टीबी-तंबाकू पर नियंत्रण एक साथ

कांगड़ा – राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम और तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को एक साथ चलाया जाएगा। तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति में टीबी के रोग की अधिक संभावना को देखते हुए इन दोनों कार्यक्रमों को एक साथ चलाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत टीबी रोग से ग्रस्त मरीज से उसके तंबाकू व्यसन के प्रयोग संबंधी जानकारी लेने के साथ तंबाकू छुड़ाने के लिए भी कार्य किया जाएगा। इस योजना के तहत चिकित्सकों, फार्मासिस्ट व स्वास्थ्य कार्यकर्ताआें सहित आशा वर्कर को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। जानकारी के अनुसार भारतवर्ष को क्षयरोग मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। एक निर्धारित लक्ष्य के तहत वर्ष 2030 तक इस रोग को समाप्त करने के लिए कार्य किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में भी केंद्र के अलावा प्रदेश सरकार द्वारा भी क्षयरोग को समाप्त करने के लिए विभिन्न योजनाएं मरीजों के लिए चलाई जा रही हैं। दुनिया भर में सबसे अधिक 28 लाख मरीज प्रति वर्ष भारत में सामने आते हैं, जिनमें से चार लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। आंकड़ों के अनुसार तंबाकू का सेवन भी भारत में करीब 25 करोड़ लोग करते हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में 10 लाख से अधिक मौतों का कारण तंबाकू से होने वाले रोग ही होते हैं। तंबाकू से होने वाले रोगों को ध्यान में रखते हुए ही राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम तथा तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के साथ सहभागिता करते हुए नई रणनीति के तहत अब कार्य किया जाएगा। वहीं जिला टीबी नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी डा. आरके सूद ने बताया कि नई पहल करते हुए टीबी नियंत्रण तथा तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रमों को साथ-साथ चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को धर्मशाला में खंड चिकित्सा अधिकारियों, आयुर्वेदिक अधिकारी, फार्मासिस्ट, खंड स्वास्थ्य शिक्षकों तथा टीबी के एसटीएस व एसटीएलएस के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

दवाइयों की खरीद को बजट का प्रावधान

डब्ल्यूएचओ के शिमला क्षेत्र के सलाहकार डा. रविंद्र कुमार ने बताया कि इस योजना के तहत अब टीबी रोग से ग्रस्त मरीजों से अब उनके तंबाकू प्रयोग संबंधी जानकारी भी ली जाएगी तथा उनके तंबाकू की लत छुड़ाने के लिए भी कार्य किया जाएगा। इस नई योजना के तहत तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत दवाइयों की खरीद के लिए बजट का प्रावधान भी किया गया है। साथ ही चिकित्सकों, फार्मासिस्ट, स्वास्थ्य कार्यकर्ता सहित मरीजों को दवाइयां खिलाने वाली आशा वर्कर को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।