ग्रयोह के मनरेगा मजदूर बेह्ले

पंचायत में छह माह में सिर्फ दो बार ही मिला काम, कई कार्डधारकों को नहीं हुआ भुगतान

अवाहदेवी -एक तरफ जहां मनरेगा मजदूरों को 90 दिन का रोजगार होना जरूरी है, वहीं लाख दावों के बावजूद मनरेगा स्कीम भी मजदूरों को रोजगार देने में नाकाम हो रही है। रोजगार के अभाव में गरीब परिवारों के लोग मनरेगा कार्य के इंतजार में बैठे हैं। यही हाल उपमंडल धर्मपुर की ग्राम पंचायत ग्रयोह का है, यहां करीब छह महीने में दो बार ही लोगों को मनरेगा का कार्य मिला है और मनरेगा के तहत पंचायत संबंधी विकास कार्य पूरी तरह पटरी से उतर चुका है। आंकड़ों पर गौर करें तो विकास खंड धर्मपुर की ग्राम पंचायत ग्रयोह में सात वार्ड हंै। सात वार्डों के सैकड़ों जॉब कार्डधारक हैं, जिसमें से ऐसे भी अधिकांश कार्डधारक हैं, जिन्हें कार्य करने के बाद भी भुगतान नहीं मिला है। यही कारण है कि गांव के विकास के लिए तैयार किए गए कई प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। मजदूरों में सीमा देवी, मीना देवी, राजकुमारी, विमला, शीतला, प्रवीण कुमारी, मिल्खी राम, निर्मला, सरोजा, कांता, कृष्णा, अति, शीला, प्रमिला देवी आदि मजदूरों ने बताया कि जहां केंद्र सरकार गरीबों के कल्याण के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं मनरेगा के तहत और पंचायतों में कई जगह कार्य हो चुके हैं, जबकि विकास खंड धर्मपुर की इस पंचायत में स्थिति इसके विपरीत है। उक्त मजदूरों ने बताया कि उन्हें अगर एक सप्ताह के अंदर नियमित रूप से मनरेगा के तहत कार्य नहीं दिया गया तो पंचायत में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस बारे मंे विकास खंड अधिकारी धर्मपुर सतीश कुमार ने कहा कि मजदूरों को काम देना हमारा मकसद है। इस बारे में पंचायत प्रधान रमेश ठाकुर से बात हुई है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत कार्य के लिए लोगों की तरफ  से तरकीमा काम करने वाले स्थान का फोटो प्राप्त नहीं हुआ है। जैसे ही औपचारिकता पूरी होगी मनरेगा के तहत कार्य शुरू कर दिया जाएगा।