी बातें रखने जा रहे हैं।