ठियोग में 621 में से 344 सड़कें अभी भी कच्ची

ठियोग –ठियोग उपमंडल के तहत आने वाली करीब 70 प्रतिशत सड़कें ऐसी हैं जो विभाग से पास नहीं है। इन सड़कों की देखरेख लोगों को खुद करनी पड़ती है या पंचायतों के माध्यम से इनके लिए धन उपलब्ध करवाया जाता है। लेकिन सड़कों की खराब हालत के कारण लोगों को बेहद मुसीबतों का सामना भी करना पडता है। क्योंकि इन्हीं सड़कों से होकर मुख्य सड़कों तक किसान अपनी सेब व सब्जियों को पहुंचाते हैं। लेकिन सड़कों की खराब हालत के कारण लोग परेशान है। ठियोग पीडब्ल्यूडी विभाग के पास इस समय 92 सड़कें हैं जिसकी कुल लंबाई 621 किलोमीटर है इसमें 276 किलोमीटर सड़क पक्की है जबकि 344 किलोमीटर सड़क ठियोग में अभी भी कच्ची है। ग्रामीण स्तर पर बनी सड़कें इसके अलावा है जोकि विभाग के अधीन नहीं आती। जन प्रतिनिधियों का भी यही कहना है कि हर साल इन ग्रामीण सड़कों की रिपेयर के लिए जिला प्रषासन को लिस्ट सौंप दी जाती है लेकिन इसके लिए धन का कोई प्रावधान नहीं किया जाता है। इस बार कुछ 35 लाख के लगभग धनराशि ब्लाक को जरूर मिली है लेकिन इससे इन सड़कों को रिपेयर कर पाना मुश्किल है। ठियोग ब्लाक ठियोग के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर ऐसी सड़कें हैं जो ब्लाक स्तर पर बनी है और इनमें से अधिकतर ऐसी सड़कें हैं जहां पर वाहनों की आवाजाही बेहद मुश्किल है और ऐसी सड़कों में सेब सीजन तथा बरसात में सड़क दुर्घटनाएं भी अधिक घटती है लोक निर्माण विभाग ऐसी सड़कों की देखरेख नहीं करता जब तक ऐसी सड़कें विभाग के अधीन नहीं आ जाती लेकिन ब्लाक स्तर पर बनी इन सड़कों के लिए सरकार तथा जिला प्रशासन अन्य पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से धन जुटाकर ब्लाक इन सड़कों की देखरेख करता है। ठियोग में अधिकतर सड़कें ब्लाक स्तर पर बनी है और इन सड़कों से ही ग्रामीण क्षेत्रों में सेब व सब्जियोें को ढोया जा रहा है। लेकिन समस्या यह भी है कि ये सड़कें लोक निर्माण विभाग के तय मापदंडों को पूरा नहीं करती है जिस कारण इनकों पास नहीं किया जा रहा है और ऐसे में इन सडकों मंे यदि कोई दुर्घटना घटती है तो बागबानों को उसका मुवावजा नहीं मिलता है जो कि बागबानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है और इस कारण कई बार बागबानों को लाखों का नुकसान झेलना पडता है। ऐसी सड़कों में यदि कोई घटना घटती है तो सरकार को भी ऐसे समय में मुवाअजा देना चाहिए।