टिपरा के पास ठिकाने लगेगा लाखों टन गला-सड़ा सेब

By: Sep 15th, 2019 12:30 am

परवाणू (सोलन) – परवाणू पहुंच रहा लाखों टन गला-सड़ा सेब आखिर किसका है? कौन इसका असली मालिक है और इसके निष्पादन का जिम्मा किसका है। फिलहाल सरकार एवं जिला प्रशासन अब तक यह जिम्मेदारी तय नहीं कर पाया है। आलम यह है कि हिमफेड एवं एचपीएमसी द्वारा खरीदे जा रहे सेब में प्रतिदिन टन के हिसाब से सड़ा-गला सेब निकल रहा है, लेकिन इसके निष्पादन की उचित व्यवस्था नहीं है। अब महामारी न फैले एवं एनजीटी की नजर न पड़े, इसके लिए जिला प्रशासन ने एसी प्रोटोकॉल परवाणू एवं नगर परिषद परवाणू को शहर के पास ही डंपिंग साइट चयन करने के आदेश जारी किए हैं। बताया जा रहा है कि इस संदर्भ में नगर परिषद परवाणू ने एपीएमसी के साथ मिलकर टिपरा के पास कहीं डंपिंग साइट का चयन कर लिया है। एचपीएमसी एवं हिमफेड की मानें तो इनका कहना है कि यह जिम्मेदारी एपीएमसी की है, क्योंकि  सेब खरीद की एवज में यह इन्हें मार्केट फीस दे रहे हैं, ऐसे में गला-सड़े सेब के निष्पादन की जिम्मेदारी भी एपीएमसी की है। वहीं, एपीएमसी का कहना है कि एचपीएमसी एवं हिमफेड द्वारा खरीदा गया सेब करीब 70 प्रतिशत सड़ा-गला हालत में मंडी परिसर में पहुंच रहा है। कुल मिलाकर इतने प्रतिशत सेब के निष्पादन के लिए उनके पास पर्याप्त जगह नहीं थी। अब डंपिंग साइट का चयन हो गया है, तो सारा वेस्ट वहीं डंप होगा।

डंपयार्ड न बनाया जाए शहर

परवाणू को डंपयार्ड न बनाया जाए। बड़ी मुश्किल से शहर को साफ-सुथरा किया गया है और यहां कड़े प्रयास की बदौलत डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी से छुटकारा मिला है। शहर में कहीं भी सड़ा-गला सेब न फेंका जाए, इसकी ट्रेडिंग अपर शिमला में ही जाए, तो बेहतर होगा। शनिवार को परवाणू की सेब मंडी में पहुंचे कृषि मंत्री राम लाल मार्कंडेय को इस प्रकार की समस्याओं से स्थानीय लोगों ने अवगत करवाया। रामलाल मार्कंडेय शुक्रवार को ऊना से शिमला जाते वक्त परवाणू में रुके थे और उन्होंने शनिवार सुबह सेब मंडी परवाणू का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने उस साइट का भी विजिट किया, जहां सड़े-गले सेब की ट्रेडिंग की जा रही है। उन्होंने स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया कि मंत्री से बात की जाएगी और इसका स्थायी समाधान निकाला जाएगा।

नगर परिषद को इसलिए नहीं मंजूर

दरअसल सेब मंडी परवाणू ग्राम पंचायत जाबली के परिक्षेत्र में है। सेब कारोबारियों का सेब सीजन में नगर परिषद परवाणू के अधीन क्षेत्रों में अतिक्रमण हो जाता है और जहां मौका मिले, वहीं कारोबारी ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं, जो कि नगर परिषद परवाणू को नामंजूर है। नगर परिषद का दावा है कि अभी तक सड़कों पर खासतौर पर वार्ड-6 में जहां भी टे्रडिंग हुई है, गला सड़ा सेब वहीं फेंका जाता है। इस कारण शहरवासियों को काफी परेशानी होती रहती है और बीमारियों का भी भय बना रहता है।

अभी रिकार्ड बना चुका है सेब

सेब इस वर्ष कई रिकॉर्ड तोड़ सकता है। यहां हम बात केवल एचपीएमसी एवं हिमफेड द्वारा खरीदे गए सेब की कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार 12 सिंतबर तक हिमफेड करीब 2.90 लाख, जबकि एचपीएमसी दो लाख 51 हजार 964 बोरी सेब की मंडी में पहुंचा चुके हैं। वर्ष 2018 में एचपीएम ने 380 मिट्रिक टन सेब खरीदा था, लेकिन अभी तक यह आंकड़ा पीछे छूट चुका है और एचपीएमसी ने 400 मिट्रिक टन का सेब खरीदा है, जबकि अभी आधा सीजन शेष है।


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