क्वालिटी एजुकेशन यानी सोलन
उत्तर भारत में शिक्षा का हब बन उभरा हिमाचल का प्रवेश द्वार सोलन हर रोज नई बुलंदियां छू रहा है। 1370 स्कूलों में 157195 छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहे सोलन ने इस अरसे में एक ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। हिमाचली ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के होनहारों का कल संवार रहे सोलन में क्या है शिक्षा की स्थिति, बता रहे हैं
हमारे संवाददाता —सौरभ शर्मा
हिमाचल का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला सोलन एक दशक से प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत में शिक्षा का केंद्र बनकर उभरा है। जिला में कुल 1370 निजी व सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 9020 शिक्षक कुल 157195 विद्यार्थियों का भविष्य संवारने में योगदान दे रहे हैं। सोलन जिला में करीब एक दर्जन निजी विश्वविद्यालय और एक सरकारी विश्वविद्यालय भी स्थापित है। इसके अलावा कई कालेज व संस्थान भी हैं, जो बेहतरीन सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। सोलन जिला की भौगोलिक परिस्थितियां व यहां खुले उच्चतर संस्थानों व विश्वविद्यालयों के चलते निजी ही नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों की स्थिति में भी अप्रत्याशित विकास हुआ है।
कुल स्कूल सरकारी निजी केवी/जेवी
1370 1094 270 6
कुल छात्र सरकारी निजी केवी/जेवी
1,57,105 77,324 77,860 2011
कुल अध्यापक सरकारी निजी केवी/जेवी
9020 4954 3930 136
स्कूल एक से बढ़कर एक
सोलन शहर व आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे में छोटे व बड़े करीब तीन दर्जन स्कूल कार्यरत हैं। यदि सोलन शहर की बात की जाए, तो करीब डेढ़ दर्जन वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के निजी स्कूल हैं, जो दशकों से सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। जिला में हाल ही में आरंभ हुआ जीनियस ग्लोबल प्ले स्कूल, यूरो किड्स, सोलन पब्लिक स्कूल, साई इंटरनेशनल स्कूल, साउथवेल स्कूल, एसवीएन, सनातन धर्म स्कूल, गुड शेफर्ड, एथेना पब्लिक स्कूल व फन एंड लर्न स्कूल सरीखे शिक्षण संस्थान नर्सरी से लेकर उच्च स्तर तक की बेहतरीन शिक्षा बच्चों को दे रहे हैं।
शिक्षकों की कमी नहीं
शहरी क्षेत्रों के स्कूलों की बात करें, तो जिला में सरकारी व निजी स्कूलों में कुल 1595 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें सरकारी स्कूलों में 337, निजी स्कूलों में 1161 व केंद्र स्कूलों में 97 अध्यापक सेवाएं दे रहे हैं। यदि छात्र-शिक्षक अनुपात की बात की जाए, तो शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों के निजी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात बेहतर है। आंकड़ों पर नजर डालें, तो जिला के ग्रामीण क्षेत्र के निजी स्कूलों में 18 छात्रों पर एक अध्यापक तैनात है, जबकि शहरी क्षेत्र के निजी स्कूलों में 22 छात्रों पर एक अध्यापक है। ऐसा ही हाल सरकारी स्कूलों का भी है। इन स्कूलों में भी शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात अच्छा है। आंकड़ों पर जाएं, तो सोलन जिला के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में 14 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक और शहरी क्षेत्र में 24 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक तैनात है।
1992 के बाद जब शुरू हुए प्राइवेट स्कूल….
सोलन शिक्षा का केंद्र यहां मिलने वाली सुविधाओं की वजह से बन रहा है। यहां आने वाला हर छात्र अपनी इच्छानुसार भविष्य तय करता है। यहां सभी तरह के संस्थान होने के कारण छात्रों को प्रतिभा निखारने का अवसर मिलता है। इसके अलावा तेजी से विकसित होते सोलन शहर में न केवल प्रदेश, बल्कि कई राज्यों के लोग अपनी आजीविका व नौकरी के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा समय की मांग है और इसकी पूर्ति के लिए जहां पुराने शिक्षण संस्थान अहम भूमिका निभा रहे हैं, वहीं नए संस्थान भी खुल रहे हैं
कंचन जसवाल, प्राचार्य, एलआर पॉलिटेक्नीक कालेज
भारत सरकार की 1992 की उदारीकरण की नीति के बाद शिक्षा के क्षेत्र में भी निजी क्षेत्र का प्रवेश हुआ, लेकिन हिमाचल में निजी क्षेत्र का प्रवेश सन 2000 के बाद ही हो पाया। पहले-पहल उच्च शिक्षा के संस्थान एचपीयू से ही संबद्ध रहे, परंतु 2006 में निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के पारित होने के बाद निजी विश्वविद्यालयों की भी स्थापना हुई और इनमें से भी अधिकतर विश्वविद्यालय सोलन में खुले। निजी संस्थान सोलन कस्बे की परिधि को भी विस्तार देते हैं, जिससे सोलनवासियों की आर्थिकी को भी पंख लगे हैं
डा. राजेंद्र वर्मा, शिक्षाविद, सोलन
सोलन शहर को शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम प्राप्त करने के लिए प्राइवेट सेक्टर की सहभागिता से इनकार नहीं किया जा सकता। सड़क, रेल से जुड़ा होना, शिमला, बद्दी व चंडीगढ़ से नजदीक होना आदि कई पैमाने हैं, जिस कारण सोलन शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। अधिक संख्या में शैक्षणिक संस्थान होने से उनमें प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रहता है, जिससे शिक्षा का स्तर सुधरता है। माता-पिता भी बच्चों की शिक्षा को लेकर उत्सुक व सजग हो गए हैं
गुरप्रीत माथुर, प्रधानाचार्य, गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल
जितने स्तरीय विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक संस्थान सोलन में हैं, उतने प्रदेश के किसी दूसरे जिले में नहीं हैं। इसका मुख्य कारण है कि जिस तरह के शैक्षणिक संस्थानों एवं शिक्षा की आज की तारीख में जरूरत है, वह इसी जिला में स्थित है। इस जिला को शिक्षा का केंद्र बनाने में यहां की भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। दूसरा मुख्य कारण सोलन, शिमला व चंडीगढ़़ से जुड़ा है, जहां से आगे की शिक्षा हेतु छात्र आ-जा सकते हैं
अशोक गौतम, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, एससीईआरटी सोलन
यह सच है कि एक दशक में सोलन शिक्षा का केंद्र बनकर उभरा है। निजी विश्विद्यालयों की बात करें या फिर निजी स्कूलों की, सभी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए प्रयासरत हैं। सोलन शहर चंडीगढ़ के नजदीक है और ऐसे में स्कूल स्तर की पढ़ाई करने के बाद बच्चों को कोचिंग व उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए काफी आसानी रहती है
कौमुदी ढल, शिक्षाविद
शिक्षा के साथ खेल में भी अव्वल
अपनी रुचि से पढ़ रहे छात्र
ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र के स्कूलों में आधुनिक शिक्षा संसाधनों की कमी नहीं है। पर्याप्त संसाधनों के चलते विद्यार्थी अपनी रुचि अनुसार विषय पढ़कर जीवन में नई ऊंचाइयां प्राप्त कर सकते हैं —मीनू चौहान, अभिभावक
स्टाफ में भी कोई कमी नहीं
शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों पर प्रेशर रहता है और नियमित चैकिंग के चलते वे भी पूरी लगन से बच्चों को मेहनत करवाते हैं। निजी स्कूलों में प्रतिस्पर्धा के चलते वे भी योग्य स्टाफ को तरजीह देते हैं, ताकि उनके स्कूल का परिणाम बेहतर हो सके। इस कारण अभिभावक भी शहरी स्कूलों में ही अपने बच्चों को पढ़ाने के इच्छुक हैं
—देविनी शर्मा, अभिभावक
आधुनिक गतिविधियां उठा रहीं स्तर
शहरी स्कूलों में आधुनिक शिक्षण गतिविधियों को अधिमान दिया जाता है। इसके माध्यम से शहरी स्कूलों के बच्चों का मानसिक व बौद्धिक स्तर बढ़ता है। प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा से ओत-प्रोत बच्चे अपना सुनहरा भविष्य चुनने के लिए सजग रहते हैं
अश्वनी वर्मा, अभिभावक
शिक्षा क्या, हर क्षेत्र में आगे
शिक्षा के अलावा शहरी स्कूलों में अन्य गतिविधियां भी रेगुलर आयोजित की जाती हैं। इस कारण विद्यार्थी न केवल शिक्षा, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर आगे बढ़ रहे हैं
नीता अग्रवाल, अभिभावक
अनुभवी शिक्षकों ने उठाया स्तर
शहरी स्कूलों में आधारभूत ढांचा काफी विकसित होता है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के लिए खेल सहित अन्य गतिविधियों की सुविधा भी प्रदान की जाती है। योग्य व अनुभवी स्टाफ की बदौलत भी शिक्षा का स्तर ऊपर उठाया जाता है
मीरा, अभिभावक
सेंट ल्यूक्स सबसे पुराना
जिला में सबसे पुराना स्कूल सेंट ल्यूक्स सोलन है। वर्ष 1958 में स्थापित इस कॉन्वेंट स्कूल को सीबीएसई की एफिलिएशन सन 1962 में ही मिल गई थी और तब से लेकर आज तक यह स्कूल सोलन के प्रतिष्ठित स्कूलों में शुमार है। जीवन की परिपूर्णता के लिए परिवर्तनकारी शिक्षा के उद्देश्य को लेकर स्थापित किया गया यह स्कूल पांच दशकों से अपने उद्देश्य पर अमल कर रहा है।
शहर का दयानंद स्कूल ही आईसीएसई बोर्ड
दयानंद आदर्श विद्यालय शहर का एकमात्र स्कूल है, जो कि आईसीएसई बोर्ड से एफिलिएटेड है। सन 1981 में स्थापित यह स्कूल न केवल शिक्षा, बल्कि अन्य गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता है।
बीएल स्कूल में क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस
बीएल सेंट्रल पब्लिक स्कूल वर्ष 1979 में स्थापित किया गया था और तब से लेकर आज तक स्कूल ने अपने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के उद्देश्य को पीछे नहीं छोड़ा। आज भी इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए स्कूल का योग्य व कुशल स्टाफ दिन-रात मेहनत कर रहा है।
गीता आदर्श विद्यालय में हर तरह की पढ़ाई
वर्ष 1976 में स्थापित गीता आदर्श विद्यालय भी शहर का एक प्रतिष्ठित स्कूल है। इस स्कूल में भी बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ भारतीय व सनातन संस्कारों से जोड़ा जाता है, ताकि वे सभ्य नागरिक बन सकें।
एमआरए डीएवी स्कूल ने पेश की मिसाल
एमआरए डीएवी स्कूल की स्थापना वर्ष 1989 में की गई थी। शिक्षा को सर्वोपरि रखते हुए यह स्कूल आज भी शहर में बेहतरीन शिक्षा की मिसाल कायम किए हुए है।
दुर्गा पब्लिक बोर्डिंग स्कूल का ज़िक्र लाजिमी
यदि शहर के पांच किलोमीटर की बात करें तो दुर्गा पब्लिक स्कूल का जिक्र होना लाजिमी है। शहर से सटे आंजी गांव में सन 2001 में स्थापित यह रेजिडेंशियल व डे-बोर्डिंग स्कूल बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेलों के लिए बढ़ावा देता है। स्कूल खोलने का मुख्य उद्देश्य बच्चों के सुखद जीवन के लिए उनके शारीरिक विकास पर कार्य करना और उन्हें इसके लिए विभिन्न खेलों के प्रति प्रेरित करना है। इस उद्देश्य में स्कूल काफी आगे बढ़ा है और स्कूल में क्रिकेट, फुटबाल, टेनिस, टेबल टेनिस, बास्केटबाल सहित अन्य स्पोर्ट्स में बच्चे अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।
गुरुकुल इंटरनेशनल में संस्कारों की भी शिक्षा
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व भारतीय संस्कारों की शिक्षा को लेकर स्थापित गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल सोलन वर्ष 2007 से अपने उद्देश्य की पूर्ति कर रहा है। स्कूल का काबिल स्टाफ बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ उच्च संस्कारों की दीक्षा भी दे रहा है।
रिजल्ट में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़
जिलाभर की बात करें तो सरकारी, निजी व केंद्र सरकार के स्कूलों को मिलाकर कुल 1370 स्कूल हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 1067 सरकारी, 207 निजी व दो केंद्र सरकार के स्कूल हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में कुल 27 सरकारी, 63 निजी व चार केंद्र सरकार के स्कूल स्थापित हैं। यदि शहरी स्कूलों की बात की जाए, तो यहां की ओवरआल स्थिति काफी संतोषजनक है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्कूलों की हालत कुछ अपवादों को छोड़ काफी अच्छी है। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत शहरी ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी काफी सुधार आया है। निजी स्कूलों के आपसी कंपीटीशन के चलते हर एक स्कूल बेहतरीन परीक्षा परिणामों के लिए प्रयासरत है। इन स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों पर भी अपनी कक्षाओं के बेहतरीन परिणामों का दबाव रहता है, जो कि सरकारी स्कूलों में देखने को नहीं मिलता। हालांकि वर्तमान सरकार खराब परीक्षा परिणामों को लेकर अध्यापकों के प्रति सख्त रवैया अपनाए हुए है, जिसके बाद सरकारी स्कूल के अध्यापक भी बच्चों की पढ़ाई के प्रति और अधिक संजीदा हुए हैं।
स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार…
सोलन जिला के सरकारी व निजी स्कूलों में कुल एक लाख 57 हजार 195 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें सरकारी स्कूल में कुल 77 हजार 324, निजी स्कूलों में 77 हजार 860 और केंद्र के स्कूलों में 2011 बच्चे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में कुल 69 हजार 206, निजी स्कूलों में कुल 51 हजार 651 व केंद्र सरकार के स्कूलों में 776 विद्यार्थी हैं। शहरी क्षेत्र की बात करें तो सरकारी स्कूलों में आठ हजार 118, निजी स्कूलों में 26 हजार 209 व केंद्र सरकार के स्कूलों में 1235 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जिलाभर की बात करें तो शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में अधिकांश निजी स्कूलों के भवनों की स्थिति काफी अच्छी है। हालांकि पिछले काफी समय से सरकारी स्कूलों में भी भवन निर्माण के लिए काफी बजट मुहैया करवाया जा रहा है, जिसके बाद अधिकतर सरकारी स्कूलों के भवनों की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है।
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