जनसेवा के लिए बन गईं आईएएस आफिसर

By: Sep 18th, 2019 12:19 am

प्रोफाइल

नाम : डा. ऋचा वर्मा (उपायुक्त कुल्लू)

आईएएस बैच : 2012 

गांव : यमुनानगर, हरियाणा

शिक्षा : पंडित भगत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीच्यूट ऑफ  मेडिकल साइंस, रोहतक।

पति :  आईएएस।

अब तक किन-किन पदों पर कहां-कहां सेवाएं दीं : एसडीएम डलहौजी, एसडीएम नाहन, एडीसी कांगड़ा, एडीसी हमीरपुर, डीसी हमीरपुर और  मौजूदा समय में डीसी कुल्लू के पद पर तैनात हैं

जीवन में मेहनत से किया कार्य कभी विफल नहीं जाता। जिंदगी में कुछ पाने का लक्ष्य अगर कोई ठान ले तो उसे पूरा करने के लिए इनसान को स्वयं अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और वह फिर एक दिन उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कुल्लू जिले में कार्यरत दूसरी महिला उपायुक्त डा. ऋचा वर्मा ने।  जिन्होंने चुनौतियों का सामना तो खास नहीं किया , लेकिन अपने लक्ष्य को हासिल करने में वह कामयाब रहीं। बचपन से लेकर बड़े होने तक परिवार का जिस तरह से सहयोग मिला। जीवन में चुनौतियां क्या होती हैं। इसका कभी एहसास नहीं हुआ क्योंकि परिवार ने हमेशा सहयोग किया और आज भी करता है। शादी के बाद भी ससुराल का सहयोग बेटी की तरह मिलता है। ससुराल में आने के बाद यह कभी महसूस नहीं किया कि वह अपने परिवार से दूर है। हरियाणा के यमुनानगर में पैदा हुई डा. ऋचा वर्मा के पिता भी फूड एंड सप्लाई विभाग में कार्यरत हैं।  के दो छोटे भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं। भाई बहनों में डा. ऋचा वर्मा सबसे बड़ी हैं। जिन्होंने आईएएस अधिकारी बनकर परिवार का नाम रोशन किया है। कुल्लू की डीसी डा. ऋचा वर्मा ने आज जो कुछ भी मुकाम हासिल किया है उसका श्रेय वह अपने परिवार के सदस्यों को देती है। जिनके सहयोग से वह आज इस मुकाम तक पहुंची है। हालांकि डाक्टर की पढ़ाई करने के बाद समाज के लिए कुछ करने का जज्वा और लोगों की मदद करने की इच्छा प्रशासनिक सेवाएं की ओर ले आई। यहां बता दें कि  सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को भी डीसी कुल्लू ने सरकारी संस्थानों में अपने बच्चों को पढ़ाने को लेकर काफी प्रेरित किया ।

मुलाकात :सफलता के लिए अपने ऊपर विश्वास जरूरी

प्रशासनिक अधिकारी बनने का क्या मतलब होता है?

 मैंने पढ़ाई के दौरान मन में ठान ली थी कि प्रशासनिक अधिकारी बनकर जनता की सेवा में अपना हाथ बंटाऊंगी, जो साकार हो गया है।

आपने स्कूली शिक्षा और कालेज व आगे की पढ़ाई कहां सेे पूरी की?

पंडित भगत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीच्यूट ऑफ  मेडिकल साइंस, रोहतक।

खुद पर कितना विश्वास है और इसकी ताकत कहां से आती है। पढ़ाई की उपलब्धियां क्या रहीं?

हर व्यक्ति को स्वयं पर विश्वास रखना बेहद जरूरी है। तभी वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो पाता है।

कितने प्रयास के बाद आईएएस के लिए चुनी गईं और इसके पीछे प्रेरणा?

परिवार के सहयोग से और अपनी लगन के चलते आज इस मुकाम तक पहुंची हूं।  डाक्टर की पढ़ाई करने के बाद मैं  जनता की सेवा करना चाहती थी, इसलिए आईएएस की तैयारी की, जिसके लिए परिवार का भरपूर सहयोग मिला।

 यह कब और कैसे सोचा कि आपको आईएएस अफसर ही बनना है?

बस मन में था कि जनता की सेवा करनी है और किस माध्यम से हर व्यक्ति की मदद की जा सकती है, उसी के चलते डाक्टर की पढ़ाई पूरी करने के बाद आईएएस की तैयारी की।

आपने सिविल सेवा परीक्षा के दौरान कौन से विषय चुने और इसके पीछे का कारण?

ज्योलॉजी।  सामान्यत : यहां तक पहुंचने के लिए आपकी दिनचर्या क्या रही?

हंसते हुए…खास नहीं, वैसे जब समय मिलता पढ़ाई करती थी और आईएएस की तैयारी के लिए मैं करीब 5 से 6 घंटे पढ़ती थी।

 तैयारी में किताबों के अलावा और किस-किस सामग्री का सहारा मिला?

किताबों के अलावा समाचार पत्र सहित अन्य जीके संबंधित पुस्तकें, इंटरनेट टूल, न्यायिक पुस्तकों को पढ़ लेती थी।

आज कल कोचिंग क्लासेज का चलन बढ़ रहा है। क्या सफलता पाने के लिए कोचिंग क्लासेज जरूरी हैे या हम खुद भी सफलता पा सकते हैं?

कोचिंग की वैसे खास जरूरत नहीं होती है। स्वयं ही पढ़ाई करनी चाहिए, क्योंकि आज के दौर में इंटरनेट के माध्यम से हर चीज उपलब्ध है। स्वयं भी मेहनत कर युवा सफलता हासिल कर सकते हैं।

किसी भी परीक्षा के लिए आज कोचिंग- ट्यूशन का फैशन बढ़ रहा है, क्या ये सब जरूरी है?

नहीं, बिना कोचिंग के भी युवा आगे बढ़ सकते हैं।  फिर भी अगर किसी को लगता है कि वह कोचिंग ही लेना चाहता है तो वह उसकी अपनी इच्छा पर निर्भर करता है। वैसे स्वयं छात्र को मेहनत कर आगे बढ़ना चाहिए।

आपकी कार्यशैली आम अफसर की तरह ही है या कि कुछ हटके है?

हसंते हुए…कुछ इस अंदाज में, कार्यशैली के बारे में तो जनता ही तय करेगी कि किस तरह से काम हट कर कर रहे हंै। बाकी जो जिम्मेदारी है, उसे बखूबी निभाने की पूरी कोशिश रहती है। जनता की हर समस्या का हल हो, खासतौर पर महिलाओं, बेटियों को किसी भी तरह की समस्या न हो, इसका पूरा ध्यान रखती हूं। बच्चे स्कूलों में पढ़ने के लिए पहुंचंे, इसे लेकर भी  प्रयास किए जा रहे हैं। महिलाओं को किसी तरह की बीमारी से न जूझना पड़े, इसे लेकर भी सर्वे करवाया जा रहा है।

 जो युवा आईएएस अफसर बनने का सपना देख रहे हैं, उनको आप क्या सुझाव देना चाहेंगी?

बच्चों को एनर्जी फेस से अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ाना चाहिए। ऐसे में पढ़ाई करने में भी कोई परेशानी नहीं आती है। फील्ड में काम करना ही जीवन में सफलता होती है। पढ़ाई भी प्रभावशाली बनती है। गलत चीजों पर ध्यान न देकर पढ़ाई की तरफ  अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए। युवा नशे जैसी गलत लत की तरफ न बढ़ें, यह मेरा युवाओं के लिए जीवन में कुछ पाने का संदेश है।

-शालिनी राय भारद्वाज, कुल्लू


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