एजुकेशन हब पालमपुर

By: Sep 2nd, 2019 12:10 am

चाय नगरी के नाम से मशहूर पालमपुर शिक्षा के क्षेत्र में रोज नई बुलंदियां छू रहा है। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहे पालमपुर ने एक ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। हिमाचली ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के होनहारों का कल संवार रहे पालमपुर में क्या है शिक्षा की कहानी, बता रहे हैं हमारे संवाददाता राकेश सूद व जयदीप रिहान

धौलाधार पर्वत शृंखलाओं के आगोश में बसी चाय नगरी के नाम से मशहूर पालमपुर अब एक शिक्षा हब के रूप में पहचान बनाकर उभर रहा है। पालमपुर व इसके आसपास के पांच किलोमीटर के एरिया में लगभग दो दर्जन निजी स्कूल शिक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अपने बच्चों को अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में लोग भी अब कोई कसर नहीं छोड़ रहे, वहीं ग्रामीण व चंगर इलाके के अभिभावक भी अपने बच्चों को चाय नगरी के अच्छे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने हेतु पालमपुर क्षेत्र में किराए  के मकान लेकर शिक्षा दिला रहे है। चंगर व ग्रामीण क्षेत्रों से सेना में कार्यरत सैनिकों के अधिकांश परिवार पालमपुर में क्वार्टर इत्यादि रखकर अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने में जुटे हैं। इलाके के अधिकांश सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की इमारतें आलीशान हैं। पालमपुर शहर व इसके आसपास के सभी स्कूल बच्चों को हर मूलभूत सुविधा देने के लिए प्रयासरत रहे हैं। संधोल, हारसी पतन, जयसिंहपुर, चढियार, लंबागांव, बालकरूपी व धार इलाके के कई अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए पालमपुर क्षेत्र में रहकर अपने बच्चों को शिक्षा दिलवा रहे हैं। अंग्रेजों के समय से सन 1923 में स्थापित सबसे पुराने ऐतिहासिक सेंट पॉल स्कूल का जहां अपना इतिहास है, वही यहां अभी भी कुछ बिल्डिंग अंग्रेजों के समय से बनी हुई हैं। धज्जी दवाल की ये इमारतें  भूकंपरोधक होती हैं, जबकि प्रबंधन नई आलीशान बिल्डिंग भी तैयार कर चुका है, जहां नर्सरी प्राइमरी सेक्शन शिक्षा ग्रहण कर रहा है। आलीशान स्कूलों में खेल के मैदानों सहित बच्चों को विभिन्न प्रकार के झूले आलीशान पुस्तकालय, सुसज्जित लैबोरेट्रीज भी उपलब्ध करवाई गई हैं। हालांकि पालमपुर के ऊपरी ग्रामीण इलाके में कुछ ऐसे स्कूल हैं, जहां छात्रों को मात्र औपचारिकता के तौर पर सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। मात्र ईंट की इमारत का महल खड़ा कर कक्षाएं चलाई जा रही हैं। इनमें छात्रों को शहर जैसे स्कूलों की सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं, लेकिन फीस के मामले में कोई भी गुंजाइश नहीं रखी गई है।

सरकारी स्कूलों में वह बात नहीं..

आधुनिक शिक्षा के इस दौर में हालांकि पालमपुर के सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी सरकारी स्कूल अभी कोसों दूर हैं। क्वालिफाइड स्टाफ होने पर भी सरकारी स्कूलों के परिणाम अच्छे नहीं हैं। बच्चों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है। निजी स्कूलों से तुलना की जाए, तो निजी स्कूलों में  करीब 15 से 20 बच्चों पर एक अध्यापक कार्यरत है, वहीं, सरकारी स्कूलों में एवरेज के हिसाब से छात्रों व अध्यापकों की प्रतिशतता नौ बच्चों पर एक ही अध्यापक है। वहीं, निजी स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के रिजल्ट अच्छे नहीं आ रहे, लेकिन चाय नगरी के कुछ ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जिनका इतिहास काफी पुराना है, वहीं कई स्कूल ऐसे भी हैं, जहां बच्चे कम हो रहे हैं।

कुछ आईसीएसई, कुछ स्कूल एचपी बोर्ड के अंडर

पालमपुर के निजी स्कूलों में लगभग 14232 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जबकि 792 अध्यापक इन स्कूलों में कार्यरत हैं। प्रदेश के प्रतिष्ठित शहर पालमपुर फेज़ के आसपास के पांच किलोमीटर के एरिया में जहां दो स्कूल सेंट पॉल माउंट कार्मल आईसीएसई से मान्यता प्राप्त हैं, वहीं जाने-माने पांच स्कूल, जिसमें डीएवी पब्लिक स्कूल पालमपुर, अनुराधा पब्लिक स्कूल, न्यूगल पब्लिक स्कूल, आधारशिला पब्लिक स्कूल व क्रिसेंट पब्लिक स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है, जबकि अन्य निजी स्कूल हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत एफिलिएटिड हैं।

पालमपुर के निजी स्कूलों का इतिहास

सही मायने में अगर निजी स्कूलों का इतिहास खंगालें, तो पालमपुर ने सन 1923 यानी 96 वर्ष पहले ही निजी स्कूल पहचान में आ गए थे। अंग्रेजों के समय इसी वर्ष सबसे पहले निजी क्षेत्र के ऐतिहासिक सेंट पॉल हाई स्कूल के रूप में इस क्षेत्र को एक ऐसा शिक्षण संस्थान मिला। इस संस्थान ने देश की सेवा हेतु सैकड़ों सेना के अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, बड़े राजनीतिज्ञ, इंजीनियर व डॉक्टर दिए हैं। सन 1977 तक पालमपुर में इसके अतिरिक्त कोई भी निजी स्कूल नहीं खुल सका, लेकिन 1977 में ऐसा दौर चला कि सबसे पहले सनातन धर्म सभा ने पालमपुर के घुग्घर में समाजसेवा के तहत एसडी चांद पब्लिक स्कूल स्थापना की। 1981 में ठाकुरद्वारा में ईवीएम संस्थान खुला। सन 1984 में डीएवी संस्था ने चाय नगरी में शिक्षा के विस्तार करने का जिम्मा संभालकर डीएवी पब्लिक स्कूल की शुरुआत की। इसी कड़ी में सन 1989 में न्यूगल पब्लिक स्कूल बिंद्राबन, मॉडर्न पब्लिक स्कूल बनूरी, इसके तीन वर्ष बाद 1992 में माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा, 2003 में क्रिसेंट पब्लिक स्कूल बनूरी का शुभारंभ हुआ, जबकि 2005 में अनुराधा पब्लिक स्कूल मारंडा ने शिक्षा के क्षेत्र में आगाज किया। इसके बाद कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल पालमपुर 2015 में अस्तित्व में आया।

ये स्कूल संवार रहे कल

पालमपुर में वर्तमान में डीएवी पब्लिक स्कूल पालमपुर, माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा, सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चांद पब्लिक स्कूल चांद   घुग्घर, न्यूगल पब्लिक स्कूल बिंद्राबन, क्रिसेंट पब्लिक स्कूल बनूरी, जय पब्लिक स्कूल बनूरी, मॉडर्न पब्लिक स्कूल बनूरी व जंडपुर, इंटरनेशनल कैंब्रिज स्कूल पालमपुर, प्रियदर्शनी स्कूल पट्टी, अनुराधा पब्लिक स्कूल मारंडा, एबीएम पब्लिक स्कूल ठाकुरद्वारा, विवेकानंद फाउंडेशन दहन, आधारशिला पब्लिक स्कूल, मदरटच स्कूल  पालमपुर, स्पेक्ट्रम सीनियर सेकेंडरी स्कूल, बचपन स्कूल पालमपुर, ग्रीन व्यू स्कूल बंदल, टाइनी टोट्स स्कूल पालमपुर, न्यू डेस्टिनेशन स्कूल बंदला, डीपीएस स्कूल पालमपुर, धौलाधार पब्लिक स्कूल बंदला, स्काइएंड हार्ट स्कूल कंडी इत्यादि स्कूल बच्चों का भविष्य संभालने के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

गर्ल्ज स्कूल का इतिहास पुराना

पालमपुर के सरकारी स्कूलों की बात करें, तो कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल पालमपुर का इतिहास बहुत पुराना है। यह स्कूल नेहरू चौक पर स्थित है। मंडी के राजा विजय सेन ने सन 1868  में यह बिल्डिंग भेंट की थी। मंडी के राजा के नाम की एक यह पट्टिका विद्यालय के प्रांगण में इस शिक्षण संस्थान के इतिहास की गवाही दे रही है। वर्तमान में यहां 250 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। पाठशाला में 30 अध्यापक सेवाएं दे रहे हैं।

क्या कहते हैं अभिभावक

ऑल राउंड डिवेलपमेंट पर भी दें ध्यान

यह सही है कि पालमपुर शिक्षा का महत्त्वपूर्ण केंद्र बनकर उभर रहा है। पहले शिक्षा प्रदान करना सेवा के रूप में गिना जाता रहा है। शहर व ग्रामीण स्कूलों में हाइली क्वालिफाइड टीचर हैं। इन अध्यापकों को बच्चों की  आधुनिक शिक्षा पर ध्यान देकर बच्चों का मानसिक व बौद्धिक विकास करने में भी अहम भूमिका निभानी होगी                   —अनिल संदल, अभिभावक

निजी स्कूल कर रहे कमाल

पालमपुर के शहरी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि सरकारी क्षेत्र में क्वालिफाइड अध्यापक होने के बावजूद भी परीक्षा परीणाम अच्छे नहीं आ रहे, जबकि प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों की मेहनत रंग ला रही है तथा निजी स्कूलों के बच्चे हर क्षेत्र में अपनी योग्यता साबित कर रहे हैं                 —निशा सूद, अभिभावक

ऐसे शिक्षकों की है जरूरत

यह सच है कि पालमपुर शिक्षा हब के रूप में उभर रहा है। अब स्कूलों में विभिन्न प्रकार की एक्टिविटीज करवाई जा रही हैं, जिसका लाभ बच्चों को पहुंच रहा है, लेकिन स्कूल प्रबंधन को पढ़ाई की क्वालिटी पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। स्कूलों में ऐसे टीचर कार्यरत हों, जो गंभीरता से बच्चों का भविष्य को संवारें             —जेएल जरयाल, अभिभावक

इमारतें शानदार, पर पढ़ाई

जहां नामी-गिरामी निजी स्कूलों में दाखिला लेने की अभिभावकों में होड़ मची रहती है, वहीं दिन-प्रतिदिन सरकारी स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। शहरी स्कूलों की इमारतें शानदार हैं, लेकिन स्कूल में पढ़ाई का माहौल होना जरूरी है। इन स्कूलों को अच्छे परिणाम भी देने होंगे               —देवेंद्र कपूर, अभिभावक

अव्वल आने के पाठ न रटाएं

सभी शहरी व ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा का स्तर गुणवत्ता से भरपूर होना चाहिए। छात्रों को केवल पढ़ाई में अव्वल आने के लिए ही पाठ रटाए नहीं जाने चाहिए, बल्कि योग्यता के अनुसार उन्हें कंपीटीशन के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए, ताकि पढ़ाई के बाद उन्हें अच्छा रोजगार मिल सके             —विपिन अवस्थी, अभिभावक

बाहरी छात्रों की भी पसंद

पालमपुर उन दुर्लभ शहरों में से है, जहां प्रदेश और केंद्र सरकार के विभिन्न संस्थानों द्वारा प्राइमरी से लेकर पीएचडी तक की शिक्षा दी जाती है। उच्च शिक्षा का श्रेय यहां वर्ष 1966 में स्थापित कृषि महाविद्यालय को जाता है। चार दशक में इस विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना की प्रासंगिकता को 7000 से अधिक उच्च गुणवत्ता के मानव संसाधन उपलब्ध करवाकर सार्थक किया है। इस समय कृषि विश्वविद्यालय में कृषि, पशुपालन सहित चार महाविद्यालयों में लगभग 1600 विद्यार्थी देश-विदेश से शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। अफगानिस्तान, श्रीलंका, कनाडा, ब्रिटेन इत्यादि देशों के छात्र भी यहां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा कि गुणवत्ता से पालमपुर विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो पहचान बनाई है, उसी का परिणाम है कि इस वर्ष कृषि और पशु चिकित्सा की स्नातक स्तर की 152 सीटों के लिए लगभग 17773 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। देश भर में केंद्रीय सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश कृषि विवि को 11वें स्थान पर आंकना अपने आप में एक विलक्षण उपलब्धि है

प्रो. अशोक कुमार सरियाल, कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय

विदेश में टॉप लिस्ट पर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, साई विश्वविद्यालय पालमपुर केएलबी कन्या महाविद्यालय कॉलेज  विक्रम बत्रा महाविद्यालय तथा जीजीडीएसडी कॉलेज राजपुर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पीछे नहीं है। पालमपुर का कृषि विश्वविद्यालय कई दशकों से देश में ही नहीं, बल्कि विदेशियों की नजरों में भी उच्च कोटि के शिक्षण संस्थानों में गिना जाता रहा है। देश- प्रदेश के अतिरिक्त विदेश से भी यहां आकर छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। निजी विश्वविद्यालय के रूप में साई यूनिवर्सिटी पालमपुर में इस इलाके व बाहर के छात्र विभिन्न प्रकार के प्रोफेशनल कोर्स कर रहे हैं। विभिन्न विषयों में बीटेक से लेकर स्नातकोत्तर शिक्षा छात्र यहां ग्रहण कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त डीएवी कन्या महाविद्यालय पालमपुर भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। इसी कड़ी में एसडीजीजीडी कॉलेज राजपुर पालमपुर भी पीछे नहीं रहा है। यहां भी हजारों की संख्या में छात्र शिक्षा ग्रहण कर ऊंचे मुकाम पर पहुंचे हैं। चाय नगरी का सरकारी कॉलेज विक्रम बत्रा महाविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। इस कॉलेज में भी प्रदेश सरकार ने हर प्रकार की सुविधा का ध्यान रखा है। शानदार बिल्डिंग के साथ पुस्तकालय व अच्छी लैबोरेट्रीज भी यहां स्थापित की गई हैं। इसके अतिरिक्त ठाकुरद्वारा में एमआईटीआई बच्चों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। वहीं, न्यूगल कैफे के पास सरकारी आईटीआई में भी बच्चे भविष्य तराश रहे हैं।

बेहतरीन काम कर रहे संस्थान

शिक्षा का हब बन रहे पालमपुर में दो विश्वविद्यालय, दो महाविद्यालय और कई नामी प्राइवेट स्कूल खुल चुके हैं, जिनमें करीब 8000 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पालमपुर का माहौल शिक्षा के लिए अति उत्तम है। शिक्षण संस्थान बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। बच्चों को अब उच्च शिक्षा भी घर के नजदीक ही प्राप्त हो रही है

अंकुश सूद, प्रिंसीपल

क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस

पालमपुर के दर्जनों शैक्षणिक संस्थान बच्चों को गुणात्मक शिक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने में बेहतरीन योगदान दे रहे हैं। विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर ही उत्तम, श्रेष्ठ एवं गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध हो, इस दिशा में संस्थान  प्रदेश व देश के बच्चों को गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं

अनुज कुमार आचार्य, लेखक एवं शिक्षक

कोचिंग अकादमी भी पीछे नहीं

पालमपुर में कृषि विश्वविद्यालय के साथ भारतीय वेटरिनरी रिसर्च इंस्टीच्यूट है, जहां स्कॉलर नई-नई खोज करते हैं। यहां हिमालयन बायो रिसर्च पर नई-नई खोज की जा रही है। शिक्षा स्तर इतना अच्छा है कि एक ही कक्षा में 20 से 25 छात्र-छात्राएं मैरिट लिस्ट में आए हैं। कोचिंग अकादमियां भी बेहतरीन काम कर रही हैं

शिखा अवस्थी, प्रिंसीपल

ज़माने के साथ चल रहे छात्र

20 साल पहले तक यहां सिर्फ गिने-चुने स्कूल ही हुआ करते थे और एक पालमपुर में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी। आज बहुत से स्कूल खुल गए हैं और सभी बहुत मेहनत करवा रहे हैं। हर स्कूल में हर किसी से अलग सुविधाएं और हर किसी से अच्छा करने की ललक साफ दिखती है। बच्चों को नए जमाने के साथ चलने के गुर सिखाए जा रहे हैं

अनुपम मेहरा, प्रिंसीपल  


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