चहेतों को ही बांटे जा रहे बस रूट परमिट

शिमला में हिमाचल निजी बस आपरेटर संघ ने लगाए आरोप

शिमला -हिमाचल में चहेतों को नियमों से विरुद्ध रूट परमिट दिए जा रहे है। राज्य में नियमों के विरुद्ध दिए जा रहे रूट परमिट की परंपरा कई सालों से चली आ रही है। यह आरोप हिमाचल निजी बस ऑपरेटर संघ ने लगाया है। हिमाचल निजी बस ऑपरेटर संघ का आरोप है कि यह परंपरा मात्र शिमला ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा अपनाई जा रही थी। इस परंपरा की शुरुआत 2013 में की गई थी। 24 किलोमीटर से ज्यादा मॉडिफिकेशन और बढ़ोतरी करना उस समय शुरू हुआ था और क्षेत्रीय परिवहन की प्राधिकरण की बैठक में इस नीति को दरकिनार करने की कोशिश की गई। इसके बाद भी यह परंपरा चलती रही। तीन जनवरी, 2019 को क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण बैठक, जो शिमला में आयोजित की गई थी, उसमें भी इसी परंपरा का निर्वहन किया गया। इस बैठक मे दो-चार निजी बस आपरेटरों ने गलत तरह से रूट परमिट मॉडिफाई करवाए, जो रूट परमिट एवं परिवहन नीति की परिभाषा को ही बदल रहे थे। उसका विरोध कुछ निजी बस आपरेटर्ज ने किया और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। संघ का कहना है कि हाई कोर्ट ने इन सभी मीटिंग को रिव्यू करने के आदेश दिए थे। वर्तमान में निदेशक परिवहन के पद पर काबिज कै. जेएम पठानिया ने पुराने क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा की गई गलतियों को पकड़ा और आगे के लिए इन गलतियों को सुधारने के सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को निर्देश दिए हैैं।

आपरेटर भी जिम्मेदार 

हालांकि क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में जितना गलत परिवहन विभाग ने किया, उससे भी कहीं ज्यादा गलती निजी बस आपरेटर्ज ने की। निजी बस आपरेटर्ज ने अपने फायदे के लिए गलत जानकारी देते हुए क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण के सदस्यों को गुमराह किया तथा उल्टे-सीधे परमिट करवाने में कामयाबी हासिल की।

होनी चाहिए कार्रवाई

हिमाचल निजी बस आपरेटर यूनियन के प्रदेश महासचिव रमेश कमल का कहना है कि आपरेटर्ज को रूट पर चलने से हानि हो रही थी, तभी उन्होंने अपने परमिट को बदलने के लिए विभाग के पास आवेदन किया, लेकिन कुछ आपरेटर्ज ने इसका गलत फायदा उठाया और विभाग को गलत जानकारी दी। ऐसे आपरेटर्ज पर कार्रवाई होनी चाहिए।