चंद्रयान-2

By: Sep 9th, 2019 12:02 am

जीवन बिलासपुरी, हि.प्र.

एक तरफ  तो जीत थी, एक तरफ  थी हार।

जाने क्यों आज हार थी, हारने को बेकरार।।

मंजिल के करीब  रुक गए  कदम  तो क्या!

बेसब्र था चांद, था उसे मिलन का इंतजार।।

हौसले बुलंद अपने, भले मुश्किलें हों हजार।

कहां रुकते हैं कदम, खाकर ठोकरें दो-चार।।

है हमें पूरा विश्वास एक दिन होंगे कामयाब।

ग्यारह वर्ष की मेहनत नहीं जाएगी बेकार।।

नहीं सोएंगी आंखें, जब तक पूरे न हो ख्वाब।  ये  इसरो  है!

आएगा पलट कर  बार-बार।।   

 


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